संसद मानसून सत्र 2025: ऑपरेशन सिंदूर पर गरमाई राजनीति, विपक्ष पर बरसे अमित शाह
भारत की संसद का मानसून सत्र 2025 अपने चरम पर है, और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर गहन बहस देखने को मिल रही है। सोमवार को शुरू हुई लोकसभा की विशेष चर्चा का केंद्र बिंदु बना—’ऑपरेशन सिंदूर’, जिसने देश और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत अब किसी भी आतंकी हमले का जवाब चुपचाप नहीं, बल्कि निर्णायक तरीके से देता है।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकियों के सफाए का रणनीतिक अभियान
गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की निर्मम हत्या के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत एक्शन लेते हुए 23-24 अप्रैल को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक की। इसमें सेना को “ऑपरेशनल फ्रीडम” देने का निर्णय लिया गया और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर की योजना बनी।
7 मई को भारतीय सेना ने 100 किलोमीटर पाकिस्तान की सीमा में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई इतनी सटीक थी कि केवल आतंकी मारे गए, कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ। इस ऑपरेशन में लगभग 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया, जिनमें कई नामी आतंकी शामिल थे जैसे—मोहम्मद यूसुफ अजहर और मोहम्मद जमील।
विपक्ष पर सीधा हमला
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके बयानों से पाकिस्तान को क्लीन चिट मिल रही है। शाह ने कहा, “पाकिस्तान को बचाने का षड्यंत्र देश देख रहा है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए तीनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
शाह ने सिंधु जल संधि को कांग्रेस का ऐतिहासिक “ब्लंडर” बताया और कहा कि मोदी सरकार ने इसे स्थगित कर दिया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत को स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव को न ठुकराया होता, तो आज स्थिति अलग होती।
ऑपरेशन महादेव और पहलगाम हमले का बदला
शाह ने संसद में यह भी जानकारी दी कि ऑपरेशन महादेव के तहत पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकियों को भी मार गिराया गया है। सुलेमान, जिबरान और अफजाल—तीनों को जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और सेना के संयुक्त ऑपरेशन में ढेर किया गया। उनके पास से M9 अमेरिकन राइफल और दो एके-47 बरामद हुईं, जिनका उपयोग पहलगाम हमले में हुआ था।
विपक्षी प्रदर्शन और विरोध
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के सांसदों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। वे बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध कर रहे थे। उनके अनुसार, यह लोकतंत्र के विरुद्ध है और इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए।
राज्यसभा में भी इस मुद्दे को लेकर जोरदार हंगामा हुआ, जिसके कारण सत्र को स्थगित करना पड़ा। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार संवेदनशील मुद्दों को टालने का प्रयास कर रही है।
विदेश नीति और पाकिस्तान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा कि भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान द्वारा सीजफायर की मांग आने के बाद भारत ने हमले रोके, और यह पूरी तरह भारत के निर्णय पर आधारित था। जयशंकर ने यह भी कहा कि केवल तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया, शेष दुनिया ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन दिया।
क्रिकेट और पाकिस्तान: ओवैसी का सवाल
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सवाल किया कि जब भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार और कूटनीतिक संबंध सीमित किए हैं, तो फिर क्रिकेट मैच क्यों खेला जा रहा है? उन्होंने इसे दोहरी नीति बताया और सरकार से स्पष्ट रुख की मांग की।
बीजेपी का पलटवार
भाजपा सांसद बैजयंत पांडा ने कहा कि “हमने पाकिस्तान के घुटने टेकने के बाद हमले रोके, अमेरिकी दबाव में नहीं।” उन्होंने विपक्ष पर सेना और सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाने का आरोप लगाया और कहा कि यह राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक है।
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, “अब भारत डोज़ियर नहीं… डोज देगा। ये नया भारत है।” उनके बयान को सदन में काफी समर्थन मिला और भाजपा नेताओं ने इसे देश की बदलती रणनीति का प्रतीक बताया।
पीएम का दृष्टिकोण और सेना की स्वतंत्रता
गृह मंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को पूर्ण स्वतंत्रता दी और कहा कि अगर कोई हमला करता है तो जवाब ज़रूरी है। 30 अप्रैल को PM ने स्पष्ट निर्देश दिए कि आतंकियों को सीमा पार जाकर भी समाप्त किया जाए।
निष्कर्ष
संसद के मानसून सत्र 2025 में ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जोरदार बहस चल रही है। जहां सरकार अपनी आक्रामक नीति को उचित बता रही है, वहीं विपक्ष कई पहलुओं पर जवाब मांग रहा है। संसद के भीतर और बाहर, राष्ट्रीय सुरक्षा, पाकिस्तान से संबंध, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और मतदाता सूची जैसे मुद्दों पर तीखी राजनीति देखी जा रही है। आने वाले दिनों में यह बहस और तेज़ होने की संभावना है।