चतरा में भीषण बाढ़: बसाने नदी ने दिखाया रौद्र रूप, डूबे कई घर-मकान, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
झारखंड के चतरा जिले में मूसलधार बारिश के बाद हालात बेहद खराब हो चुके हैं। इटखोरी प्रखंड में लगातार हो रही भारी वर्षा के कारण नदियाँ उफान पर हैं। विशेषकर पितीज गुल्ली क्षेत्र की बसाने नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। देखते ही देखते जलस्तर इतना बढ़ गया कि कई गांवों में पानी घुस गया और दर्जनों घर, दो मंजिला मकान और यहाँ तक कि मुर्गी फार्म तक डूब गए। अचानक आई इस आपदा ने ग्रामीणों को भयभीत कर दिया है। कई लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भागने को मजबूर हो गए।
अचानक आई बाढ़ से हड़कंप
शुक्रवार सुबह 6 बजे के बाद बसाने नदी का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ने लगा। पितीज, राणा टोला, पारनाला बस्ती और यादव टोला जैसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। ग्रामीणों ने बताया कि जैसे ही उन्होंने पानी का स्तर बढ़ता देखा, तुरंत घर छोड़कर भागना पड़ा। यही वजह रही कि कई परिवारों की जान बच सकी। लेकिन इस बाढ़ ने उनका सब कुछ छीन लिया।
घर और संपत्ति जलमग्न
पितीज गांव के मुन्ना यादव का दो मंजिला मकान पूरी तरह बाढ़ में डूब गया। घर में रखा सारा सामान जैसे बिस्तर, पलंग, नकद, जेवर और खाद्यान्न सब नष्ट हो गया। परिवार के लोग छत पर चढ़कर किसी तरह अपनी जान बचा पाए। वहीं, कन्हाई यादव जैसे कई ग्रामीण घर से भागकर खेतों में शरण लेने को मजबूर हो गए।
पितीज मेला टांड़ क्षेत्र में भी तबाही मची। नांदो यादव के घर तक पानी पहुंच गया। हुरनाली के चंदर महतो का मकान पूरी तरह डूब गया। गुल्ली के इंद्रदेव दांगी का मुर्गी फार्म भी पानी में बह गया। इस दौरान लाखों का नुकसान होने की आशंका है।
गांवों में दहशत का माहौल
बाढ़ के पानी का स्तर इतना बढ़ गया कि इटखोरी-चतरा मुख्य सड़क पर बने पुल से महज 2 फुट नीचे तक पानी आ गया। नदी किनारे बसे गांव जैसे राणा टोला, पारनाला, यादव टोला और पितीज मेला टांड़ के लोग अब भी दहशत में हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि वे रातभर सो भी नहीं पाए क्योंकि नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा था।
बिजली और पेड़ों को भी भारी नुकसान
तेज बहाव के कारण दर्जनों बिजली के पोल उखड़ गए। सैकड़ों पेड़ जड़ से उखड़कर बह गए। इससे पूरे इलाके की बिजली आपूर्ति प्रभावित हो गई है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में अंधेरा छाया हुआ है और ग्रामीणों को मोबाइल चार्ज करने जैसी बुनियादी सुविधाओं में भी परेशानी हो रही है।
लोगों की भीड़ और खतरा
बाढ़ का नजारा देखने के लिए पितीज गुल्ली और आसपास के गांवों से लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। हालांकि प्रशासन ने चेतावनी दी है कि ऐसे हालात में नदी किनारे भीड़ लगाना बेहद खतरनाक हो सकता है। लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण गुल्ली-कान्हाचट्टी मार्ग पर भी पानी बह रहा है।
प्रशासन की पहल: बीडीओ ने किया निरीक्षण
इटखोरी प्रखंड के बीडीओ सोमनाथ बंकिरा ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने ग्रामीणों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की। प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया है। कई जगहों पर नाव और रेस्क्यू टीम की तैनाती की गई है ताकि फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला जा सके।
मानसून में सामान्य से ज्यादा बारिश
झारखंड में इस बार मानसून ने औसत से कहीं ज्यादा बारिश दी है। चतरा जिले में भी स्थिति यही है। 1 जून से 22 अगस्त तक जिले में 803.7 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जबकि सामान्य वर्षा 675.7 मिमी मानी जाती है। इस तरह इस बार औसत से लगभग 19 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। यही कारण है कि नदियां उफान पर हैं और अचानक बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है।
ग्रामीणों की दुश्वारियां
ग्रामीणों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती भोजन और आश्रय की है। जिन घरों में अनाज और खाद्यान्न रखा हुआ था, वह सब पानी में बह गया। कई परिवार अब खुले आसमान के नीचे या स्कूलों और पंचायत भवनों में शरण ले रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
प्रशासन और सरकार से मदद की उम्मीद
ग्रामीणों ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से जल्द राहत पैकेज की मांग की है। उनका कहना है कि बाढ़ ने उनकी आजीविका और आशियाने दोनों छीन लिए हैं। खेत भी जलमग्न हो गए हैं, जिससे आने वाले दिनों में फसलों पर भी खतरा मंडरा रहा है।
निष्कर्ष
चतरा जिले की यह भीषण बाढ़ केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि यह हजारों लोगों के जीवन और आजीविका पर संकट है। प्रशासनिक स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, लेकिन जब तक स्थायी समाधान और राहत नहीं पहुंचती, तब तक प्रभावित परिवारों का संकट टलने वाला नहीं है। इस समय सबसे ज़रूरी है कि लोग अफवाहों से दूर रहें, प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और एक-दूसरे की मदद करें।