Breaking
12 Sep 2025, Fri

CBI Raid: अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी

CBI Raid: अनिल अंबानी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को एक बड़े पैमाने पर बैंक धोखाधड़ी के मामले में रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और इसके पूर्व प्रमोटर अनिल अंबानी से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई के तहत कई दस्तावेज़ और डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं। मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, CBI ने एक प्राथमिकी (FIR) भी दर्ज की है।

यह कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब वित्तीय अनियमितताओं और बड़े ऋण घोटालों की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य एजेंसियां लगातार सक्रिय हैं। विशेष तौर पर, अनिल अंबानी से हाल ही में ED ने 5 अगस्त को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करीब 10 घंटे पूछताछ की थी।


मामला क्या है?

RCOM और उसके पूर्व प्रमोटर अनिल अंबानी पर आरोप है कि उन्होंने बैंकों से हजारों करोड़ रुपये के ऋण लिए लेकिन उन्हें चुकाने में नाकाम रहे। जांच एजेंसियों को शक है कि इन ऋणों का इस्तेमाल नियमानुसार न होकर अन्य उद्देश्यों में किया गया, जिससे बैंकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

CBI के अनुसार, इस कथित घोटाले की रकम 17,000 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। इनमें से केवल भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को ही करीब 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


आरकॉम के खिलाफ दर्ज मामला

CBI ने शनिवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया और फिर मुंबई तथा दिल्ली समेत कई परिसरों पर छापे मारे। छापेमारी के दौरान एजेंसी ने वित्तीय लेन-देन से जुड़े अहम कागजात, डिजिटल डेटा और ईमेल रिकॉर्ड जब्त किए हैं।

अधिकारियों ने संकेत दिया कि आगे की जांच में यह पता लगाया जाएगा कि बैंकों से लिए गए लोन का वास्तविक उपयोग कहाँ किया गया और क्या इसमें जानबूझकर ग़लतबयानी या वित्तीय गड़बड़ी की गई थी।


संसद में उठ चुका है मुद्दा

यह मामला संसद में भी गूंज चुका है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले महीने लोकसभा में जानकारी दी थी कि कुछ संस्थाओं को धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों की सूची में शामिल किया गया है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों और बैंकों की बोर्ड द्वारा मंजूर नीतियों के तहत लिया गया। इन नियमों के अनुसार, जब किसी वित्तीय अनियमितता या धोखाधड़ी का पता चलता है तो उसकी पहचान, रिपोर्टिंग और प्रबंधन की जिम्मेदारी बैंक और नियामक संस्थाओं की होती है।

पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा था:

“24 जून 2025 को बैंक ने आरबीआई को धोखाधड़ी की सूचना दी थी और सीबीआई में भी शिकायत दर्ज कराई जा रही है।”


ED और CBI की संयुक्त कार्रवाई क्यों अहम है?

यह छापेमारी केवल एक कंपनी तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे यह संकेत मिलता है कि अब सरकार और जांच एजेंसियां कॉरपोरेट जगत में वित्तीय पारदर्शिता को लेकर ज्यादा सख्ती अपना रही हैं।

अनिल अंबानी समूह पिछले कई वर्षों से कर्ज़ संकट से जूझ रहा है। खासकर रिलायंस कम्युनिकेशंस, जिसने टेलीकॉम सेक्टर में कभी बड़ी मौजूदगी बनाई थी, लेकिन 2010 के बाद बढ़ते कर्ज और प्रतिस्पर्धा के चलते धीरे-धीरे कंपनी का पतन होने लगा।

अब जब बैंकों को हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है, तो यह मामला सरकार और नियामक संस्थाओं के लिए उच्च प्राथमिकता बन गया है।


पब्लिक रिएक्शन और बाज़ार पर असर

CBI की इस छापेमारी की खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं। कई यूजर्स ने कहा कि बड़े उद्योगपतियों को भी अब कानून के दायरे में लाया जा रहा है, जबकि कुछ ने सवाल उठाया कि इतने लंबे समय तक इन घोटालों को नज़रअंदाज़ क्यों किया गया।

शेयर बाजार पर इसका मिला-जुला असर देखने को मिला। निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ने से RCOM से जुड़ी कंपनियों और उनके पुराने निवेशकों में चिंता का माहौल है।


आगे क्या होगा?

CBI की अगली कार्रवाई इस बात पर निर्भर करेगी कि जब्त किए गए दस्तावेज़ और डिजिटल रिकॉर्ड में क्या तथ्य सामने आते हैं। अगर आरोप पुख्ता साबित होते हैं, तो अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही हो सकती है।

इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य वित्तीय नियामक एजेंसियां भी इस मामले में सक्रिय रह सकती हैं क्योंकि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी निवेश नियमों के उल्लंघन जैसी संभावनाओं की जांच की जा रही है।


निष्कर्ष

CBI की यह छापेमारी सिर्फ एक उद्योगपति या कंपनी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय बैंकिंग सेक्टर और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। सरकार और जांच एजेंसियां अब बड़े से बड़े नामों के खिलाफ भी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हट रहीं।

अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़ा यह केस आने वाले दिनों में भारतीय वित्तीय जगत के लिए टेस्ट केस साबित हो सकता है। अगर दोष सिद्ध होते हैं, तो यह भविष्य में बैंकों और कंपनियों के बीच कामकाज की पारदर्शिता और सख़्ती को और बढ़ावा देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *