धनबाद कोयला खदान हादसा: अवैध खनन का काला सच और राहत कार्य में देरी पर उठे सवाल
धनबाद, झारखंड:
झारखंड के धनबाद जिले के बाघमारा क्षेत्र से एक बार फिर एक गंभीर कोयला खदान हादसे की खबर सामने आई है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था, अवैध खनन और राजनीतिक जवाबदेही पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जमुनिया के पास कथित तौर पर एक अवैध कोयला खदान के ढहने की सूचना से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि खदान ढहने के समय कई मजदूर उसके भीतर काम कर रहे थे और वे मलबे में दब गए हैं। हालांकि प्रशासन ने अभी तक किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं की है, जिससे राहत एवं बचाव कार्य में बाधा आ रही है।
घटनास्थल पर प्रशासन की भूमिका संदेह के घेरे में
बाघमारा में स्थानीय लोगों और नेताओं द्वारा दावा किया गया है कि खदान ढहने से कई मजदूरों की मौत हो चुकी है, लेकिन प्रशासन इस बात से इनकार कर रहा है। गिरिडीह के सांसद सीपी चौधरी और पूर्व मंत्री सरयू राय ने इस घटना को गंभीर बताते हुए प्रशासन पर मामले को छिपाने का आरोप लगाया है।
सीपी चौधरी ने यहां तक दावा किया कि नौ मजदूरों की मौत हो चुकी है और वह तब तक धरने पर बैठे रहेंगे जब तक मृतकों के शव बाहर नहीं निकाल लिए जाते। वहीं सरयू राय ने आरोप लगाया कि खनन माफिया ने खदान को ताजी मिट्टी से ढककर साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया है। उन्होंने घटना को “साजिश” करार दिया।
राहत कार्य में देरी और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की 33 सदस्यीय टीम, बीसीसीएल की माइंस रेस्क्यू टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच चुकी है, लेकिन अब तक मलबे से किसी भी शव या घायल मजदूर को बाहर नहीं निकाला जा सका है।
NDRF के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें दुर्घटनास्थल की सटीक जानकारी नहीं मिल पाई, जिस कारण से राहत कार्य शुरू करने में विलंब हुआ।
धनबाद के डीसी आदित्य रंजन ने बताया कि जिस स्थान की सूचना मिली थी, वहां किसी खदान ढहने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। हालांकि टीम को standby पर रखा गया है और अन्य संभावित स्थलों पर भी निगरानी जारी है।
लापता मजदूरों की पहचान और परिजनों की चिंता
गिरिडीह के ताराटांड से आए चार मजदूर—अजीज अंसारी, अफजल अंसारी, दिलीप साहब और जमशेद अंसारी—अभी तक लापता हैं। परिजनों का कहना है कि ये सभी मजदूर अवैध खनन कार्य में लगे हुए थे और घटना के बाद से संपर्क में नहीं हैं। वे घटनास्थल पर पहुंचना चाह रहे थे, लेकिन पुलिस द्वारा रोक दिया गया।
राजनीतिक दलों और नेताओं के गंभीर आरोप
विपक्षी दलों ने प्रशासन और खनन माफियाओं की मिलीभगत पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
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AJSU के सांसद ने आरोप लगाया कि कोयला माफियाओं ने प्रशासन की मौजूदगी में ही विरोध किया, जिससे साफ जाहिर होता है कि सरकारी तंत्र और अवैध धंधे के बीच गहरी सांठगांठ है।
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JDU नेता सरयू राय ने कहा कि “CISF की तैनाती के बावजूद इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, जो बेहद चिंताजनक है।”
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वहीं BJP प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने प्रशासन पर दुर्घटना को छिपाने का आरोप लगाया और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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सामाजिक कार्यकर्ता बिजय झा ने दावा किया कि खदान की मुख्य एंट्री रातोंरात बंद कर दी गई ताकि कोई अंदर प्रवेश न कर सके और सच्चाई सामने न आए।
क्या है आगे का रास्ता?
इस पूरी घटना ने झारखंड में खनन माफियाओं के बढ़ते प्रभाव, प्रशासन की निष्क्रियता और मजदूरों की असुरक्षा को एक बार फिर उजागर कर दिया है। अब जरूरत है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय और स्वतंत्र जांच हो। साथ ही, अगर मजदूर खदान में दबे हैं तो जल्द से जल्द बचाव कार्य शुरू किया जाए।
निष्कर्ष
धनबाद की इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि खनन क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण, मजदूरों की सुरक्षा और प्रशासनिक पारदर्शिता आज भी एक बड़ी चुनौती है। यह केवल एक स्थानीय दुर्घटना नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर भी सवाल है जो गरीब मजदूरों की जान को जोखिम में डालकर मुनाफा कमाने में लगी है।
External Resources:
यह खबर आपको जागरूक करने के लिए तैयार की गई है। यदि आपके पास घटना से जुड़ी कोई सटीक जानकारी है, तो आप संबंधित प्रशासन से संपर्क करें या मीडिया को सूचित करें।