रांची सदर अस्पताल बना देश का नंबर 1 अस्पताल: आयुष्मान भारत योजना के सफल क्रियान्वयन में रचा इतिहास
रांची: झारखंड की राजधानी में स्थित सदर अस्पताल, रांची ने एक बार फिर से अपनी मेहनत और जनसेवा के दम पर राष्ट्रीय पटल पर अपनी मजबूत पहचान बनाई है। इस बार अस्पताल ने आयुष्मान भारत – मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के सफल क्रियान्वयन में पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है।
यह उपलब्धि सिर्फ कागजों की नहीं, बल्कि आंकड़ों और ज़मीनी सच्चाई का प्रमाण है। अस्पताल ने न केवल मरीजों को करोड़ों रुपये की स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराईं, बल्कि साथ ही खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम बढ़ाया।
तीन महीने में 12 करोड़ रुपये का क्लेम
सदर अस्पताल ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 के केवल तीन महीनों में 12 करोड़ रुपये का क्लेम दर्ज किया है। यह क्लेम ‘प्री-ऑथ’ के रूप में यानी इलाज से पहले ही स्वीकृत राशि के रूप में दर्ज हुआ, जिससे अस्पताल को नियमित और पारदर्शी कमाई भी हो रही है।
इसके पहले, 2023-2024 के पूरे वित्तीय वर्ष में अस्पताल ने 51,968 मरीजों का सफल इलाज कर 32 करोड़ रुपये की आय अर्जित की थी।
कुल 2 लाख से अधिक मरीजों का इलाज
अब तक रांची सदर अस्पताल ने आयुष्मान योजना के तहत 2,02,859 मरीजों का इलाज किया है। इन सभी मामलों में अस्पताल ने कुल ₹115 करोड़ रुपये से अधिक का क्लेम दर्ज कराकर यह सिद्ध कर दिया कि सरकारी व्यवस्था भी निजी विकल्पों से बेहतर और भरोसेमंद हो सकती है।
इसका सीधा लाभ मरीजों को मिला — अगर यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती, तो मरीजों को अपनी जेब से ये खर्च उठाना पड़ता। इसका मतलब है कि लाखों लोगों ने 115 करोड़ रुपये तक की जेब खर्च से बचत की।
आयुष्मान भारत योजना का लाभ सिर्फ मरीजों को नहीं
इस मॉडल का लाभ सिर्फ मरीजों को नहीं, बल्कि अस्पताल और वहां काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी को भी मिल रहा है:
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स्वीपर से लेकर डॉक्टर तक सभी को इन्सेंटिव मिल रहे हैं
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अस्पताल की आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए क्लेम की राशि का उपयोग किया जा रहा है
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ऑपरेशन थिएटर, आधुनिक उपकरण, दवाइयां, और स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति इसी योजना से संभव हुई है
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इससे अन्य सरकारी अस्पतालों को भी प्रेरणा और फंडिंग मिल रही है
राष्ट्रीय मान्यता और ऐतिहासिक भूमिका
रांची सदर अस्पताल को 2019 में देशभर के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था। यह गर्व की बात है कि 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी रांची से आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की थी — और अब वही शहर देश में इस योजना का सबसे अच्छा उदाहरण बन चुका है।
क्या है “प्री-ऑथ” और क्लेम मॉडल?
आयुष्मान भारत योजना में जब कोई अस्पताल मरीज का इलाज करने के लिए पहले ही क्लेम स्वीकृत कराता है, उसे “प्री-ऑथ” कहा जाता है। इससे इलाज प्रक्रिया तेज होती है और अस्पताल को अपने संसाधन सुनिश्चित करने में सहायता मिलती है। रांची सदर अस्पताल में सबसे अधिक प्री-ऑथ दर्ज किए जा रहे हैं, जिससे यह देश का सबसे भरोसेमंद सरकारी अस्पताल बनता जा रहा है।
यह सफलता क्यों है प्रेरणादायक?
सरकारी अस्पतालों को लेकर आम धारणा यह रहती है कि वहाँ इलाज में देरी होती है, सुविधाएं कम होती हैं और स्वास्थ्यकर्मी रुचि नहीं लेते। लेकिन रांची सदर अस्पताल ने यह सोच पूरी तरह बदल दी है:
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सभी स्टाफ को इन्सेंटिव मिलने से काम में उत्साह
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तकनीकी और पारदर्शिता के ज़रिए बेहतर प्रबंधन
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डिजिटल क्लेम प्रक्रिया और ऑनलाइन निगरानी प्रणाली
भविष्य की दिशा
राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की योजना है कि इस मॉडल को झारखंड के अन्य जिलों में भी दोहराया जाए। रांची सदर अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं से लैस करने, और मेडिकल कॉलेज के रूप में अपग्रेड करने की तैयारी चल रही है।
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निष्कर्ष
रांची सदर अस्पताल की यह सफलता यह सिद्ध करती है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो सरकारी संस्थाएं भी उत्कृष्टता का उदाहरण बन सकती हैं। आयुष्मान भारत योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से लाखों लोगों को जीवनदान मिला है और सरकारी तंत्र को नई ऊर्जा। रांची अब सिर्फ झारखंड की राजधानी नहीं, बल्कि देश के स्वास्थ्य मॉडल का नेतृत्वकर्ता बन चुका है।