अब PhonePe, Paytm और CRED पर नहीं भर पाएंगे किराया, RBI के नियमों से बंद हुई सुविधा
भारत में डिजिटल पेमेंट्स ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त तरक्की की है। मोबाइल ऐप्स और फिनटेक प्लेटफॉर्म्स ने आम लोगों को घर बैठे पेमेंट की सुविधा दी है। इन्हीं सुविधाओं में से एक थी क्रेडिट कार्ड के जरिए मकान का किराया भरने की सुविधा, जो PhonePe, Paytm और CRED जैसे लोकप्रिय ऐप्स पर उपलब्ध थी। लेकिन अब यह सुविधा बंद हो गई है। इसका कारण भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हालिया नियम हैं, जिनके चलते इन कंपनियों ने अपनी ‘Rent Payment Services’ पर रोक लगा दी है।
क्या था ये फीचर?
कुछ साल पहले तक किराया चुकाना झंझट भरा काम था। लोग चेक, कैश या बैंक ट्रांसफर का सहारा लेते थे। लेकिन जब Paytm, PhonePe और CRED जैसे ऐप्स ने किराया पेमेंट की सुविधा शुरू की, तो यह बेहद आसान हो गया।
-
यूज़र अपने क्रेडिट कार्ड के जरिए मकान मालिक को किराया भेज सकते थे।
-
पेमेंट अक्सर UPI या बैंक अकाउंट में मकान मालिक तक पहुंचता था, जबकि किरायेदार को कार्ड का उपयोग करने के फायदे मिलते थे।
-
कई लोग इस सुविधा का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें reward points, cashback और credit card bill cycle का फायदा मिलता था।
यानी किराएदार के लिए यह एक सुविधाजनक और फायदेमंद विकल्प बन गया था।
RBI ने क्यों लगाया रोक?
RBI का मकसद डिजिटल पेमेंट सिस्टम को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है। हाल के समय में फिनटेक सेक्टर में धोखाधड़ी और रिस्क मैनेजमेंट से जुड़ी समस्याएँ बढ़ रही थीं। ऐसे में RBI ने नए दिशा-निर्देश जारी किए।
-
KYC और Merchant Verification जरूरी
अब कोई भी Payment Aggregator केवल उन्हीं व्यापारियों (merchants) को पेमेंट प्रोसेस कर सकता है, जो पूरी तरह से रजिस्टर्ड और KYC पूर्ण हों। लेकिन किराया भुगतान में अक्सर मकान मालिक formal merchant नहीं होते थे। -
Marketplace मॉडल पर रोक
पहले ये ऐप्स एक तरह से marketplace की तरह काम कर रहे थे। यानी किरायेदार का पेमेंट सीधे मकान मालिक तक पहुँचता था, जो असल में प्लेटफॉर्म पर merchant नहीं था। RBI ने इसे जोखिमपूर्ण माना और रोक लगा दी। -
फ्रॉड और रिस्क मैनेजमेंट
क्रेडिट कार्ड के जरिए peer-to-peer transaction को merchant payment के रूप में दिखाया जा रहा था। इससे गड़बड़ी और फ्रॉड की संभावनाएँ बढ़ रही थीं। नए नियमों से अब ऐसे loopholes खत्म करने की कोशिश की गई है।
यूज़र्स पर क्या असर होगा?
इस फैसले का सीधा असर लाखों किरायेदारों पर पड़ेगा:
-
क्रेडिट कार्ड का फायदा खत्म: अब लोग अपने किराए का भुगतान कार्ड से नहीं कर पाएंगे, जिससे reward points और cashback जैसी सुविधाएँ बंद हो जाएंगी।
-
कैश फ्लो मैनेजमेंट मुश्किल: कई लोग कार्ड का उपयोग इसीलिए करते थे ताकि किराया तुरंत जेब से न देना पड़े और बिल साइकल के दौरान उन्हें थोड़ी राहत मिल सके। यह सुविधा अब खत्म हो जाएगी।
-
विकल्प सीमित: अब किरायेदारों को UPI, नेट बैंकिंग, NEFT/RTGS या चेक का सहारा लेना होगा।
मकान मालिकों पर असर
-
मकान मालिकों को भी असर झेलना पड़ेगा। अब उन्हें किराया सीधे बैंक अकाउंट या नकद के जरिए मिलेगा।
-
जो landlord डिजिटल पेमेंट्स को प्राथमिकता देते थे, उनके लिए यह सुविधा कम आसान हो गई है।
-
अगर कोई मकान मालिक merchant के रूप में रजिस्टर्ड होना चाहे, तो यह प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली होगी।
फिनटेक कंपनियों के लिए झटका
PhonePe, Paytm और CRED जैसे ऐप्स के लिए किराया भुगतान एक बड़ा use-case था।
-
इससे ट्रांजैक्शन वॉल्यूम बढ़ता था।
-
कंपनियाँ convenience fee और प्रोसेसिंग चार्ज से कमाई करती थीं।
-
क्रेडिट कार्ड खर्च बढ़ने से बैंकों और कार्ड कंपनियों को भी फायदा होता था।
लेकिन अब इस चैनल पर रोक लगने से इन ऐप्स को यूज़र एंगेजमेंट और रेवेन्यू दोनों में झटका लगेगा।
अब क्या विकल्प बचते हैं?
-
UPI और बैंक ट्रांसफर
किरायेदार अब सीधे UPI, IMPS, NEFT या RTGS के जरिए किराया चुका सकते हैं। यह सबसे सरल और बिना अतिरिक्त शुल्क वाला तरीका होगा। -
ऑटो-डेबिट सुविधाएँ
बैंक अकाउंट से सीधे ऑटो-डेबिट सेट करना भी एक विकल्प है, जिससे हर महीने तय तारीख पर किराया कट जाए। -
Merchant रूप में पंजीकरण
अगर मकान मालिक merchant बन जाते हैं और KYC पूरी करते हैं, तो भविष्य में फिनटेक कंपनियाँ उन्हें onboard कर सकती हैं। हालांकि, अधिकतर छोटे मकान मालिक ऐसा नहीं करेंगे। -
नए समाधान की संभावना
फिनटेक कंपनियाँ अब नए मॉडल पर काम कर सकती हैं, जैसे landlords के लिए simplified merchant onboarding या किसी tie-up के जरिए compliance-friendly services।
क्यों जरूरी था यह कदम?
हालांकि यह फैसला लाखों यूज़र्स के लिए परेशानी भरा है, लेकिन RBI का उद्देश्य साफ है।
-
भुगतान व्यवस्था को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना।
-
धोखाधड़ी और गलत उपयोग को रोकना।
-
फिनटेक कंपनियों को नियमों का पालन करने के लिए मजबूर करना।
लंबी अवधि में देखा जाए, तो यह कदम डिजिटल पेमेंट सेक्टर को और मजबूत करेगा और ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
निष्कर्ष
फोनपे, पेटीएम और क्रेड पर किराया भुगतान सुविधा का बंद होना उपयोगकर्ताओं के लिए निश्चित तौर पर असुविधाजनक है। बहुत से लोग इस सुविधा का रोज़ाना इस्तेमाल करते थे और उन्हें इससे आर्थिक फायदे भी मिलते थे। लेकिन नियमों के लिहाज से यह कदम आवश्यक था।
RBI ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल पेमेंट का भविष्य केवल सुविधा पर नहीं, बल्कि विश्वसनीयता और सुरक्षा पर आधारित होगा। आने वाले समय में संभव है कि फिनटेक कंपनियाँ नए मॉडल लेकर आएँ, लेकिन फिलहाल किरायेदारों को पारंपरिक माध्यमों से ही किराया चुकाना होगा।
