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22 Jul 2025, Tue

अंतरिक्ष से वतन वापसी: शुभांशु शुक्ला की धरती पर सफल लैंडिंग, समंदर में उतरा GRACE स्पेसक्राफ्ट

अंतरिक्ष से वतन वापसी:

अंतरिक्ष से वतन वापसी: शुभांशु शुक्ला की धरती पर सफल लैंडिंग, समंदर में उतरा GRACE स्पेसक्राफ्ट

Welcome Back, शुभांशु शुक्ला! GRACE कैप्सूल का शानदार समुद्री लैंडिंग

तारीख: 15 जुलाई 2025

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, एक्सिओम‑4 (Ax‑4) मिशन के पायलट, 18 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहने के बाद आज दुःख-खुशी भरे सफ़र के अंत पर सुरक्षित रूप से वापस धरती पर लौटे। उन्होंने अमेरिका के ग्रेस नामक SpaceX Dragon क्रू कैप्सूल में सवार होकर 15 जुलाई 2025 की दोपहर लगभग 3:01 बजे IST (2:31 AM PT) कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट से प्रशांत महासागर में पानी में उतरकर अपना स्वागत किया Wikipedia+9Mid-Day+9Indiatimes+9

🧑‍✈️ साथियों ने साझा की इस उपलब्धि

इस कैप्सूल में शामिल थे:

  • कमांडर पेगी व्हिट्सन (अमेरिका),

  • मिशन विशेषज्ञ स्लावोश उज्नान्स्की‑विस्नीव्स्की (पोलैंड),

  • और टिबोर कापू (हंगरी)।
    यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए बड़ी सफलता के साथ-साथ पोलैंड और हंगरी के लिए भी ISS पर दो दशक बाद उनकी वापसी का प्रतीक बना


🔁 मिशन की मुख्य झलकियाँ

✅ 18 दिनों का रोमांच

  • ग्रेस कैप्सूल 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होकर 26 जून को ISS से जुड़ा

  • मूल रूप से दो‑सप्ताह का मिशन 14 जुलाई तक बढ़ाया गया, ताकि वैज्ञानिक प्रयोग पूरे किए जा सकें

🧪 60+ वैज्ञानिक प्रयोग

  • शुभांशु शुक्ला ने अकेले ही 60 से अधिक माइक्रोग्रेविटी आधारित प्रयोगों में योगदान दिया, जिनमें मांसपेशियों की हानि, मानसिक स्वास्थ्य, फसल उगाने के प्रयोग शामिल थे Navbharat Times+1Navbharat Times+1

  • उन्होंने मेथी, मूंग उगाकर खाद्य सुरक्षा और भविष्य के गगनयान मिशन के लिए प्रासंगिक डेटा इकट्ठा किया

📦 580 पाउंड डेटा और सैंपल

  • इस मानवीय मिशन की वापसी के दौरान 580 पाउंड (≈260 किलो) प्रयोगों और शोध सामग्री समेत वैज्ञानिक डेटा वापस लाया गया

🔥 डी‑ऑर्बिट बर्न और वायुमंडल प्रवेश

  • 14 जुलाई को शाम करीब 4:45 PM IST में कैप्सूल ने ISS से दूर होकर डी‑ऑर्बिट बर्न प्रक्रिया पूरी की, जिससे वह सुरक्षित रूप से वायुमंडल में प्रवेश कर पाया The Week+14Outlook India+14Navbharat Times+14

  • वायुमंडल प्रवेश के समय तापमान लगभग 1600 °C तक बढ़ गया, जो कैप्सूल के हीट शील्ड द्वारा सहा गया

🪂 दो-चरणीय पैराशूट लैंडिंग

  • 5.7 km की ऊँचाई पर पहला स्थिरीकरण पैराशूट खुला, उसके बाद लगभग 2 km ऊँचाई पर मुख्य पैराशूट ने कैप्सूल को समुद्र में सुरक्षित उतारा

  • इसके बाद कैप्सूल को recovery vessel “Shannon” द्वारा समुद्र से उठाया गया और अंतरिक्ष यात्री जहाज पर स्पॉट मेडिकल जांच के लिए ले जाए गए


🩺 वापसी के बाद की प्रक्रिया

🔄 7 दिन का पुनर्वास

शुभांशु और उनके साथी एक सप्ताह तक पुनर्वास में रहेंगे ताकि वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल हो सकें। यह दूरी से लौटने पर सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जाती है Navbharat Times

❤️‍🩹 भावनात्मक स्वागत

  • लखनऊ में शुभांशु की मां आशा शुक्ला भावुक हो गईं और उन्होंने सुन्दरकांड का पाठ कर अपने बेटे की सुरक्षित वापसी की कामना की। उनका कहना था, “हमारा बेटा हमारा है लेकिन ये पूरा देश उसका बेटा है” Navbharat Times+1Navbharat Times+1

  • जब उन्हें लौटते देखा गया तो परिवार—पिता व बहन—खुशी से अभिभूत थे, जो कि देश के समर्थन का प्रतीक था


🌏 भारत के लिए मिशन की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

उपलब्धि विवरण
🇮🇳 ऐतिहासिक दोहरा प्रदर्शन शुभांशु शुक्ला भारत के पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री बने जो ISS पर गए, यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में दूसरा मील का पत्थर है, पहला 🚀 राकेश शर्मा थे (1984) Outlook IndiaNavbharat Times
🌍 अंतर्राष्ट्रीय सहयोग इस मिशन में पोलैंड व हंगरी के प्रयोग भी शामिल थे — यह अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का प्रतीक है ।
📡 Gaganyaan मिशन की तैयारी इस निजी-अंतरिक्ष अभियान से प्राप्त डेटा Gaganyaan (2027 में ISRO की मानवीय मिशन की योजना) के लिए मूल्यवान रहेगा ।
🧬 वैज्ञानिक नवाचार ग्रेस कैप्सूल में बनी प्रयोगशाला से माइक्रोग्रेविटी में उगाए गए पौधे, मांसपेशियों की संरचना, मनोवैज्ञानिक अध्ययन जैसे अनेक क्षेत्रों पर अहम डेटा जुटाया गया ।

🌟 निष्कर्ष

15 जुलाई 2025 को शुभांशु शुक्ला और Ax‑4 चालक दल की successful splashdown ने भारतीय अंतरिक्ष इतिहास के पन्नों में एक और गौरवशाली अध्याय जोड़ा। ख़ास बात यह है कि यह पहला मौका था जब कोई भारतीय ISS पहुंचा और वापस लौटा— और वो भी वैज्ञानिक प्रयोगों और निजी स्पेस साझेदारी के जरिए।

उनका यह मिशन न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि पूरे देश और अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान समुदाय की साझा सफलता का प्रतीक है। पुनर्वास पूरा होने पर, ISRO संभावित Gaganyaan मिशन के लिए इसी अनुभव को उपयोग में लायेगा— यह इरादा स्पष्ट करता है कि भारत मानवयुक्त अंतरिक्ष में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कर रहा है।

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