Breaking
11 Sep 2025, Thu

PM मुद्रा योजना: छोटे कारोबारियों और महिलाओं को नई पहचान, 10 सालों में 32 लाख करोड़ से अधिक का वितरण

PM मुद्रा योजना: छोटे कारोबारियों और महिलाओं को नई पहचान, 10 सालों में 32 लाख करोड़ से अधिक का वितरण

PM मुद्रा योजना: छोटे कारोबारियों और महिलाओं को नई पहचान, 10 सालों में 32 लाख करोड़ से अधिक का वितरण


📌 परिचय

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PM Mudra Yojana) भारत सरकार की एक ऐसी ऐतिहासिक योजना है जिसने बीते दस वर्षों में करोड़ों छोटे कारोबारियों और स्वरोज़गार से जुड़े लोगों को नई पहचान दी है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी, और आज यह आत्मनिर्भर भारत के सबसे बड़े स्तंभों में से एक बन चुकी है।

योजना का उद्देश्य स्पष्ट था—“फंडिंग द अनफंडेड” यानी उन छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को ऋण उपलब्ध कराना जो अब तक औपचारिक बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली से दूर थे।


📊 अब तक की उपलब्धियाँ

  • 2015 से अब तक 52 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए।

  • लगभग ₹32.61 लाख करोड़ का वितरण हुआ।

  • औसत ऋण राशि 2016 में जहाँ ₹38,000 थी, वही अब 2025 में बढ़कर ₹1 लाख से भी अधिक हो चुकी है।

  • योजना के तीन चरण—शिशु (₹50,000 तक), किशोर (₹50,000–₹5 लाख), तरुण (₹5–₹10 लाख)—छोटे व्यवसायों को शुरू करने और विस्तार देने में अहम साबित हुए हैं।


👩‍🦰 महिलाओं को सबसे बड़ा लाभ

PM मुद्रा योजना की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इसके 68% लाभार्थी महिलाएँ रही हैं।

  • महिलाओं को इस योजना से स्वरोज़गार का अवसर मिला।

  • छोटे स्तर पर काम करने वाली महिला उद्यमी—जैसे बुटीक, डेयरी, सिलाई-कढ़ाई, किराना स्टोर और ऑनलाइन बिज़नेस करने वाली महिलाएँ—ने इस योजना से सीधे लाभ उठाया।

  • आँकड़े बताते हैं कि महिलाओं को मिलने वाली औसत ऋण राशि पिछले नौ वर्षों में लगातार बढ़ी है और इससे उनका आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम हुआ है।


🏞️ SC/ST और OBC वर्ग को सशक्तिकरण

  • इस योजना का एक और अहम पहलू यह है कि इसके आधे से ज्यादा लाभार्थी SC/ST और OBC वर्ग से हैं।

  • समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों को पहली बार औपचारिक बैंकिंग तंत्र से जुड़ने का मौका मिला।

  • यह कदम वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) की दिशा में क्रांतिकारी साबित हुआ है।


📍 राज्यवार उपलब्धियाँ

योजना की पहुँच पूरे देश में है, लेकिन कुछ राज्यों ने सबसे ज़्यादा लाभ लिया है—

  • तमिलनाडु: ₹3.23 लाख करोड़ से अधिक

  • उत्तर प्रदेश: ₹3.14 लाख करोड़

  • कर्नाटक: ₹3.02 लाख करोड़

  • पश्चिम बंगाल: ₹2.82 लाख करोड़

  • बिहार: ₹2.81 लाख करोड़

  • महाराष्ट्र: ₹2.74 लाख करोड़

केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर सबसे आगे रहा है जहाँ 21 लाख से ज्यादा खातों के माध्यम से ₹45,815 करोड़ से अधिक का वितरण हुआ है।


🏢 MSME क्षेत्र में योगदान

भारत की अर्थव्यवस्था में MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) की भूमिका महत्वपूर्ण है। मुद्रा योजना ने MSME क्षेत्र में नए प्राण फूँक दिए हैं—

  • 2014 में MSME क्षेत्र को कुल ₹8.5 लाख करोड़ का ऋण मिलता था।

  • 2024 में यह आँकड़ा बढ़कर ₹27 लाख करोड़ हो गया।

  • 2025 में यह आँकड़ा 30 लाख करोड़ के पार पहुँचने की ओर है।

इससे साफ है कि मुद्रा योजना ने न केवल छोटे व्यवसायों को सहारा दिया बल्कि बैंकिंग प्रणाली में भी उनका योगदान मजबूत किया।


🚀 सकारात्मक असर

  1. रोज़गार सृजन – करोड़ों युवाओं और महिलाओं ने स्वरोज़गार अपनाया।

  2. ग्रामीण क्षेत्रों में विकास – गाँवों और कस्बों तक योजना की पहुँच ने स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा दिया।

  3. आर्थिक स्वतंत्रता – महिलाएँ और वंचित वर्ग अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े हैं।

  4. बैंकिंग से जुड़ाव – पहले जिन लोगों के पास बैंक खाता भी नहीं था, वे अब क्रेडिट सिस्टम का हिस्सा हैं।


⚠️ चुनौतियाँ भी हैं

हालांकि योजना ने जबरदस्त सफलता हासिल की है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं—

  • वंचित वर्ग के अधिकांश लोग अभी भी शिशु कैटेगरी (₹50,000 तक) तक सीमित हैं, जबकि किशोर और तरुण श्रेणियों तक पहुँच कम है।

  • दस्तावेज़ी प्रक्रिया जैसे GST, Udyam रजिस्ट्रेशन, PAN और क्रेडिट स्कोर की कमी कई उद्यमियों के लिए बाधा बनती है।

  • कई बार छोटे व्यवसायों को जागरूकता की कमी के कारण योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।


🔑 सुधार की दिशा

  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को और सरल व पारदर्शी बनाना।

  • स्थानीय भाषाओं में प्रचार ताकि गाँव और कस्बों तक सही जानकारी पहुँचे।

  • महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम ताकि वे ऋण का सही इस्तेमाल कर सकें।

  • शिकायत निवारण तंत्र को तेज़ और सरल बनाना।


🌟 निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने भारत में आर्थिक समावेशन का नया अध्याय लिखा है। छोटे व्यवसायियों, महिलाओं, SC/ST और OBC वर्गों को वित्तीय प्रणाली में शामिल कर यह योजना आज आत्मनिर्भर भारत की ज़मीन पर मजबूती से खड़ी है।

10 वर्षों में करोड़ों लोगों को पहचान देने वाली यह योजना अब केवल लोन स्कीम नहीं रही, बल्कि यह सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और नए भारत की आर्थिक धड़कन बन चुकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *