झारखंड के आदिवासी नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रखर नेता शिबू सोरेन को मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग अब जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। उनके पैतृक गांव नेमरा से राजधानी रांची तक चल रही तीन दिवसीय पदयात्रा इस मांग को लेकर जनता की आवाज़ को संगठित कर रही है।
पदयात्रा की शुरुआत
पदयात्रा की शुरुआत शुक्रवार को शिबू सोरेन के पैतृक आवास के समीप से हुई, जहाँ मिट्टी का कलश रखा गया और इसे रांची तक ले जाने का संकल्प लिया गया। यह कलश राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक पहुंचाकर गुरुजी को भारत रत्न देने की मांग का प्रतीक होगा।
इस अवसर पर रामगढ़ जिला परिषद सदस्य रेखा सोरेन, जो गुरुजी की भतीजी हैं, ने राष्ट्रीय युवा शक्ति के कार्यकर्ताओं को कलश सौंपा और कहा कि शिबू सोरेन की स्मृतियों को संरक्षित करना और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाना हर झारखंडवासी का कर्तव्य है।
शिबू सोरेन का योगदान
पदयात्रा में शामिल लोगों ने जोर देकर कहा कि शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि समाज सुधारक और आंदोलनकारी भी थे। उनका योगदान कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रहा:
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आदिवासी अधिकार: उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित कर उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।
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शिक्षा और स्वास्थ्य: गरीब और वंचित वर्ग के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा दिया।
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नशामुक्ति और पर्यावरण संरक्षण: समाज में नशामुक्ति और पर्यावरण संरक्षण के संदेश फैलाए।
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झारखंड राज्य की स्थापना: राज्य गठन की ऐतिहासिक लड़ाई में उन्होंने निर्णायक भूमिका निभाई।
समर्थक मानते हैं कि शिबू सोरेन के योगदान को भारत रत्न से सम्मानित करना उनकी निष्ठा और देश सेवा के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
पदयात्रा का मार्ग और कार्यक्रम
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शुरुआत: नेमरा (शिबू सोरेन का पैतृक गांव)
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पहला विश्राम: गोला (रात्रि विश्राम)
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अंतिम लक्ष्य: रांची, जहाँ राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
रात्रि विश्राम के बाद शनिवार को पदयात्रा फिर से शुरू हुई और रविवार को यह रांची पहुंचेगी। इस यात्रा में राष्ट्रीय युवा शक्ति के कार्यकर्ता और समर्थक बड़ी संख्या में शामिल हैं।
जनसमर्थन और नारे
पदयात्रा के दौरान लोग लगातार नारे लगा रहे थे, जैसे:
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“गुरुजी अमर रहें”
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“भारत रत्न शिबू सोरेन”
इसमें शामिल लोगों ने कहा कि गुरुजी हमेशा गरीब, मजदूर और किसानों के लिए आवाज बुलंद करते रहे। उनकी राजनीति सत्ता के लिए नहीं, बल्कि समाज के उत्थान और अधिकारों के लिए थी। यही कारण है कि आज झारखंड ही नहीं, पूरे देश में लोग मानते हैं कि शिबू सोरेन को भारत रत्न दिया जाना चाहिए।
पदयात्रा में शामिल लोग
पदयात्रा में राष्ट्रीय युवा शक्ति के कई वरिष्ठ और युवा कार्यकर्ता शामिल हैं, जिनमें:
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सावन लिंडा – केंद्रीय कोषाध्यक्ष
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उमेश साहू
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नितेश वर्मा
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शैलेश नंद तिवारी
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रोहित यादव
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सोनू गुप्ता
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आर्यन मेहता
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बबलू करमाली
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दिलीप यादव
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अमित वर्मा
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रौनक सिंह
साथ ही, स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोग और समाज सुधारक भी पदयात्रा में शामिल हैं।
आंदोलन का महत्व
यह पदयात्रा और जनांदोलन कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
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राष्ट्रीय मान्यता: शिबू सोरेन के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने का प्रयास।
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आदिवासी अधिकार: आदिवासी समाज और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
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सामाजिक संदेश: समाज सुधार और नैतिक राजनीति का संदेश फैलाना।
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एकता और जनभागीदारी: आम लोगों को सक्रिय कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष
शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की मांग अब केवल एक राजनीतिक पहल नहीं बल्कि जनभावनाओं की आवाज़ बन चुकी है। गोला से रांची तक की पदयात्रा ने इस आंदोलन को सशक्त रूप दिया है। पदयात्रा के माध्यम से न केवल गुरुजी की स्मृति को सम्मानित किया जा रहा है, बल्कि आदिवासी समाज के उत्थान और झारखंड के गौरव को भी राष्ट्रीय स्तर पर पेश किया जा रहा है।
समर्थक उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार करेगी और शिबू सोरेन के योगदान को भारत रत्न से सम्मानित करके देश और आदिवासी समाज को सच्ची श्रद्धांजलि दी जाएगी।