गृह मंत्री अमित शाह का संन्यास प्लान – जानिए राजनीति के बाद क्या है अगला कदम
रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे अमित शाह? गृह मंत्री ने बताया वेद-उपनिषद और प्राकृतिक खेती से जुड़ा भविष्य का प्लान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में राजनेताओं के रिटायरमेंट को लेकर हमेशा चर्चा बनी रहती है। आम नौकरी पेशा लोगों की तरह राजनीति में कोई तय रिटायरमेंट एज नहीं होती। कोई नेता 75 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय राजनीति कर सकता है और कोई 45 की उम्र में संन्यास ले सकता है। लेकिन हाल ही में देश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद अपना रिटायरमेंट प्लान सार्वजनिक रूप से साझा किया है।
राजनीति के बाद क्या करेंगे अमित शाह?
अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए अमित शाह ने बताया कि वह अपने रिटायरमेंट के बाद का समय पूरी तरह से प्राकृतिक खेती (Natural Farming) और वेद-उपनिषदों के अध्ययन को समर्पित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैंने तय किया है कि जब भी राजनीति से रिटायर होऊंगा, तब मैं शेष जीवन वेद, उपनिषद पढ़ने और प्राकृतिक खेती के काम में लगाऊंगा।”
यह बयान न सिर्फ उनके व्यक्तिगत झुकाव को दर्शाता है, बल्कि यह भी साफ करता है कि वह एक साधारण और प्रकृति के करीब जीवन जीना चाहते हैं, जो आज के राजनेताओं में कम ही देखने को मिलता है।
प्राकृतिक खेती को बताया भविष्य का समाधान
अमित शाह ने अपने संबोधन में रासायनिक उर्वरकों से होने वाले नुकसान पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि आधुनिक कृषि में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक लंबे समय में स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
“फर्टिलाइज़र वाला गेहूं खाने से कैंसर, हाई बीपी और थायरॉइड जैसी बीमारियां हो रही हैं। अगर हम बिना फर्टिलाइजर वाला भोजन अपनाएं, तो दवाइयों की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी,” शाह ने कहा।
उन्होंने इसे केवल एक खेती का विकल्प नहीं, बल्कि विज्ञान आधारित प्रयोग करार दिया। अमित शाह ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में प्राकृतिक खेती अपनाई है और इसका सकारात्मक परिणाम भी मिला है।
“आज मेरे खेत में उत्पादन डेढ़ गुना बढ़ चुका है।”
उनके अनुसार, प्राकृतिक खेती न केवल स्वास्थ्य के लिए बेहतर है, बल्कि उत्पादन और मिट्टी की गुणवत्ता दोनों को बढ़ावा देती है।
युवाओं को दिया जीवनशैली से जुड़ा संदेश
अमित शाह ने अपने भाषण के दौरान युवाओं को भी संबोधित किया और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा:
“अगर युवा दो घंटे शारीरिक व्यायाम और कम से कम छह घंटे की नींद लें, तो न सिर्फ उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि वे देश की सेवा भी बेहतर तरीके से कर सकेंगे।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज के युवाओं के पास देश के निर्माण में योगदान देने के लिए अगले 40–50 साल हैं, और यह समय बहुत कीमती है।
राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी कर रहे हैं खेती
गौर करने वाली बात यह है कि अमित शाह इस समय देश के गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। इसके बावजूद वह अपनी जमीन पर प्राकृतिक खेती करते हैं। यह उनके व्यक्तित्व की एक सरल, जमीन से जुड़ी और वैज्ञानिक सोच की झलक दिखाता है।
उनके मुताबिक, प्राकृतिक खेती को केवल “जैविक” कहना उचित नहीं, यह उससे कहीं अधिक है – यह एक वैज्ञानिक और आत्मनिर्भर पद्धति है, जो मिट्टी, जल और स्वास्थ्य तीनों की रक्षा करती है।
निष्कर्ष
अमित शाह का यह रिटायरमेंट प्लान उन लोगों के लिए प्रेरणास्पद हो सकता है जो यह मानते हैं कि राजनीतिक जीवन के बाद कोई खालीपन आ जाता है। उनका दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि एक राजनेता केवल सत्ता का नहीं, समाज के निर्माण का भी वाहक होता है।
राजनीति छोड़ने के बाद खेती, अध्ययन और साधना का जीवन चुनना दिखाता है कि अमित शाह केवल एक रणनीतिकार नहीं, बल्कि एक विचारशील और दूरदर्शी व्यक्ति भी हैं। आने वाले समय में यदि वह वास्तव में वेद-उपनिषद और प्राकृतिक खेती को समर्पित जीवन जीते हैं, तो वह लाखों युवाओं के लिए एक नया आदर्श प्रस्तुत करेंगे।