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8 Aug 2025, Fri

ऑपरेशन महादेव: चीनी मोबाइल फोन ने कैसे उजागर किया पहलगाम में छिपे आतंकियों का ठिकाना?

Operation Mahadev: चीनी मोबाइल फोन ने कैसे उजागर किया पहलगाम में छिपे आतंकियों का ठिकाना?

ऑपरेशन महादेव: श्रीनगर के जंगलों में आतंकियों का सफाया, चीनी मोबाइल डिवाइस बनी गेमचेंजर

जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सुरक्षा बलों ने आतंक के खिलाफ बड़ी कामयाबी हासिल की है। ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत श्रीनगर के बाहरी इलाके दाचीगाम जंगल में सेना ने सोमवार को तीन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) आतंकियों को ढेर कर दिया। यह ऑपरेशन न केवल रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसमें तकनीक की भूमिका भी बेहद अहम रही — खासतौर पर एक चीनी सैटेलाइट मोबाइल डिवाइस ‘अल्ट्रासेट’, जिसने इस पूरे ऑपरेशन को दिशा दी।

यह ऑपरेशन उस समय अंजाम दिया गया जब सुरक्षाबलों को 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड और उसके दो सहयोगियों की लोकेशन की पुष्टि मिली। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।


तीनों आतंकी विदेशी, पहलगाम हमले से जुड़ा मास्टरमाइंड ढेर

सेना द्वारा मारे गए आतंकियों की पहचान सुलेमान उर्फ आसिफ, यासिर और अबू हमजा के रूप में हुई है। तीनों ही आतंकी पाकिस्तान से प्रशिक्षित और विदेशी नागरिक बताए जा रहे हैं।

इनमें से सुलेमान सबसे खतरनाक और वांछित आतंकी था, जो 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर अंजाम दिया गया था, और इसे भारत में अशांति फैलाने और अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की साजिश के रूप में देखा गया।


चीनी तकनीक बनी आतंकी नेटवर्क के विनाश की कुंजी

इस सफल ऑपरेशन की शुरुआत 11 जुलाई को उस समय हुई जब बैसरन क्षेत्र में तलाशी के दौरान सुरक्षाबलों को एक अत्याधुनिक चीनी सैटेलाइट मोबाइल डिवाइस मिला।

यह सामान्य मोबाइल की तरह GSM या CDMA नेटवर्क पर काम नहीं करता, बल्कि रेडियो वेव्स के जरिए संचालित होता है और सीधे एक विशिष्ट कंट्रोल सेंटर से जुड़ा रहता है। इस डिवाइस का नाम है — UltraSet (अल्ट्रासेट)


UltraSet: पाकिस्तान सेना की तकनीक बनी भारत की ताकत

अल्ट्रासेट’ को मूल रूप से पाकिस्तानी सेना के लिए डिजाइन किया गया था ताकि सीमावर्ती इलाकों में बिना ट्रेस हुए सुरक्षित संचार किया जा सके। लेकिन आतंकियों द्वारा इसी डिवाइस के प्रयोग ने उन्हें बेहद कमजोर स्थिति में डाल दिया।

क्योंकि अल्ट्रासेट डिवाइस सीधे कंट्रोल स्टेशन से जुड़ा होता है और अन्य डिवाइस से डायरेक्ट संवाद नहीं करता, इसलिए इसे ट्रैक करना आसान हो गया। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसकी गतिविधियों पर करीब से नजर रखनी शुरू की, और जैसे ही कोई सिग्नल एक्टिवेट होता, सुरक्षा बल सतर्क हो जाते।


तकनीक और मानव खुफिया का सटीक तालमेल

अल्ट्रासेट के जरिए मिल रहे सिग्नल्स को सेना ने ह्यूमन इंटेलिजेंस (HUMINT) के साथ क्रॉस-वेरिफाई किया। इससे यह साफ हो गया कि दाचीगाम के घने जंगलों में आतंकियों की गोपनीय मूवमेंट चल रही है।

सेना के पैरा स्पेशल फोर्स कमांडो दस्ते ने तुरंत घेराबंदी कर ऑपरेशन शुरू किया। कुछ ही घंटों में हुए मुठभेड़ में तीनों आतंकियों को मार गिराया गया। इस दौरान सेना को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, जो इस ऑपरेशन की योजना और निष्पादन की उत्कृष्टता को दर्शाता है।


ऑपरेशन महादेव बना आतंकवाद विरोधी रणनीति का प्रतीक

ऑपरेशन महादेव’ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता, गुप्तचर सूचनाओं की दक्षता, और मजबूत जमीनी रणनीति का जीवंत उदाहरण बन चुका है।

यह ऑपरेशन यह भी दर्शाता है कि आतंकवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल की जा रही विदेशी तकनीक, जब समझदारी से ट्रेस की जाए, तो वही उनकी कमजोरी बन सकती है।


आतंक के खिलाफ निर्णायक संदेश

इस ऑपरेशन ने न सिर्फ पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड को खत्म किया, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा के एक पूरे मॉड्यूल को भी निष्क्रिय कर दिया। यह उन विदेशी आतंकियों के लिए भी कड़ा संदेश है जो पाकिस्तान में बैठकर कश्मीर में अशांति फैलाने का मंसूबा रखते हैं।

भारत की सुरक्षा एजेंसियों की यह सफलता एक बार फिर यह साबित करती है कि आतंक का कोई चेहरा हो — तकनीक, रणनीति और संकल्प के सामने वह टिक नहीं सकता।


निष्कर्ष: आधुनिक युद्ध की नई परिभाषा

‘ऑपरेशन महादेव’ हमें यह सिखाता है कि आज के दौर में युद्ध सिर्फ बंदूक और बारूद से नहीं, बल्कि डेटा, डिवाइस और डिजिटल इंटेलिजेंस से लड़ा जा रहा है।

एक चीनी मोबाइल डिवाइस जो पाकिस्तान की सेना के लिए बनाया गया था, वही भारत की जीत का कारण बना — यह विरोधाभास ही बताता है कि सावधानी, सतर्कता और स्मार्ट तकनीक से किसी भी साजिश को नाकाम किया जा सकता है।

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