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24 Jul 2025, Thu

बिहार में जारी वोटर‑लिस्ट संशोधन, लेकिन… सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे 3 अहम सवाल

बिहार में जारी वोटर

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बिहार में जारी वोटर‑लिस्ट संशोधन, लेकिन… सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे 3 अहम सवाल

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन जारी रहेगा, लेकिन चुनाव आयोग से पूछे 3 अहम सवाल

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क:
बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार करते हुए साफ़ किया कि संविधानिक संस्थाओं के कार्य में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने चुनाव आयोग (ECI) से इस प्रक्रिया की टाइमिंग, वैधता और पारदर्शिता को लेकर तीन बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है।

कोर्ट का रुख: प्रक्रिया नहीं रुकेगी, लेकिन सवाल जायज़

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया कानून के अंतर्गत आती है और इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने टिप्पणी की:

“हम चुनाव आयोग के कार्य में बाधा नहीं डाल सकते, लेकिन इसकी प्रक्रिया और टाइमिंग पर सवाल उठाना ज़रूरी है।”

यानी वोटर लिस्ट का संशोधन कार्य जारी रहेगा, लेकिन यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि क्या यह प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और समय के लिहाज़ से उपयुक्त है।


याचिकाकर्ताओं की आपत्ति: समय और तरीका दोनों पर सवाल

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए और उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि:

  • चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए एक नया टर्म गढ़ा है — “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)”

  • यह प्रक्रिया बहुत तेज़ी से चलाई जा रही है, जिससे 7 करोड़ से अधिक वोटर्स को प्रभावित होने का खतरा है।

  • 2003 में ऐसा रिवीजन किया गया था, लेकिन तब मतदाता संख्या काफी कम थी।

  • इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं की जांच के लिए ज़रूरी समय और संसाधन मौजूद नहीं हैं।

याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह था कि यह प्रक्रिया सिर्फ़ नाम हटाने की कवायद बन सकती है, खासकर तब जब मतदाताओं को सुनवाई का समुचित अवसर भी नहीं मिलेगा।


कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे 3 बड़े सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने ECI से तीन अहम सवालों के जवाब मांगे हैं:

  1. क्या मतदाता सूची में सुधार करने की प्रक्रिया चुनावी अधिसूचना से पहले इस समय पर उचित है?

  2. क्या आयोग को नागरिकता की जांच करने का अधिकार है?

  3. क्या मतदाता सत्यापन के लिए आधार, वोटर ID और राशन कार्ड को अनदेखा करना उचित है?

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये सवाल न सिर्फ़ तकनीकी हैं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता से भी जुड़े हैं।


कोर्ट की सलाह: दस्तावेज़ों की सूची में आधार, राशन कार्ड भी शामिल हो

कोर्ट ने आयोग से कहा कि मतदाता सत्यापन के लिए 11 दस्तावेजों की जो सूची दी गई है, वह अधूरी है। न्यायमूर्ति धूलिया ने सुझाव दिया कि:

“यदि आधार कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड को भी सूची में शामिल किया जाए तो यह न्याय के हित में होगा।”

इस सलाह को याचिकाकर्ता ने भी स्वीकार्य बताया और कहा कि इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।


समय की गंभीरता: चुनाव नज़दीक, प्रक्रिया तेज़

कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा कि इस प्रक्रिया की टाइमिंग इतनी चुनाव के नज़दीक क्यों तय की गई?
नवंबर 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव संभावित हैं, और आयोग की रिवीजन प्रक्रिया अक्टूबर के अंत तक चलने वाली है। कोर्ट ने कहा:

“ऐसे बड़े पैमाने पर बदलाव चुनाव के तुरंत पहले करना कई सवाल खड़े करता है।”


अंतरिम रोक की मांग नहीं, पूरी प्रक्रिया पर सवाल

याचिकाकर्ता ने स्पष्ट किया कि वे अंतरिम रोक नहीं चाहते, बल्कि इस पूरी प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी का अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और किसी भी जल्दबाज़ी से यह अधिकार छिन सकता है।


अगली सुनवाई 28 जुलाई को

कोर्ट ने चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, और मामला 28 जुलाई को फिर से सुना जाएगा। तब तक वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन चुनाव आयोग को अपने फैसलों और प्रक्रिया को न्यायिक समीक्षा के मानकों पर खरा उतरना होगा।


निष्कर्ष: लोकतंत्र में प्रक्रिया भी उतनी ही ज़रूरी है जितना परिणाम

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि संवैधानिक संस्थाओं के कार्य में हस्तक्षेप नहीं होगा, लेकिन संवेदनशील समय पर लिए गए फैसलों की न्यायिक समीक्षा जरूरी है। यह फैसला चुनावों के पारदर्शिता और निष्पक्षता की कसौटी को मज़बूत करता है।

बिहार में यह प्रक्रिया अब केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक विमर्श का विषय बन चुकी है — और अगली सुनवाई से इसके भविष्य की दिशा तय हो सकती है।

बिहार में जारी वोटर
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