सूर्या हांसदा एनकाउंटर: गोड्डा पहुंची NCST टीम, जांच में कई सवाल अनसुलझे
झारखंड के गोड्डा जिले में हुए सूर्या हांसदा एनकाउंटर का मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। 10 अगस्त को हुई इस मुठभेड़ में पुलिस ने दावा किया था कि सूर्या हांसदा पर कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे और वह अपराध गतिविधियों में शामिल था। वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोग और विपक्ष का कहना है कि हांसदा एक सामाजिक कार्यकर्ता थे और उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। इसी विवाद के बीच रविवार, 24 अगस्त को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) की आठ सदस्यीय टीम गोड्डा पहुंची और मामले की जांच शुरू की।
आयोग की टीम ने किया स्थल निरीक्षण
NCST टीम का नेतृत्व आयोग की सदस्य आशा लकड़ा कर रही थीं। टीम ने सबसे पहले सूर्या हांसदा के पैतृक गांव लालमटिया का दौरा किया और परिजनों से मुलाकात कर घटना की जानकारी ली। इसके अलावा टीम ने रहदबड़िया पहाड़ी का भी निरीक्षण किया, जहां पुलिस और हांसदा के बीच मुठभेड़ हुई थी।
जांच के दौरान आयोग की टीम ने जिला उपायुक्त अंजलि यादव और पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार से भी मुलाकात की। टीम ने घटना से जुड़े दस्तावेज और जानकारी मांगी, ताकि पूरे मामले की तह तक पहुंचा जा सके।
पुलिस के दावों पर उठे सवाल
जांच के बाद आशा लकड़ा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पुलिस के दावों में कई कड़ियां गायब हैं। पुलिस का कहना है कि सूर्या हांसदा पर 25 आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन स्थानीय लोग उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानते थे। आयोग ने जिला प्रशासन से सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। इसके साथ ही SIT में शामिल पुलिसकर्मियों के नाम और हांसदा के खिलाफ दर्ज सभी मामलों की प्रतियां भी मांगी गई हैं।
विपक्ष का हमला
इस पूरे घटनाक्रम ने झारखंड की राजनीति को भी गरमा दिया है। भाजपा सांसद दीपक प्रकाश की शिकायत पर ही राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लिया। विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने तो इस मुठभेड़ को साजिश करार देते हुए सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।
राज्य विधानसभा में भी विपक्षी विधायक लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। उनका कहना है कि हांसदा की हत्या को एनकाउंटर का नाम दिया गया और इसके पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं। वहीं, सरकार का रुख है कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए इसे सीआईडी को सौंप दिया गया है।
सूर्या हांसदा का राजनीतिक सफर
सूर्या हांसदा केवल सामाजिक कार्यों और विवादित गतिविधियों के कारण ही सुर्खियों में नहीं थे, बल्कि उनका राजनीतिक जीवन भी चर्चा का विषय रहा है। वर्ष 2019 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर बोड़ियो विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद वर्ष 2024 में उन्होंने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JKLM) से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाई, मगर वहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
राजनीति में सक्रिय रहने और क्षेत्रीय स्तर पर संगठन खड़ा करने की कोशिशों के चलते हांसदा का एक खासा जनाधार भी था। यही कारण है कि उनकी मौत के बाद न केवल स्थानीय लोग बल्कि राजनीतिक दल भी इसे गंभीरता से उठा रहे हैं।
आयोग की जांच से उम्मीदें
NCST टीम की मौजूदगी से पीड़ित परिवार और स्थानीय लोगों में यह उम्मीद जगी है कि मामले की असलियत सामने आएगी। आयोग की सदस्य आशा लकड़ा ने साफ कहा कि जांच पूरी होने से पहले किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। हालांकि, उनके इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पुलिस की कहानी और जमीनी हकीकत में फर्क हो सकता है।
अब सबकी निगाहें आयोग की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति और प्रशासन दोनों के लिए बड़ा सवाल खड़ा कर सकती है।
निष्कर्ष
सूर्या हांसदा एनकाउंटर का मामला केवल एक अपराधी और पुलिस की मुठभेड़ तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राजनीति, सामाजिक पहचान और न्यायिक प्रक्रिया—तीनों के पहलू जुड़े हुए हैं। विपक्ष इसे सरकार की विफलता और राजनीतिक षड्यंत्र बता रहा है, तो पुलिस इसे एक आपराधिक कार्रवाई का अंत मान रही है। ऐसे में NCST की जांच रिपोर्ट ही यह तय करेगी कि सूर्या हांसदा की मौत वास्तव में मुठभेड़ थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश छिपी है।
