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8 Aug 2025, Fri

Bihar Election 2025: मतदाता सूची का प्रारूप जारी, सभी दलों को मिलेगी कॉपी, महागठबंधन ने जताई आपत्ति

Bihar Election 2025: मतदाता सूची का प्रारूप जारी,

Bihar Chunav 2025: मतदाता सूची को लेकर घमासान शुरू, महागठबंधन ने आयोग पर उठाए सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ अब तेज़ हो चुकी हैं। 1 अगस्त से राज्य में चुनाव आयोग द्वारा प्रारूप मतदाता सूची (Draft Electoral Roll) प्रकाशित कर दी गई है, जिसे आम जनता और सभी राजनीतिक दलों के लिए सार्वजनिक कर दिया गया है। लेकिन इस प्रक्रिया की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है

महागठबंधन ने मतदाता सूची में नामों की कथित कटौती पर गंभीर सवाल उठाए हैं, वहीं भारत निर्वाचन आयोग ने इसे पूरी तरह पारदर्शी और कानून सम्मत प्रक्रिया बताया है।


मतदाता सूची सार्वजनिक, 1 अगस्त से दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू

शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 को भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों के लिए प्रकाशित कर दिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि यह सूची एसआईआर (Special Intensive Revision) के तहत आयोग के SIR आदेश के पैरा 7(4) के अनुसार तैयार की गई है।

इस सूची को https://voters.eci.gov.in/download-eroll?stateCode=S04 पर ऑनलाइन देखा जा सकता है। साथ ही, इसकी डिजिटल और भौतिक प्रति सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी (DEO) द्वारा राज्य के सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जा रही है।

1 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोग दावे और आपत्तियां स्वीकार करेगा। इस अवधि में आम नागरिक, राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन मतदाता सूची में सुधार, नाम जोड़ने या गलतियों को ठीक करवाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।


आयोग की मंशा: पारदर्शिता और समावेशिता

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने अपने संदेश में स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य है:

  • चुनावी पारदर्शिता सुनिश्चित करना।

  • सभी पात्र नागरिकों को मताधिकार दिलाना।

  • गलत या फर्जी नाम हटाना और वास्तविक नामों को शामिल करना।

आयोग ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे अपने नाम की पुष्टि करें, और यदि कोई त्रुटि हो तो निर्धारित समयसीमा के भीतर सुधार के लिए आवेदन करें।


विपक्ष का आरोप: मतदाता सूची से “चुनिंदा नामों” की कटौती

ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन के तुरंत बाद विपक्षी महागठबंधन ने आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। राजद, कांग्रेस, भाकपा-माले समेत घटक दलों ने आशंका जताई है कि एसआईआर की आड़ में कई वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं।

गुरुवार को राजद कार्यालय में आयोजित बैठक में इस मुद्दे पर महागठबंधन की कानूनी उपसमिति ने विशेष चर्चा की। बैठक में राजद के वरिष्ठ नेता आलोक मेहता, कांग्रेस के संजय पांडेय, भाकपा-माले के कुमार परवेज, और अन्य नेता उपस्थित थे।

बैठक में तय किया गया कि महागठबंधन निर्वाचन आयोग से मांग करेगा कि:

  • उन सभी मतदाताओं की सूची साझा की जाए जिनके नाम हटाए गए हैं।

  • हटाने के पीछे क्या आधार था, उसकी जानकारी दी जाए।

  • प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए।

महागठबंधन का कहना है कि यह राजनीतिक मंशा से प्रेरित प्रयास हो सकता है, जिससे खास वर्गों या समुदायों को मताधिकार से वंचित किया जा रहा है।


नवगठित बूथों पर भी उठे सवाल

महागठबंधन ने बूथ पुनर्गठन को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। जानकारी के अनुसार, पहले जहां 77,895 मतदान केंद्र थे, अब इसमें 12,817 नए बूथों को जोड़ा गया है, जिससे कुल बूथों की संख्या 90,712 हो गई है।

विपक्षी दलों का कहना है कि:

  • नए बूथों में क्रम संख्या और स्थान में बदलाव के कारण मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बन रही है।

  • आयोग को चाहिए कि वह प्रत्येक नए बूथ की विस्तृत जानकारी, सीरियल नंबर, स्थान और मतदाता संख्या सार्वजनिक करे।


आयोग से उठाए जाएंगे सवाल, 1 अगस्त को बैठक में होगा विरोध

महागठबंधन ने निर्णय लिया है कि 1 अगस्त को आयोग के साथ होने वाली बैठक में सभी मुद्दों को औपचारिक रूप से उठाया जाएगा। वे आयोग से स्पष्टता और पारदर्शिता की मांग करेंगे।

विपक्ष की रणनीति है कि वे स्वतंत्र रूप से सत्यापन अभियान भी चलाएँगे और यह जानने का प्रयास करेंगे कि नामों की कटौती तथ्यात्मक है या राजनीति से प्रेरित।


निष्कर्ष

बिहार चुनाव 2025 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, और मतदाता सूची का प्रकाशन पहला बड़ा पड़ाव है। एक ओर आयोग पारदर्शिता और समावेशिता की बात कर रहा है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन इसे राजनीतिक साजिश मान रहा है।

आगामी हफ्तों में यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में और गर्मा सकता है। लेकिन इस सबके बीच बिहार के मतदाताओं को सतर्क और जागरूक रहना जरूरी है। यदि आपका नाम सूची में नहीं है, गलत है या बूथ बदल गया है, तो 1 सितंबर तक सुधार करवाना जरूरी है — क्योंकि एक वोट ही लोकतंत्र में आपकी सबसे बड़ी ताकत है।

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