Bihar Election 2025: बिहार में चंद्रशेखर आजाद की एंट्री से बदलेगा सियासी समीकरण, 100 सीटों पर लड़ने का ऐलान
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के आते ही राज्य की सियासी फिज़ा तेजी से गरमाती जा रही है। जहां अब तक मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और INDIA गठबंधन के बीच माना जा रहा था, वहीं अब एक नई राजनीतिक ताकत मैदान में उतर आई है—आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की यह पार्टी अब बिहार की 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गई है।
100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान, 60 पर प्रभारी नियुक्त
बुधवार को पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिहार प्रदेश अध्यक्ष जौहर आजाद ने बताया कि पार्टी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इनमें से 60 सीटों पर पार्टी पहले ही विधानसभा प्रभारी नियुक्त कर चुकी है। शेष 40 सीटों पर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। उन्होंने बताया कि “हमारा संगठन बूथ स्तर तक तैयार है और हम बिहार के वंचित वर्गों को सशक्त राजनीतिक विकल्प देना चाहते हैं।”
21 जुलाई को पटना में राष्ट्रीय अधिवेशन
आजाद समाज पार्टी ने घोषणा की है कि 21 जुलाई 2025 को पटना में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन होगा। इस अधिवेशन में खुद चंद्रशेखर आजाद शामिल होंगे और बिहार चुनाव के लिए अंतिम रणनीति पर मुहर लगाएंगे। इस अधिवेशन को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है और इसे एक बड़ी राजनीतिक रैली के रूप में देखा जा रहा है।
महागठबंधन को 46 सीटों पर सीधी चुनौती
जौहर आजाद के अनुसार, पार्टी की योजना जिन 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की है, उनमें से कम से कम 46 सीटें ऐसी हैं जहां महागठबंधन को सीधे चुनौती मिलेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि महागठबंधन में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है, जिससे आम जनता में असंतोष है। पार्टी का दावा है कि वह सामाजिक न्याय, शिक्षा, रोजगार और दलित अधिकारों के मुद्दे पर एक नया जनाधार तैयार कर रही है।
चंद्रशेखर आजाद की रणनीति: रविदास समाज पर फोकस
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चंद्रशेखर आजाद की रणनीति रविदास समाज के वोट बैंक को साधने की है। यह समुदाय अब तक परंपरागत रूप से बहुजन समाज पार्टी (BSP) और भाकपा (माले) के साथ रहा है, लेकिन वर्तमान में इन पार्टियों की बिहार में पकड़ कमजोर हुई है।
वरिष्ठ पत्रकारों और राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगर आजाद समाज पार्टी इस वोट बैंक का 5-10% भी अपने पक्ष में करने में सफल हो जाती है, तो वह कई सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है। उनका कहना है कि अगर चंद्रशेखर आजाद हर सीट पर 500 से 1000 वोट भी काट लेते हैं, तो वह महागठबंधन विशेषकर RJD के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
युवा, दलित और पिछड़ा वर्ग आजाद समाज पार्टी की ताकत
आजाद समाज पार्टी की सबसे बड़ी ताकत उसका ग्रासरूट नेटवर्क, सोशल मीडिया पर सक्रियता और युवाओं के बीच लोकप्रियता है। भीम आर्मी के ज़रिए देश के कई राज्यों में चंद्रशेखर आजाद ने एक मजबूत पहचान बनाई है। अब वह उसी ऊर्जा और राजनीतिक सोच को बिहार में लागू करना चाहते हैं।
गठबंधन या अकेले चुनाव?
फिलहाल पार्टी किसी गठबंधन के मूड में नहीं दिख रही है, लेकिन जौहर आजाद ने यह जरूर कहा कि “सिद्धांतों और विचारधारा के आधार पर गठबंधन के लिए दरवाजे खुले हैं।” यह बयान संकेत देता है कि भविष्य में छोटी दलित-पिछड़ी जाति आधारित पार्टियों या स्वतंत्र उम्मीदवारों से तालमेल हो सकता है।
निष्कर्ष
बिहार चुनाव 2025 में आजाद समाज पार्टी की एंट्री ने राजनीतिक हवा का रुख कुछ हद तक बदल दिया है। जहां एक ओर यह पार्टी वंचित वर्गों को सशक्त प्रतिनिधित्व देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह महागठबंधन और NDA—दोनों के लिए चुनौती बन सकती है। अगर पार्टी अपने संगठन को मजबूती से खड़ा कर लेती है और जमीनी स्तर पर प्रभाव डाल पाती है, तो बिहार की सियासत में वह एक तीसरा मोर्चा बन सकती है।