Breaking
8 Aug 2025, Fri

भारत ने ट्रंप की टैरिफ धमकी का दिया करारा जवाब, ₹31,500 करोड़ का रक्षा सौदा रोका

भारत ने ट्रंप की टैरिफ धमकी का दिया करारा जवाब, ₹31,500 करोड़ का रक्षा सौदा रोका

भारत ने अमेरिका की टैरिफ चेतावनी के जवाब में रोका ₹31,500 करोड़ का पोसीडन डील, बोइंग को हो सकता है बड़ा झटका

भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों में एक नया मोड़ आया है। अमेरिका की टैरिफ धमकी का जवाब देते हुए भारत सरकार ने अमेरिका के साथ प्रस्तावित ₹31,500 करोड़ के एक बड़े रक्षा सौदे को अस्थायी रूप से रोक दिया है। यह सौदा अमेरिकी कंपनी बोइंग से छह P-8I पोसीडन एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट की खरीद के लिए किया जा रहा था, जो भारतीय नौसेना की समुद्री निगरानी क्षमताओं को और मजबूत करने वाला था।

अमेरिका की टैरिफ धमकी और भारत की प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान भारत पर 50% तक टैरिफ लगाने की धमकी दी गई। यह चेतावनी विशेष रूप से भारत के रूस से तेल आयात पर केंद्रित थी। ट्रंप ने भारत को यह कहकर निशाने पर लिया कि वह रूस से रियायती दरों पर तेल खरीद रहा है और इससे अमेरिकी हितों को नुकसान हो रहा है।

भारत ने ट्रंप की इस टिप्पणी को ‘दोहरे मापदंड’ का उदाहरण बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने स्पष्ट कहा है कि अमेरिका और यूरोपीय देश भी रूस से बड़े पैमाने पर तेल, गैस और उर्वरक आयात कर रहे हैं, फिर भी केवल भारत पर उंगली उठाना एकतरफा और पक्षपाती रवैया है।

भारत ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए Centre for Research on Energy and Clean Air (CREA) की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें बताया गया है कि पश्चिमी देश आज भी रूस से बड़ी मात्रा में ऊर्जा संसाधन आयात कर रहे हैं। ऐसे में भारत की ऊर्जा नीति पर सवाल उठाना अनुचित है।


पोसीडन डील पर लगी अस्थायी रोक

रक्षा वेबसाइट IDRW के अनुसार, भारत ने 3 अगस्त 2025 को अमेरिकी कंपनी बोइंग से प्रस्तावित छह P-8I पोसीडन विमानों की खरीद को फिलहाल टाल दिया है। यह डील भारतीय नौसेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही थी, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर।

P-8I पोसीडन विमान अत्याधुनिक एंटी-सबमरीन वारफेयर, समुद्री गश्त, खुफिया जानकारी एकत्र करने और सतह से सतह पर मार करने वाली NASM-MR मिसाइलों से लैस होते हैं। इनकी मारक क्षमता 350 किमी तक होती है और इन्हें दुनिया के सबसे उन्नत समुद्री निगरानी विमानों में गिना जाता है।


पहले भी कर चुका है भारत यह खरीद

भारत इस विमान को पहले भी खरीद चुका है। 2009 में पहली बार भारत ने अमेरिका से 8 पोसीडन विमान करीब $2.2 अरब में खरीदे थे। इसके बाद 2016 में 4 और विमान जोड़े गए। मई 2021 में अमेरिका ने भारत को 6 और P-8I विमान बेचने की मंजूरी दी थी, जिनकी कीमत तब ₹21,000 करोड़ आंकी गई थी। लेकिन जुलाई 2025 तक इनकी लागत बढ़कर ₹31,500 करोड़ हो गई।

यह डील भारतीय नौसेना के लिए हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही थी, लेकिन अमेरिका के हालिया बयानों ने भारत को अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया।


बोइंग को होगा आर्थिक नुकसान

अगर यह सौदा पूरी तरह रद्द होता है तो इसका सबसे बड़ा नुकसान अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग को होगा। बोइंग भारत में लगभग 5,000 लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार देती है और देश की अर्थव्यवस्था में सालाना ₹15,000 करोड़ से अधिक का योगदान करती है।

इस सौदे का स्थगन भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमताओं को थोड़े समय के लिए प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह भी तय है कि भारत अब इस दिशा में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा सकता है।


स्वदेशी विकल्पों की ओर बढ़ रहा भारत

भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत DRDO और HAL जैसे संस्थान मिलकर अब स्वदेशी समुद्री निगरानी विमानों के निर्माण पर काम कर रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से भारत की घरेलू रक्षा उत्पादन क्षमता को बल मिलेगा और भविष्य में विदेशी निर्भरता घटेगी।

यह कदम यह भी संकेत देता है कि भारत अब वैश्विक कूटनीति में सिर्फ एक निष्क्रिय भागीदार नहीं रहना चाहता, बल्कि आत्मसम्मान के साथ अपनी शर्तों पर निर्णय लेना चाहता है।


अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों पर असर?

हालांकि भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध पिछले दो दशकों में काफी मजबूत हुए हैं, लेकिन यह घटनाक्रम दर्शाता है कि राजनीतिक बयानबाजी इन संबंधों को प्रभावित कर सकती है। भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह किसी भी दबाव या धमकी के आगे नहीं झुकेगा और हर निर्णय राष्ट्रीय हितों के आधार पर लिया जाएगा।


निष्कर्ष: आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

भारत द्वारा बोइंग के साथ ₹31,500 करोड़ के रक्षा सौदे को अस्थायी रूप से रोकना केवल एक आर्थिक या तकनीकी फैसला नहीं है, बल्कि यह देश की रणनीतिक स्वायत्तता और कूटनीतिक दृढ़ता का संकेत है। यह दिखाता है कि भारत अब वैश्विक नीतियों में केवल ‘सुनने’ वाला नहीं, बल्कि ‘उत्तर देने’ वाला राष्ट्र बन चुका है।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है, और क्या भारत अपने स्वदेशी रक्षा उत्पादों से इस तकनीकी अंतर को भरने में सफल होता है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *