उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: NDA की मजबूत पकड़, फिर भी विपक्ष से समर्थन की मांग – समझें पूरा नंबर गेम
भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव बेहद अहम होता है। इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर सियासत तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है, जबकि विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA ब्लॉक अभी तक अपने पत्ते नहीं खोला है। दिलचस्प बात यह है कि NDA के पास पहले से ही पर्याप्त संख्याबल मौजूद है, फिर भी सरकार विपक्ष से समर्थन की मांग कर रही है। आखिर इसकी वजह क्या है और चुनावी गणित क्या कहता है? आइए विस्तार से समझते हैं।
NDA ने खोला पत्ता – सी.पी. राधाकृष्णन उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को संसदीय दल की बैठक में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के नाम का ऐलान किया। राधाकृष्णन तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले से आते हैं और लंबे समय से संगठन व राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उनके नाम पर NDA के सहयोगी दल तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनता दल (यूनाइटेड) और पवन कल्याण की जन सेना पार्टी ने भी समर्थन दे दिया है।
NDA के इस कदम से साफ है कि उन्होंने चुनाव को लेकर एकतरफा बढ़त बनाने की कोशिश की है।
INDIA ब्लॉक में उलझन
दूसरी तरफ, विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक की ओर से अभी उम्मीदवार का नाम तय नहीं किया गया है। कई दल आपसी सहमति बनाने में जुटे हैं। हालांकि, यह साफ है कि NDA ने विपक्ष पर दबाव बना दिया है। इस बीच बीजेपी ने विपक्ष से समर्थन की मांग भी की है। सवाल उठता है कि जब NDA के पास पर्याप्त बहुमत है तो फिर विपक्ष से समर्थन मांगने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
चुनावी गणित और नंबर गेम
उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों के सांसद वोट डालते हैं।
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कुल सांसदों की संख्या: 782
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लोकसभा: 542
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राज्यसभा: 240
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बहुमत के लिए कम से कम 382 वोटों की जरूरत होती है।
अब आइए देखें कि किसके पास कितना संख्याबल है:
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NDA:
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लोकसभा: 293 सांसद
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राज्यसभा: 134 सांसद
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कुल समर्थन: 427 सांसद
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INDIA ब्लॉक:
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लोकसभा: 249 सांसद
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राज्यसभा: 106 सांसद
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कुल समर्थन: 355 सांसद
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हालांकि इनमें से करीब 133 वोट अनिर्णीत बताए जा रहे हैं, जो न तो NDA के पाले में हैं और न ही पूरी तरह INDIA ब्लॉक के। यही वोट इस चुनाव को दिलचस्प बना सकते हैं।
स्पष्ट है कि आंकड़ों के हिसाब से NDA की पकड़ मजबूत है।
क्रॉस वोटिंग की संभावना
विशेषज्ञ मानते हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव में कई बार क्रॉस वोटिंग देखने को मिलती है। यानी, कुछ सांसद अपनी पार्टी लाइन से हटकर दूसरे उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाल सकते हैं। यही वजह है कि NDA और ज्यादा आश्वस्त है कि उनका उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन आसानी से जीत हासिल करेंगे।
विपक्ष के बिखरने का खतरा
NDA की रणनीति सिर्फ जीत तक सीमित नहीं है, बल्कि विपक्ष को कमजोर करना भी है। सी.पी. राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं, और यह माना जा रहा है कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी DMK भी उन्हें समर्थन दे सकती है। अगर ऐसा होता है तो INDIA ब्लॉक की एक बड़ी पार्टी अलग-थलग पड़ सकती है।
यानी, NDA ने उम्मीदवार चयन में क्षेत्रीय समीकरण का भी ध्यान रखा है।
निर्विरोध चुनाव की कोशिश
NDA की ओर से इस चुनाव की कमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी गई है, जबकि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को चुनाव एजेंट बनाया गया है। उम्मीदवार की घोषणा के बाद राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन कर समर्थन की अपील भी की।
सरकार की यह कोशिश है कि सी.पी. राधाकृष्णन निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने जाएं। अगर ऐसा होता है तो यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पांचवीं बार होगा जब उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुना जाएगा।
अब तक कितनी बार निर्विरोध उपराष्ट्रपति बने?
आजादी के बाद से अब तक 16 बार उपराष्ट्रपति चुनाव हुए हैं। इनमें से 4 बार उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुने गए।
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन – 2 बार
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डॉ. जाकिर हुसैन – 1 बार
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मोहम्मद हिदायतुल्लाह – 1 बार
अगर राधाकृष्णन निर्विरोध चुने जाते हैं तो यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
नतीजा क्या होगा?
गणित और समीकरण साफ बता रहे हैं कि NDA का पलड़ा भारी है। उनके पास 427 सांसदों का समर्थन है, जबकि बहुमत के लिए 382 की आवश्यकता है। विपक्ष भले ही एकजुट होकर मुकाबला करे, लेकिन NDA के पास पर्याप्त संख्या है।
फिर भी विपक्ष से समर्थन मांगकर बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि उपराष्ट्रपति का पद सर्वसम्मति से चुना जाना चाहिए और इससे लोकतांत्रिक परंपरा और मजबूत होगी।
निष्कर्ष
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 केवल एक औपचारिकता जैसा लग रहा है, क्योंकि संख्याबल के आधार पर NDA का उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन पहले ही विजेता दिखाई देते हैं। लेकिन असली दिलचस्पी इस बात में होगी कि क्या विपक्ष एकजुट रह पाता है या कुछ दल NDA का साथ देकर INDIA ब्लॉक को कमजोर कर देंगे। साथ ही, क्या राधाकृष्णन निर्विरोध चुने जाएंगे?
आगामी दिनों में यह साफ हो जाएगा कि यह चुनाव केवल गणित का खेल रहेगा या राजनीति के नए समीकरण भी सामने लाएगा।