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30 Oct 2025, Thu

एक ट्वीट ने छेड़ी बहस: 21 वर्षीय इंजीनियर vs कैंपस प्लेसमेंट

एक ट्वीट ने छेड़ी बहस: 21 वर्षीय इंजीनियर vs कैंपस प्लेसमेंट

एक ट्वीट ने छेड़ी बहस: 21 वर्षीय इंजीनियर vs कैंपस प्लेसमेंट

एक 21 वर्षीय इंजीनियर कनव नामक शख्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले Twitter) पर दावा किया है कि उसने सिर्फ पोस्टिंग से एक महीने में करीब ₹32,000 कमाए हैं। उसने बताया कि जुलाई-5 से अगस्त-30 तक कुल कमाई हुई ₹67,419, जिसमें अकेले अगस्त माह की कमाई ₹32,000 थी।

यह दावा इस लिए विशेष चर्चा में आया क्योंकि यह आम माना जाने वाला “कैंपस प्लेसमेंट पैकेज” (जहाँ कॉलेज या विश्वविद्यालय अपने छात्रों को नौकरी के ऑफ़र देते हैं) से बेहतर कमाई जैसा प्रतीत होता है, खासकर छोटे-कैंपस वाले कॉलेजों (Tier-3 आदि) के लिए।

कनव का कहना है कि वह X पर सिर्फ दो महीने से सक्रिय है, लेकिन इन दो महीनों में उसके पोस्ट और इम्प्रेशन्स बढ़ीं और कमाई-मॉनिटाइज़ेशन प्रोग्राम में शामिल होने के योग्य हो गए।


X का Monetization सिस्टम: क्या है नियम-कायदा?

X ने “Creator Revenue Sharing” नामक प्रोग्राम लॉन्च किया है, जिसके ज़रिए योग्य (eligible) कंटेंट क्रिएटर अपने पोस्ट/ट्वीट से होने वाली एड इम्प्रेशन्स और एंगेजमेंट के आधार पर पैसे कमा सकते हैं।

कुछ महत्वपूर्ण शर्तें इस प्रकार हैं:

  • प्रीमियम/वेरिफाइड ऑर्गनाइज़ेशन सब्सक्रिप्शन होना चाहिए।

  • पिछले 3 महीनों में बहुत बड़ी संख्या में ऑर्गेनिक इम्प्रेशन्स होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, X की आधिकारिक साइट में लिखा है कि 5 मिलियन से अधिक इम्प्रेशन्स चाहिए।

  • कम से कम 500 वेरिफाइड फॉलोवर्स होना आवश्यक है

  • कंटेंट को X की Monetization Standards और कंटेंट / Conduct Standards का पालन करना चाहिए—कोई स्पैम, फेक एंगेजमेंट, नियम-उल्लंघन आदि नहीं होना चाहिए।

  • भुगतान के लिए एक Stripe अकाउंट कनेक्ट करना होगा और पहचान (identity) वेरिफिकेशन पूरा होना चाहिए।


इस दावे की विश्वसनीयता पर सवाल

हालाँकि कनव ने एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है अपनी इनकम का, पर मीडिया रिपोर्ट कहती हैं कि यह आंकड़े स्वतंत्र रूप से वेरिफाई नहीं किए गए हैं।

कुछ लोग इस तरह की कमाई पर शक जता रहे हैं, कि इतनी जल्दी इतने फॉलोवर्स और इतनी अच्छी एंगेजमेंट कैसे हुई। उदाहरण के लिए, यूज़र्स ने सवाल किया कि 3-4 महीने में इतने इम्प्रेशन्स और वेरिफाइड फॉलोवर्स मिलना कितना आसान है।

इस तरह की दावों से ये भी स्पष्ट होता है कि सिर्फ स्क्रीनशॉट दिखाना पर्याप्त प्रमाण नहीं है—अगर पोस्टिंग की फ्रीक्वेंसी, कंटेंट की क्वालिटी, ऑडियंस एंगेजमेंट, डेमोग्राफिक्स आदि जैसे बारीक डेटा न हो, तो दावे विवादास्पद कहलाएंगे।


क्या यह मॉडल कैंपस प्लेसमेंट से बेहतर है?

यह तुलना इस आधार पर की गई है कि कई कॉलेजों में कैंपस प्लेसमेंट पैकेज निम्न स्तर पर हैं, खासकर Tier-2 या Tier-3 कॉलेजों में, जहाँ शुरुआती सैलरी ऑफ़र ₹२५,०००-₹५०,००० प्रति माह होती है या उससे कम, काम के अनुभव, कंपनी क़ी ब्रांडिंग आदि पर निर्भर करता है।

कनव ने दावा किया है कि उसकी कमाई उसके कॉलेज के औसत कैंपस प्लेसमेंट पैकेज से अधिक है।

लेकिन यहाँ कुछ “अगर” हैं:

  • यदि उसकी लागतें जैसे समय, मेहनत, सामग्री बनाने की लागत, उपकरण, इंटरनेट खर्च आदि शामिल हों, तो शुद्ध मुनाफा काफी कम हो सकता है।

  • अगर ये आय लगातार बनी रहे, तभी यह एक स्थायी विकल्प बन सकेगा, न कि सिर्फ एक अच्छी शुरुआत।

  • कैंपस प्लेसमेंट जॉब्स अक्सर निश्चित आय, बुनियादी सुविधाएँ, ग्रोथ, सामाजिक प्रतिष्ठा आदि के पैकेज के साथ आते हैं—वे सिर्फ पैसे नहीं होते, बल्कि करियर का एक मार्ग भी।


संभावित जोखिम और चुनौतियाँ

  1. अलगाव और अस्थिरता (Volatility)
    सोशल मीडिया की आय बहुत बदलती है—एलगोरिथ्म में बदलाव, प्लेटफॉर्म की नई नीतियाँ, अचानक इम्प्रेशन्स कम होना आदि।

  2. नियम और जांच-पड़ताल (Compliance)
    X का Monetization Program बहुत स्पष्ट नियम देता है कि फेक एंगेजमेंट, ग़ैर-क़ानूनी सामग्री या किसी तरह की धोखाधड़ी होने पर आय रद्द या प्रतिबंधित हो सकती है।

  3. प्रतिस्पर्धा
    इस तरह के प्रोग्राम में शामिल क्रिएटर्स की संख्या बढ़ रही है, इसलिए बने रहने के लिए कंटेंट क्वालिटी के साथ-साथ निरंतरता बनाए रखना ज़रूरी है।

  4. कर और कानूनी मुद्दे
    भारत में ऐसी ऑनलाइन आय पर कर (income tax) लगती है। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से ऐसी आय करता है, तो GST, PAN, बैंकिंग नियम आदि की पालना भी आवश्यक हो जाती है।


जिस तरह की सफलता की बुनियाद

कनव ने अपनी सफलता में कुछ विशेष बातें साझा की हैं, जो दूसरे क्रिएटर्स के लिए सीख हो सकती हैं:

  • निष्पक्ष निशाना (Niche) चुनना: उन्होंने टेक-संबंधित कंटेंट पोस्ट किया है, जिससे ऑडियंस को मूल्य मिले। www.ndtv.com

  • लगातार पोस्टिंग और इम्प्रेशन्स बढ़ाना: इम्प्रेशन्स की संख्या बढ़ने से ही Monetization प्रोग्राम के पात्रता के मापदंड पूरे होते हैं।

  • स्वयं के आंकड़े शेयर करना: उन्होंने स्क्रीनशॉट्स शेयर किए, जिससे उनकी कहानी विश्वसनीय लगती है (हालाँकि पूरी तरह पुष्टि नहीं हुई)।

  • सोशल मीडिया पर इंटरैक्शन: एंगेजमेंट जैसे लाइक्स, रिप्लाइज, शेयर्स आदि बढ़ाना महत्वपूर्ण है।


निष्कर्ष: अवसर या फरेब?

कुल मिलाकर यह दावा दिखाता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे X सचमुच क्रिएटर्स को नई कमाई के रास्ते खोल रहे हैं। खासकर युवाओं के लिए, जो पारंपरिक नौकरी और कैंपस प्लेसमेंट के बाहर कुछ नया करना चाहते हैं, यह प्रेरक उदाहरण है।

लेकिन यह भी साफ है कि:

  • हर किसी के लिए यह मॉडल काम नहीं करेगा।

  • सफलता के लिए समय, मेहनत, योजना और गुणवत्ता की ज़रूरत है।

  • आय की विश्वसनीयता और स्थिरता यह निर्धारित करेगी कि यह “जॉब के विकल्प” के रूप में स्वीकार किया जाए या नहीं।

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