गुजरात ब्रिज हादसा: वडोदरा-अणंद को जोड़ने वाला गंभीरा पुल नदी में ढहा, 9 की मौत, कई घायल
डिजिटल डेस्क, वडोदरा। गुजरात से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां वडोदरा और अणंद को जोड़ने वाला गंभीरा पुल अचानक ढह गया। यह हादसा बुधवार सुबह उस समय हुआ, जब पुल पर कई वाहन मौजूद थे। पुल के टूटते ही ये वाहन महिसागर नदी में गिर गए, जिससे अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 6 लोग घायल बताए जा रहे हैं।
हादसे की भयावहता
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह हादसा सुबह लगभग 7:30 बजे हुआ। पुल का एक बड़ा हिस्सा अचानक नीचे धंस गया और उस पर से गुजर रहे वाहन—including एक बोलेरो SUV, ट्रक और दो अन्य गाड़ियाँ—सीधे नदी में जा गिरे। इस घटना से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।
त्वरित रेस्क्यू ऑपरेशन
पुल के ढहने की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, दमकल विभाग और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। वडोदरा के कलेक्टर अनिल धमेलिया ने बताया कि राहत एवं बचाव कार्य तत्काल शुरू कर दिया गया। स्थानीय तैराकों की मदद से अब तक 9 शव बरामद किए जा चुके हैं। 6 घायलों को तुरंत अस्पताल भेजा गया, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
दमकल कर्मियों ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 3 लोगों की जान समय रहते बचा ली। इसके अलावा कई लोगों को पानी से सुरक्षित बाहर निकाला गया।
यातायात पूरी तरह बाधित
गंभीरा पुल वडोदरा और अणंद के बीच प्रमुख संपर्क का माध्यम था। इसके टूटने से दोनों शहरों के बीच यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया है। पुल के दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई हैं और ट्रैफिक को वैकल्पिक मार्गों की ओर डायवर्ट किया गया है। अब लोगों को वडोदरा से अणंद या अणंद से वडोदरा पहुंचने के लिए लगभग 40 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ेगा।
पीएम मोदी ने जताया शोक, मुआवजे का ऐलान
हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “वडोदरा में पुल गिरने की खबर से स्तब्ध हूं। इस दुर्घटना में जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। वहीं, गुजरात सरकार ने भी मृतकों के लिए ₹4 लाख के मुआवजे और घायलों के मुफ्त इलाज का ऐलान किया है।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
इस हादसे के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता अमित चावड़ा ने घटना का वीडियो शेयर करते हुए प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि गंभीरा पुल लंबे समय से जर्जर अवस्था में था और इसको लेकर कई बार प्रशासन को चेतावनी दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
चावड़ा ने कहा, “यह हादसा नहीं, प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। लोगों की जानें गईं हैं क्योंकि सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए।”
जांच शुरू, इंजीनियरिंग टीमें रवाना
हादसे के तुरंत बाद गुजरात सरकार ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। रास्ता और भवन विभाग, नगरपालिका, और स्वतंत्र इंजीनियरिंग विशेषज्ञों की टीमों को मौके पर भेजा गया है। पुल के टूटने की वास्तविक वजह का पता लगाने के लिए फोरेंसिक इंजीनियरिंग जांच शुरू कर दी गई है। अधिकारियों ने कहा कि शुरुआती अनुमान के अनुसार भारी वर्षा और स्ट्रक्चरल वीकनेस इसके पीछे कारण हो सकते हैं, लेकिन अंतिम निष्कर्ष जांच के बाद ही सामने आएगा।
पूर्ववर्ती घटनाओं की याद
यह हादसा वर्ष 2022 के मोरबी ब्रिज हादसे की भी याद दिलाता है, जिसमें 130 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। यह घटनाएं एक बार फिर भारत में बुनियादी ढांचे की निगरानी और समय पर मरम्मत की जरूरत को उजागर करती हैं।
निष्कर्ष
गंभीरा पुल हादसा केवल एक संरचनात्मक विफलता नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण भी बन गया है। जहां एक तरफ लोगों की जान गई है, वहीं दूसरी ओर इस घटना ने सरकारी निगरानी तंत्र और आपदा प्रबंधन व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब देखना यह है कि क्या इस बार सिर्फ मुआवजे और बयानबाज़ी तक बात सीमित रहती है, या वास्तव में दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है और भविष्य के लिए कोई ठोस नीति बनती है।