बिहार NDA सीट शेयरिंग फाइनल: जेडीयू 102, बीजेपी 101—चिराग की LJP(RV) को 20; HAM व RLM को 10-10
तारीख: 28 अगस्त 2025 | स्थान: पटना
डेक (सार)
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए NDA में सीट बंटवारा तय हो गया है। सूत्रों के अनुसार, जेडीयू 102, बीजेपी 101 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [LJP(RV)] को 20, जबकि जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 10-10 सीटें मिली हैं। औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस जल्द होने की संभावना जताई गई है।
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फ़ास्ट फ़ैक्ट्स (Quick Highlights)
कुल सीटें: 243
NDA का फॉर्मूला: जेडीयू 102 | बीजेपी 101 | LJP(RV) 20 | HAM 10 | RLM 10
‘बड़े भाई’ की भूमिका: नीतीश कुमार की जेडीयू
2020 से बदलाव: दोनों बड़ी पार्टियों के खाते में सीटें कम हुईं; सहयोगियों की हिस्सेदारी स्पष्ट
औपचारिक घोषणा: प्रेस ब्रीफ़िंग की उम्मीद, सीट-वार बारीक़ी पर अभी अंतिम मुहर शेष
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सीट शेयरिंग मैट्रिक्स (तालिका)
गठबंधन दल आवंटित सीटें
जनता दल (यूनाइटेड) – JDU 102
भारतीय जनता पार्टी – BJP 101
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) – LJP(RV) 20
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा – HAM 10
राष्ट्रीय लोक मोर्चा – RLM 10
कुल 243
> नोट: सीट-वार सूची (कौन-सी विधानसभा किस दल के खाते में) पर पार्टियाँ आपसी समन्वय से अंतिम फ़ैसला करेंगी।
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बैकग्राउंड: क्यों बदला समीकरण?
2020 में बीजेपी ने 110 और जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तब LJP ने अलग राह चुनी थी, जिसके चलते जेडीयू के कई क्षेत्रों में वोट-कटाव हुआ। 2024 लोकसभा चुनाव में LJP(RV) के प्रदर्शन और NDA के भीतर समन्वय की ज़रूरत को देखते हुए इस बार LJP(RV) को औपचारिक हिस्सेदारी दी गई है। इसके साथ ही छोटे सहयोगियों—HAM और RLM—को भी प्रतीकात्मक नहीं बल्कि दो अंकों में सीटें देकर मैदान में मजबूती देने की कोशिश हुई है।
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‘बड़े भाई’ जेडीयू और ‘समानता’ का फ़ॉर्मूला
लंबे दौर की बातचीत के बाद यह सहमति बनी कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रहेगी। बीजेपी और जेडीयू के बीच लगभग बराबरी का फ़ॉर्मूला (102-101) अपनाकर दोनों के वर्कर-मोरेल और सीट मैनेजमेंट को संतुलन मिला है। इससे एक तरफ़ जेडीयू की संगठनात्मक पकड़ और क्षेत्रीय सामाजिक समीकरणों को सम्मान मिला, तो दूसरी तरफ़ बीजेपी के टॉप-डाउन कैंपेन और पन्ना प्रमुख जैसी माइक्रो-स्ट्रेटेजी के लिए भी पर्याप्त मैदान छोड़ा गया।
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सहयोगियों की भूमिका: किसकी क्या चुनौती?
1) LJP(RV) – 20 सीटें
अपेक्षा बनाम वास्तविकता: शुरुआती दौर में 30–40 सीटों की माँग थी; 20 पर सहमति बनी।
रणनीति: ‘चिराग का चौपाल’ जैसे जन-संपर्क अभियानों से युवा और शहरी-प्रवासी वोट बैंक साधने की कोशिश।
चुनौती: सीटों का चयन—जहाँ 2020 में प्रभाव रहा पर जीत नहीं मिली—वहाँ टिकट वितरण और बाग़ियों का प्रबंधन अहम होगा।
2) HAM – 10 सीटें
फोकस: महादलित और वंचित जाति समूहों में पकड़ मज़बूत करना।
चुनौती: विधानसभा स्तर पर वोट ट्रांसफर की विश्वसनीयता बनाये रखना—ख़ास कर ऐसे क्षेत्रों में जहाँ जेडीयू/बीजेपी के समर्थक पारंपरिक रूप से मज़बूत रहे हैं।
3) RLM – 10 सीटें
सामाजिक समीकरण: कुशवाहा (कोइरी) वोट बैंक को कंसोलिडेट करने का दावा।
चुनौती: संगठनात्मक ढाँचे को ग्रासरूट तक सक्रिय करना और कैंडिडेट क्वालिटी सुनिश्चित करना।
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2020 बनाम 2025: क्या बड़ा फ़र्क?
LJP(RV) का औपचारिक इंटिग्रेशन: 2020 के ‘स्पॉइलर’ नैरेटिव के उलट इस बार LJP(RV) NDA के साथ सीट-बँटवारे में शामिल। इससे एंटी-इन्कम्बेंसी का स्पिल-ओवर कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
सीट रेशनलाइज़ेशन: बड़ी पार्टियों की सीटें घटाकर विन-एबिलिटी बेस्ड (जीत-योग्यता आधारित) चयन पर ज़ोर।
कास्ट+कैंडिडेट फर्स्ट: जातीय समीकरण के साथ लोकल फेस, डेवलपमेंट रिकॉर्ड और बूथ मैनेजमेंट को प्राथमिकता।
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किस पर पड़ेगा सीधा असर?
1. टिकट वितरण: जिन क्षेत्रों में 2020 में NDA का क्लोज़ मार्जिन या वोट-कटाव रहा, वहाँ इस बार पार्टियाँ क्रॉस-ट्रांसफर एग्रीमेंट के हिसाब से टिकट देंगी।
2. कैंपेन नैरेटिव: NDA ‘डबल इंजन’ के साथ इंफ्रा, क़ानून-व्यवस्था और रोज़गार पर फोकस रखेगा; विपक्ष ‘वोटर अधिकार, बेरोज़गारी, महँगाई’ पर आक्रामक रहेगा।
3. बाग़ी फैक्टर: सीट कटने वाले दिग्गजों से डैमेज कंट्रोल सबसे बड़ा प्रबंधन होगा—ख़ासकर जेडीयू और बीजेपी दोनों में।
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INDIA ब्लॉक बनाम NDA: जमीन पर गणित
विपक्षी महागठबंधन (INDIA) में RJD-कांग्रेस-कमपनियन दलों के बीच सीट तालमेल पर तेज़ चर्चा जारी है। राहुल गांधी-तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने मैदान गर्माया है, परंतु सीट-शेयरिंग की सुगमता और बूथ-लेवल तालमेल वहाँ भी परीक्षा में है। NDA, दूसरी ओर, एकजुटता का संदेश देकर अपने कोर+स्विंग वोटरों को एक प्लेटफ़ॉर्म पर रखने की रणनीति चला रहा है।
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आगे क्या? (Timeline & Next Steps)
औपचारिक घोषणा: प्रेस कॉन्फ्रेंस में फ़ॉर्मूला और शुरुआती प्रत्याशी सूची की संभावना।
सीट-वार मोलभाव: जटिल सीटों (त्रिकोणीय/क़रीबी मुकाबले) पर डेटा-ड्रिवन परामर्श जारी रहेगा।
कैंडिडेट सेलेक्शन: विन-रेट, लोकल कनेक्ट, ग्रासरूट कैडर सपोर्ट पर अंतिम निर्णय।
कैंपेन लॉन्च: संयुक्त रैलियाँ, क्षेत्रीय घोषणाएँ और सोशल+ग्राउंड माइक्रो-टार्गेटिंग।
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संपादकीय नज़र (Short Analysis)
NDA का यह फ़ॉर्मूला प्रैग्मेटिक दिखता है—जेडीयू को ‘एंकर’ और बीजेपी को ‘इंजन’ बनाकर सहयोगियों को जगह देने की कोशिश। 20-10-10 की साझेदारी से संदेश जाता है कि NDA बिखराव से सीख लेकर कलेक्टिव विन-एबिलिटी पर जोर दे रहा है। चुनावी परिणाम अंततः कैंडिडेट क्वालिटी, लोकल मुद्दों, और बूथ मैनेजमेंट पर टिका रहेगा।
