वित्तीय रूप से सुरक्षित जीवन जीने की दिशा में सबसे पहला और अहम कदम होता है – इमरजेंसी फंड का निर्माण। यह फंड किसी भी आकस्मिक स्थिति जैसे नौकरी छूटना, गंभीर बीमारी, परिवार में आपातकालीन खर्च, या अन्य आर्थिक संकट के समय हमारी सुरक्षा का कवच बनता है। लेकिन सवाल यह है कि इमरजेंसी फंड बनाना कहां से शुरू करें और 6 महीने की इनकम के बराबर राशि कैसे इकट्ठा करें? इस लेख में हम इसी सवाल का विस्तृत जवाब दे रहे हैं।
🔎 इमरजेंसी फंड क्या होता है?
इमरजेंसी फंड वह रकम होती है जिसे विशेष रूप से आपातकालीन खर्चों के लिए बचाकर रखा जाता है। इसका उपयोग रोजमर्रा के खर्चों के लिए नहीं किया जाता, बल्कि यह सिर्फ उन स्थितियों के लिए होता है जब आमदनी रुक जाए या कोई अप्रत्याशित आर्थिक बोझ सामने आए।
🧮 कितना बड़ा होना चाहिए इमरजेंसी फंड?
NDTV Profit की रिपोर्ट के अनुसार, इमरजेंसी फंड की राशि निर्धारित करने के लिए आपकी मासिक जरूरतों को आधार माना जाना चाहिए।
इसमें आपके निम्नलिखित खर्च शामिल हों:
- घर का किराया/EMI
- राशन, दूध, सब्ज़ी आदि का खर्च
- बिजली, पानी, इंटरनेट जैसे यूटिलिटी बिल
- बच्चों की फीस
- दवा या स्वास्थ्य खर्च
- ट्रैवल या परिवहन खर्च
इन खर्चों का कुल जोड़ निकालने के बाद उसे 6 से गुणा करें। यह आपकी 6 महीने की आवश्यक मासिक आय के बराबर फंड होगा, जिसे आपको अपने इमरजेंसी फंड के रूप में इकट्ठा करना है।
🪙 इमरजेंसी फंड बनाने की स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया
1. खर्चों की सूची बनाएं और बजट तय करें
- सबसे पहले अपने हर महीने के अनिवार्य खर्चों को लिखें।
- देखें कि आपकी इनकम में से कितना हिस्सा खर्च हो रहा है और कितना बचाया जा सकता है।
2. बचत खाता अलग से खोलें
- इमरजेंसी फंड के लिए एक अलग सेविंग अकाउंट खोलें।
- यह खाता सिर्फ इमरजेंसी फंड के लिए होना चाहिए ताकि इस राशि का उपयोग अनावश्यक रूप से न किया जाए।
3. हर महीने ऑटोमेटिक ट्रांसफर सेट करें
- अपने वेतन वाले खाते से हर महीने एक तय राशि को इमरजेंसी फंड खाते में ऑटो डेबिट के ज़रिए ट्रांसफर करें।
- इस आदत से आपकी बचत नियमित और अनुशासित बनी रहेगी।
4. SIP या रेकरिंग डिपॉजिट का विकल्प
- अगर आप थोड़ा बेहतर रिटर्न चाहते हैं तो इमरजेंसी फंड का कुछ हिस्सा SIP (Systematic Investment Plan) या Recurring Deposit में डाल सकते हैं, बशर्ते वह जल्दी निकाला जा सके।
5. बोनस या एक्स्ट्रा इनकम से योगदान करें
- जब भी आपको बोनस, टैक्स रिफंड या किसी और स्रोत से अतिरिक्त आय मिले, उसका कुछ हिस्सा इमरजेंसी फंड में डालें।
💡 और किन बातों का रखें ध्यान?
- इमरजेंसी फंड पूरी तरह लिक्विड (Liquid) होना चाहिए यानी जब चाहें तब आसानी से निकाला जा सके।
- इस फंड को शेयर बाजार, म्युचुअल फंड या किसी जोखिम भरे निवेश में न लगाएं।
- अपने इमरजेंसी फंड की हर 6 महीने में समीक्षा करें। अगर आपकी आय या खर्च बढ़े हैं तो उसी अनुसार फंड को अपडेट करें।
🤔 क्या जरूरी है 6 महीने की रकम?
6 महीने का फंड एक मानक सुझाव है, लेकिन कुछ लोग अपनी स्थिति के अनुसार 3 महीने से 12 महीने तक का इमरजेंसी फंड भी रखते हैं। उदाहरण के लिए:
- अगर आप अकेले रहते हैं और नौकरी सुरक्षित है – 3 से 4 महीने का फंड काफी हो सकता है।
- अगर आप एक परिवार का खर्च उठाते हैं या फ्रीलांसर हैं – 6 से 12 महीने का फंड जरूरी हो सकता है।
📊 इमरजेंसी फंड और मानसिक शांति
- इमरजेंसी फंड सिर्फ आर्थिक नहीं, मानसिक सुरक्षा भी देता है।
- यह आपको बिना तनाव के निर्णय लेने में मदद करता है, जैसे नौकरी बदलना, ब्रेक लेना, या मेडिकल इमरजेंसी से निपटना।
- साथ ही, यह आपको कर्ज में डूबने से भी बचाता है।
✍️ निष्कर्ष
इमरजेंसी फंड कोई लग्ज़री नहीं बल्कि आज के दौर में एक जरूरत है। आर्थिक अनिश्चितताओं के समय में यह फंड आपकी और आपके परिवार की वित्तीय रीढ़ बन सकता है। सही योजना और थोड़े अनुशासन के साथ आप आसानी से 6 महीने की इनकम के बराबर इमरजेंसी फंड तैयार कर सकते हैं।
आज ही शुरुआत करें – छोटी राशि से, नियमितता के साथ।
📌 आपकी वित्तीय सुरक्षा की पहली सीढ़ी है इमरजेंसी फंड। इसे नजरअंदाज न करें!
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