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मनोज दे का संघर्ष से सफलता तक का प्रेरणादायक सफर: “रास्ते खुद बन जाते हैं, जब इरादे बुलंद हों”

मनोज दे का संघर्ष से सफलता तक का प्रेरणादायक सफर: "रास्ते खुद बन जाते हैं, जब इरादे बुलंद हों"

मनोज दे का संघर्ष से सफलता तक का प्रेरणादायक सफर: “रास्ते खुद बन जाते हैं, जब इरादे बुलंद हों”

रांची | 30 जुलाई 2025
आज के दौर में जब सोशल मीडिया पर चमक-धमक से भरी जिंदगी की झलकियां दिखाई देती हैं, वहीं कुछ कहानियां ऐसी भी होती हैं जो लाखों लोगों को दिल से छू जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है यूट्यूबर मनोज दे की, जिन्होंने एक छोटे से गांव के मिट्टी के घर से निकलकर खुद की मेहनत और लगन के दम पर शानदार सफलता पाई। हाल ही में उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के माध्यम से अपनी पुरानी और नई जिंदगी की झलक दिखाई, जो इंटरनेट पर वायरल हो चुकी है और लाखों लोगों को प्रेरणा दे रही है।


■ दो तस्वीरों में बसी एक पूरी जिंदगी

मनोज दे ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट (@manojdey23) पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें वह पहली तस्वीर में अपने पुराने कच्चे मकान के सामने खड़े हैं और दूसरी तस्वीर में अपने नए आलीशान बंगले के सामने। इन दोनों तस्वीरों के बीच सिर्फ दीवारों का फर्क नहीं है, बल्कि यह उन संघर्षों, सपनों, और बुलंद इरादों का प्रतीक है जो हर व्यक्ति के जीवन में बदलाव ला सकते हैं।

फोटो पर लिखा गया था –
“रास्ते खुद बन जाते हैं, जब इरादे बुलंद हों।”
इस एक पंक्ति ने न जाने कितने युवाओं को प्रेरणा दी है, खासकर उन लोगों को जो छोटे शहरों और गांवों से ताल्लुक रखते हैं और जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं।


■ कौन हैं मनोज दे?

मनोज दे, झारखंड के धनबाद जिले के एक छोटे से गांव बालीडीह के निवासी हैं। उनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, जहां सुविधाएं सीमित थीं लेकिन सपनों की कोई सीमा नहीं थी। उन्होंने अपने यूट्यूब करियर की शुरुआत एक साधारण मोबाइल फोन से की थी। शुरुआत में तकनीकी जानकारी और यूट्यूब से जुड़ी गाइडेंस देने वाले वीडियो बनाकर वह धीरे-धीरे दर्शकों का भरोसा जीतते गए।

आज, मनोज दे एक सफल यूट्यूबर हैं जिनके यूट्यूब चैनल पर 30 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं। वे टेक्नोलॉजी, यूट्यूब टिप्स, मोबाइल रिव्यू, और मोटिवेशनल विषयों पर वीडियो बनाते हैं।


■ संघर्षों की लंबी दास्तान

मनोज का सफर आसान नहीं था। उन्हें शुरुआत में न तो कोई गाइड करने वाला मिला, न ही कोई बड़ा प्लेटफॉर्म। मोबाइल फोन से वीडियो शूट करना, खुद से एडिट करना और फिर अपलोड करना – यह सब उन्होंने बिना किसी पेशेवर ट्रेनिंग के सीखा।

उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि कभी-कभी डेटा रिचार्ज करवाना भी मुश्किल हो जाता था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनके चैनल पर एक वीडियो वायरल हुआ और फिर धीरे-धीरे उन्हें पहचान मिलने लगी। आज वह अपने मेहनत के बलबूते पर खुद का घर बना चुके हैं और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।


■ सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया

मनोज दे की यह पोस्ट अपलोड होने के 16 घंटे के अंदर ही इंस्टाग्राम पर 65,000 से ज्यादा लाइक्स, 900 से ज्यादा कमेंट्स और 2,700 से अधिक शेयर पा चुकी है।
लोगों ने कमेंट में लिखा:

  • “भाई आप हमारे लिए मोटिवेशन हो।”
  • “सच में, मेहनत का फल मीठा होता है।”
  • “गांव से निकल कर इतना बड़ा मुकाम… सलाम है आपको।”

■ युवाओं को दिया संदेश

मनोज दे हमेशा अपने वीडियो और पोस्ट के माध्यम से यही संदेश देते हैं कि संसाधन भले ही कम हों, लेकिन अगर इरादे मजबूत हों तो सफलता जरूर मिलती है।
उनका मानना है कि —

“अगर आप दिल से कोई काम करें, ईमानदारी से मेहनत करें और कभी हार न मानें, तो कोई ताकत नहीं जो आपको रोक सके।”


■ सरकारी और सामाजिक मंचों पर भी हो रही चर्चा

मनोज दे जैसे युवाओं की कहानियों को सरकारी मंचों और मोटिवेशनल कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि देश के कोने-कोने में बैठे लाखों युवाओं को यह संदेश मिल सके कि “सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, उन्हें मेहनत से सच भी किया जाता है।”


■ निष्कर्ष

मनोज दे की यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर हमारे इरादे मजबूत हैं, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। उनका यह पोस्ट सिर्फ एक सोशल मीडिया अपडेट नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन गया है — मेहनत, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का।

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