बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन का ‘अति पिछड़ा न्याय संकल्प पत्र’ जारी
✦ अति पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए 10 बड़े वादे, राजनीति में नया समीकरण
🔹 प्रस्तावना
बिहार विधानसभा चुनाव-2025 से पहले महागठबंधन ने बुधवार को पटना में ‘अति पिछड़ा न्याय संकल्प पत्र’ जारी किया। इस मौके पर कांग्रेस के राहुल गांधी, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और अन्य दलों के नेता मौजूद रहे।
यह संकल्प पत्र अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और वंचित समुदायों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें 10 बड़े वादे किए गए हैं, जो आने वाले चुनाव का मुख्य एजेंडा बन सकते हैं।
🔹 अति पिछड़ा वर्ग क्यों है अहम?
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बिहार की कुल आबादी का लगभग 36% हिस्सा अति पिछड़ा वर्ग से आता है।
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यह वर्ग चुनावी दृष्टि से निर्णायक भूमिका निभाता है।
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महागठबंधन का यह दांव सीधे तौर पर भाजपा-नीत एनडीए को चुनौती देने वाला कदम माना जा रहा है।
🔹 संकल्प पत्र के 10 बड़े वादे
1️⃣ अति पिछड़ा कल्याण विभाग
➡️ सरकार बनने पर अलग से ‘अति पिछड़ा कल्याण विभाग’ की स्थापना।
2️⃣ पंचायत और निकाय चुनावों में आरक्षण
➡️ अति पिछड़ों के लिए पंचायत और नगर निकायों में 30% आरक्षण की घोषणा।
3️⃣ शिक्षा और छात्रवृत्ति
➡️ गरीब परिवारों के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा, छात्रवृत्ति और विशेष कोचिंग की सुविधा।
4️⃣ NFSA सूची में शामिल करना
➡️ वंचित परिवारों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत सस्ता राशन।
5️⃣ ओवर-इंक्लूजन व अंडर-इंक्लूजन का समाधान
➡️ योजनाओं से कोई हकदार न छूटे और गैर-जरूरतमंद शामिल न हो—इसकी गारंटी।
6️⃣ भूमिहीनों को जमीन
➡️ EBC-SC-ST भूमिहीन परिवारों को:
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शहरी क्षेत्रों में 3 डिसमल जमीन
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ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डिसमल जमीन
7️⃣ UDA चुनाव आयोग
➡️ अति पिछड़ों की हिस्सेदारी और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए नया आयोग।
8️⃣ युवाओं के लिए अवसर
➡️ सरकारी नौकरियों, पुलिस भर्ती और उच्च शिक्षा में आरक्षित अवसर।
9️⃣ महिला सशक्तिकरण
➡️ अति पिछड़ी महिलाओं को स्वरोजगार योजनाओं व SHG (स्वयं सहायता समूह) से जोड़ना।
🔟 स्थानीय निकायों में आर्थिक अधिकार
➡️ पंचायत और निकाय प्रतिनिधियों को आर्थिक अधिकारों से सशक्त बनाना।
🔹 राजनीतिक निहितार्थ
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नीतीश कुमार ने पहले भी अति पिछड़ों को साधने के लिए कई योजनाएं शुरू की थीं।
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अब महागठबंधन उसी रणनीति को और आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा रहा है।
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यह संकल्प पत्र सीधा संदेश देता है कि चुनाव में अति पिछड़े ही ‘किंगमेकर’ बन सकते हैं।
🔹 राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का बयान
📌 राहुल गांधी:
“अति पिछड़े समाज को न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता है। जब तक समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को समान अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक लोकतंत्र अधूरा रहेगा।”
📌 तेजस्वी यादव:
“महागठबंधन सिर्फ वादे नहीं करेगा बल्कि सत्ता में आने के बाद इन्हें ज़मीनी स्तर पर लागू करेगा। अब बदलाव का वक्त आ गया है।”
🔹 विपक्ष का पलटवार
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भाजपा और एनडीए ने इस संकल्प पत्र को “चुनावी जुमला” करार दिया।
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उनका कहना है कि भूमि वितरण और आरक्षण लागू करना कानूनी रूप से मुश्किल होगा।
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विपक्ष ने सवाल उठाया कि सत्ता में आने के बाद महागठबंधन अपने ही वादे भूल जाता है।
🔹 जनता की प्रतिक्रिया
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ग्रामीण इलाकों में जमीन और शिक्षा से जुड़े वादों का स्वागत किया गया।
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कई लोगों का कहना है कि इससे उनके जीवन में बड़ा बदलाव आएगा।
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वहीं, कुछ लोग इसे सिर्फ चुनावी चाल मानते हैं।
🔹 निष्कर्ष
बिहार चुनाव-2025 में जातीय समीकरण सबसे अहम फैक्टर होंगे।
महागठबंधन का यह संकल्प पत्र चुनाव का नैरेटिव बदलने की क्षमता रखता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये वादे सिर्फ चुनाव तक सीमित रह जाते हैं या फिर सत्ता में आने पर सच्चे न्याय का रूप लेते हैं।
