मुहर्रम पर झारखंड के कई इलाकों में तनाव: पुलिस और प्रशासन की बड़ी चुनौती
झारखंड में मुहर्रम जुलूस के दौरान कई स्थानों पर तनाव: पथराव, विवाद और पुलिस की सतर्कता ने बिगड़ते हालात पर लगाया ब्रेक
झारखंड में रविवार को मुहर्रम के मौके पर जहां एक ओर धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत माहौल देखा गया, वहीं कुछ स्थानों पर जुलूस के दौरान हालात बिगड़ते नजर आए। हजारीबाग, साहिबगंज और पलामू जैसे जिलों से झड़पों, विवाद और पथराव की खबरें सामने आईं। हालांकि, समय रहते पुलिस और प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण पा लिया, लेकिन इन घटनाओं ने सामाजिक सौहार्द को एक बार फिर से कठघरे में खड़ा कर दिया।
पलामू: जुलूस के दौरान पथराव और तलवार से हमला
पलामू जिले के पाटन क्षेत्र में मुहर्रम का जुलूस उस वक्त तनावपूर्ण बन गया जब दो समुदायों के बीच कहासुनी हिंसक झड़प में बदल गई। पुलिस और प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को शांत करने की कोशिश की, लेकिन तभी एक पक्ष की ओर से अचानक पत्थरबाज़ी शुरू हो गई।
इस बीच दो युवकों पर तलवार से हमला कर दिया गया। घायलों की पहचान गौतम कुमार सिंह और प्रवीण सिंह के रूप में हुई है, जिन्हें गंभीर चोटों के चलते पाटन के एक निजी अस्पताल ‘आशी केयर हॉस्पिटल’ में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया, लेकिन देर रात पुलिस ने हालात पर काबू पा लिया और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं।
हजारीबाग: झंडा विवाद ने रोका जुलूस
हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र स्थित बेलतु गांव में एक विवाद ने धार्मिक जुलूस को बीच रास्ते में ही रोक दिया। रानी तालाब कर्बला की ओर जा रहे जुलूस को गांव के लोगों ने रोक लिया। इस रुकावट के पीछे कारण बना झंडा लगाने को लेकर हुआ पुराना विवाद।
जानकारी के मुताबिक, बेलतु बाजारटांड़ इलाके में एक दिन पहले झंडा लगाने को लेकर दो पक्षों में तनातनी हो गई थी। दूसरे पक्ष ने मांग रखी कि जब तक झंडा नहीं हटाया जाएगा, तब तक जुलूस को आगे नहीं बढ़ने देंगे। इस सूचना पर सदर एसडीओ बैद्यनाथ कामती, बड़कागांव एसडीपीओ पवन कुमार, केरेडारी सीओ और बीडीओ मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों से संवाद किया और स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से संभालने का प्रयास किया।
साहिबगंज: पुलिस पर दुर्व्यवहार के आरोप, NH-80 रहा जाम
साहिबगंज जिले के तालझारी प्रखंड अंतर्गत महाराजपुर मोतीझरना गांव में मुहर्रम के मौके पर अखाड़ा जुलूस निकाला जा रहा था, लेकिन इस दौरान थाना प्रभारी नीतीश पांडे और अखाड़ा कमेटी के सदस्यों के बीच तीखी बहस हो गई।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि थाना प्रभारी ने महिलाओं और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार किया। इसको लेकर आक्रोशित ग्रामीणों ने राष्ट्रीय राजमार्ग NH-80 को जाम कर दिया और थाना प्रभारी को हटाने की मांग करने लगे। स्थिति बिगड़ती देख डीएसपी रूपक कुमार मौके पर पहुंचे और करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद प्रदर्शनकारियों को शांत कर सड़क से हटाया गया।
पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी से टली बड़ी अनहोनी
हालांकि इन घटनाओं ने पूरे राज्य में चिंता की लहर फैला दी, लेकिन प्रशासन ने पूरी सतर्कता और संवेदनशीलता से स्थिति को काबू में लिया। सभी प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है और कुछ संवेदनशील जगहों पर धारा 144 लागू कर दी गई है ताकि किसी भी तरह की नई झड़प या अफवाह फैलने से रोका जा सके।
सोशल मीडिया पर भी निगरानी
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित करने वाली कोई पोस्ट या मैसेज वायरल न हो सके।
समाज के लिए सबक
झारखंड में मुहर्रम के दौरान जो घटनाएं हुईं, वे हमारे समाज को यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हम धार्मिक आयोजनों को शांतिपूर्ण ढंग से नहीं मना सकते? क्या छोटी-छोटी बातों को लेकर हिंसा, विरोध और सड़क जाम ही एकमात्र रास्ता रह गया है?
धार्मिक स्वतंत्रता और परंपराएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनसे बड़ा है आपसी सौहार्द और कानून का पालन। झारखंड जैसे विविधता से भरे राज्य में हर धर्म और समुदाय का योगदान है। ऐसे में जरूरी है कि हम संयम, संवाद और सहमति को प्राथमिकता दें।