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26 Jul 2025, Sat

भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्यातक: एक ऐतिहासिक उपलब्धि और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम

भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्यातक: एक ऐतिहासिक उपलब्धि और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम

भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्यातक: एक ऐतिहासिक उपलब्धि और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम

नई दिल्ली: भारत ने मोबाइल फोन निर्माण और निर्यात के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व छलांग लगाई है, जिसने उसे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन निर्यातक के रूप में स्थापित कर दिया है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज (Centre for Development Studies) की एक हालिया रिपोर्ट ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर मुहर लगाई है, जो देश के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक जीत का प्रतीक है। यह सफलता मुख्य रूप से 2020 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (Product-Linked Incentive – PLI) योजना का परिणाम है, जिसने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की स्थिति को मजबूत करने में निर्णायक भूमिका निभाई है।

1. एक दशक से भी कम समय में असाधारण वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने मोबाइल फोन निर्यात में असाधारण वृद्धि दर्ज की है, जो इसे वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है।
* वर्तमान निर्यात मूल्य (2024): $20.5 बिलियन (लगभग ₹1.70 लाख करोड़)
* पूर्व निर्यात मूल्य (2017-18): $200 मिलियन (लगभग ₹1,660 करोड़)
* वृद्धि प्रतिशत: 12,500% की आश्चर्यजनक वृद्धि।
यह वृद्धि केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह देश के भीतर एक मजबूत विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास, रोजगार सृजन और “मेक इन इंडिया” पहल की सफलता की कहानी को बयां करती है। सात वर्षों से भी कम समय में इतनी तीव्र गति से विकास करना, वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती शक्ति और तकनीकी क्षमताओं का प्रमाण है।

2. PLI योजना: गेम चेंजर साबित हुई एक दूरदर्शी पहल
भारत सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से 2020 में PLI योजना की शुरुआत की थी। यह योजना उन कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है जो भारत में उत्पाद बनाती हैं और अपनी बिक्री में वृद्धि करती हैं। मोबाइल फोन क्षेत्र इस योजना के शुरुआती और सबसे सफल लाभार्थियों में से एक रहा है।
PLI योजना के मुख्य प्रभाव:
* घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन: योजना ने भारतीय कंपनियों को विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया।
* वैश्विक निवेश को आकर्षित: सैमसंग (Samsung), फॉक्सकॉन (Foxconn), पेगाट्रॉन (Pegatron) और विस्ट्रॉन (Wistron) जैसी वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गजों को भारत में अपने विनिर्माण आधार स्थापित करने या विस्तार करने के लिए आकर्षित किया।
* वित्तीय प्रोत्साहन: कंपनियों को अगले पांच वर्षों के लिए भारत में निर्मित वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री पर 4% से 6% का प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।
* क्षमता वृद्धि: इसने कंपनियों को बड़े पैमाने पर निवेश करने, अत्याधुनिक तकनीक अपनाने और अपनी उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।
परिणाम स्वरूप, भारत अब केवल असेंबली हब नहीं रह गया है, बल्कि धीरे-धीरे एक पूर्ण-विकसित विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां डिजाइन, अनुसंधान और विकास भी पनप रहा है।

3. आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम
यह उपलब्धि भारत के “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य देश को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना है।
आत्मनिर्भरता में योगदान:
* विदेशी मुद्रा अर्जित करना: मोबाइल फोन जैसे उच्च-मूल्य वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में वृद्धि विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद करती है।
* भुगतान संतुलन में सुधार: यह देश के भुगतान संतुलन को भी मजबूत करती है।
* आयात पर निर्भरता में कमी: घरेलू स्तर पर बड़े पैमाने पर विनिर्माण से आयातित घटकों पर निर्भरता कम होती है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधानों के प्रति देश की भेद्यता घटती है।
* रोजगार सृजन: मोबाइल फोन विनिर्माण क्षेत्र एक श्रम-गहन उद्योग है, और इस क्षेत्र में विस्तार से लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। यह विशेष रूप से युवा और अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए लाभकारी साबित हुआ है।

4. वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती साख
भारत का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फोन निर्यातक बनना वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में इसकी बढ़ती साख का प्रमाण है। यह अब केवल एक उपभोक्ता बाजार नहीं है, बल्कि एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक भी बन गया है।
* अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा: यह उपलब्धि अन्य क्षेत्रों, जैसे ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़ा में भी “मेक इन इंडिया” मॉडल की सफलता को दोहराने के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
* भविष्य की क्षमता: विश्लेषकों का मानना है कि भारत के पास अभी भी इस क्षेत्र में बहुत बड़ी विकास क्षमता है। जैसे-जैसे घरेलू मूल्यवर्धन बढ़ेगा और घटक विनिर्माण में स्थानीयकरण बढ़ेगा, भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता और मजबूत होगी।
* सेमीकंडक्टर विनिर्माण पर ध्यान: सरकार का ध्यान अब सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने पर है, जो मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का एक महत्वपूर्ण घटक है। यदि भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण में सफल होता है, तो यह वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।

5. चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
हालांकि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
* अनुसंधान और विकास में निवेश: आर एंड डी (R&D) में अधिक निवेश की आवश्यकता।
* कौशल विकास: कौशल विकास कार्यक्रमों को मजबूत करना।
* आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन: आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन में सुधार।
* नए बाजारों की खोज: निर्यात के लिए नए बाजारों की खोज करना।
* बुनियादी ढांचा और नियामक सुधार: वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स और नियामक वातावरण में निरंतर सुधार।
इसके बावजूद, मोबाइल फोन निर्यात में भारत की हालिया सफलता एक सशक्त कहानी है। यह दर्शाता है कि सही नीतियों, सरकारी समर्थन और उद्योग के सहयोग से, भारत वैश्विक विनिर्माण शक्ति के रूप में अपनी पूरी क्षमता को साकार कर सकता है। यह न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि लाखों भारतीयों के लिए बेहतर जीवन और अवसरों का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। यह रिपोर्ट भारत के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक और संकेत है, जो दुनिया के लिए “विश्व की फैक्ट्री” बनने की अपनी यात्रा में एक और मील का पत्थर पार कर रहा है।

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