🔥 सुकमा में नक्सलवाद को बड़ा झटका: 23 खूंखार नक्सलियों ने एक साथ किया आत्मसमर्पण, ₹1.18 करोड़ का था इनाम
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में शनिवार, 12 जुलाई 2025 को नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी और ऐतिहासिक सफलता दर्ज की गई। 23 कट्टर नक्सलियों ने एक साथ आत्मसमर्पण करते हुए मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। इन सभी पर कुल मिलाकर ₹1.18 करोड़ का इनाम घोषित था।
👥 कौन-कौन शामिल थे इस आत्मसमर्पण में?
सरेंडर करने वालों में तीन नक्सली दंपति भी शामिल हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अब माओवादी संगठनों के भीतर से ही दरारें गहराने लगी हैं।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इनमें से 11 वरिष्ठ कैडर थे, जो पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन नंबर 1 से जुड़े हुए थे – जिसे माओवादियों की सबसे शक्तिशाली और हिंसक इकाई माना जाता है।
🚨 कौन हैं ये नक्सली और कितना था इन पर इनाम?
पुलिस के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाले प्रमुख नामों में शामिल हैं:
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लोकेश उर्फ पोडियाम भीमा (35) – संभागीय समिति का सदस्य
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रमेश उर्फ कलमु केसा (23)
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कवासी मासा (35)
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मड़कम हूंगा (23)
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नुप्पो गंगी (28)
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पुनेम देवे (30)
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पारस्की पांडे (22)
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मदवी जोगा (20)
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नुप्पो लच्छू (25)
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पोडियाम सुखराम (24)
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दूधी भीमा
इन 11 नक्सलियों पर प्रत्येक पर ₹8 लाख का इनाम था।
इसके अलावा:
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4 नक्सलियों पर ₹5 लाख
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1 नक्सली पर ₹3 लाख
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7 नक्सलियों पर ₹1 लाख का इनाम घोषित था।
🔍 नक्सली क्यों छोड़ रहे हैं हिंसा की राह?
सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली अब माओवादी विचारधारा से पूरी तरह निराश हो चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा:
“ये माओवादी संगठन अब सिर्फ निर्दोष आदिवासियों पर अत्याचार और हिंसा फैलाने का माध्यम बन चुका है। अंदरूनी मतभेद और खोखली सोच ने इन नक्सलियों को सोचने पर मजबूर कर दिया।”
PLGA बटालियन नंबर 1 की कमज़ोर होती पकड़, और सुकमा-बीजापुर सीमा क्षेत्र में सुरक्षा बलों की बढ़ती कार्रवाई, इस बदलाव के पीछे की मुख्य वजहें हैं।
📍 कहां-कहां सक्रिय थे ये नक्सली?
आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली:
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आमदई
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जगरगुंडा
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केरलपाल
जैसे क्षेत्रों की माओवादी समितियों में सक्रिय थे।
🤝 सरकार का पुनर्वास प्रयास
सरकार द्वारा घोषित आत्मसमर्पण नीति के तहत, इन सभी नक्सलियों को ₹50,000 की तत्काल सहायता राशि प्रदान की गई है। इसके अलावा, इन्हें पुनर्वास और सामाजिक मुख्यधारा से जुड़ने के लिए अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी।
📢 निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुआ यह सामूहिक आत्मसमर्पण न केवल नक्सलवाद के पतन का संकेत है, बल्कि सरकार की रणनीति और सुरक्षा बलों की मेहनत की बड़ी जीत भी है। अगर इसी तरह माओवादी संगठनों के भीतर से विरोध और निराशा उभरती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा बस्तर क्षेत्र शांति की ओर लौटेगा।