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10 Sep 2025, Wed

देवघर AIIMS में नई व्यवस्था: निजी वाहनों पर रोक, बैटरी-चालित गाड़ियों से मिलेगा अंदर जाने का मौका

देवघर AIIMS में नई व्यवस्था: निजी वाहनों पर रोक, बैटरी-चालित गाड़ियों से मिलेगा अंदर जाने का मौका

देवघर AIIMS में नई व्यवस्था: निजी वाहनों पर रोक, बैटरी-चालित गाड़ियों से मिलेगा अंदर जाने का मौका


✍️ परिचय

देवघर, झारखंड — ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), देवघर ने अपने परिसर में एक महत्वपूर्ण बदलाव लागू किया है। अब अस्पताल के मेन गेट से निजी वाहनों (बाइक और कार) का प्रवेश पूरी तरह रोक दिया गया है। इसके स्थान पर मरीजों और उनके परिजनों को बैटरी-चालित गाड़ियों (Electric Carts) की सुविधा दी जाएगी, जो उन्हें मुख्य द्वार से अस्पताल के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचाएगी।

इसके साथ ही, टोकन सिस्टम को अनिवार्य किया गया है। यह टोकन ABHA कार्ड अथवा ABHA मोबाइल ऐप और अन्य पंजीकरण ऐप से QR कोड स्कैन करने के बाद मिलेगा।


📌 नई व्यवस्था की मुख्य बातें

  • निजी वाहनों का प्रवेश बंद

  • बैटरी-चालित गाड़ियों से अंदर पहुँचने की सुविधा

  • 🎟️ टोकन लेना अनिवार्य (पहली विजिट या री-विजिट दोनों में)

  • 📲 ABHA कार्ड/मोबाइल ऐप से QR स्कैन करने पर टोकन उपलब्ध

  • 🌿 प्रदूषण और भीड़ पर नियंत्रण


🏥 क्यों ज़रूरी थी यह पहल?

AIIMS देवघर प्रतिदिन हजारों मरीजों और उनके परिजनों की भीड़ का सामना करता है। इससे कई समस्याएँ सामने आ रही थीं:

  • अस्पताल के अंदर ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती थी।

  • ध्वनि और वायु प्रदूषण से मरीजों को दिक्कत होती थी।

  • सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं में बाधा आती थी।

  • पार्किंग की अव्यवस्था और जगह की कमी महसूस होती थी।

इन चुनौतियों को देखते हुए प्रशासन ने यह नया कदम उठाया है।


🚖 बैटरी-चालित गाड़ियों की सुविधा

  • ये गाड़ियाँ पर्यावरण-हितैषी (eco-friendly) हैं।

  • मरीजों और बुजुर्गों के लिए आसान पहुँच सुनिश्चित करती हैं।

  • मुख्य गेट से लेकर ओपीडी, वार्ड और डायग्नोस्टिक विभाग तक ले जाएंगी।

  • शोर और प्रदूषण रहित वातावरण में आवागमन संभव होगा।


🎟️ टोकन सिस्टम: कैसे काम करेगा?

  1. मरीज/परिजन अस्पताल पहुँचने के बाद मेन गेट पर QR कोड स्कैन करेंगे।

  2. QR कोड ABHA मोबाइल ऐप या अन्य पंजीकरण ऐप से स्कैन किया जा सकता है।

  3. स्कैन करने के बाद टोकन प्राप्त होगा।

  4. इस टोकन से बैटरी-चालित गाड़ी की सुविधा ली जा सकेगी।

👉 ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह प्रक्रिया पहली विजिट और री-विजिट दोनों पर समान रूप से लागू होगी।


🌟 नई व्यवस्था के फायदे

1. बेहतर ट्रैफिक नियंत्रण

निजी वाहनों पर रोक से अस्पताल परिसर में जाम की समस्या खत्म होगी।

2. मरीजों की सुविधा

बैटरी गाड़ियाँ खासकर बुजुर्ग, दिव्यांग और गंभीर मरीजों के लिए राहतभरी होंगी।

3. स्वच्छ वातावरण

धुआँ और शोर प्रदूषण कम होगा। अस्पताल का वातावरण शांत और स्वास्थ्यकर रहेगा।

4. सुरक्षा

निजी वाहनों के प्रवेश न होने से अनधिकृत गतिविधियों और दुर्घटनाओं का खतरा घटेगा।

5. डिजिटल प्रबंधन

टोकन प्रणाली से अस्पताल प्रशासन को आगंतुकों की सटीक जानकारी मिलेगी, जिससे सेवाएँ बेहतर होंगी।


👨‍⚕️ प्रशासन की राय

AIIMS देवघर के निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्णेय ने कहा कि यह बदलाव मरीजों और उनके परिजनों को सुरक्षित, आरामदायक और पर्यावरण-अनुकूल सुविधा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे अस्पताल में सेवाओं का प्रवाह और बेहतर होगा तथा राष्ट्रीय स्तर पर यह एक आदर्श मॉडल साबित हो सकता है।


⚠️ चुनौतियाँ और समाधान

संभावित चुनौतियाँ:

  • बैटरी गाड़ियों की पर्याप्त संख्या बनाए रखना।

  • चार्जिंग और रखरखाव की निरंतर व्यवस्था।

  • QR कोड/एप्लीकेशन की तकनीकी दिक्कतें।

  • डिजिटल सिस्टम से अनभिज्ञ मरीजों की समस्या।

संभावित समाधान:

  • बैकअप वाहनों की उपलब्धता।

  • हेल्प डेस्क और गाइड की नियुक्ति।

  • सूचना बोर्ड और लाउडस्पीकर से दिशा-निर्देश।

  • बुजुर्ग/ग़ैर-टेक्निकल लोगों के लिए ऑन-स्पॉट सहायता।


🌍 व्यापक दृष्टिकोण

देवघर AIIMS की यह पहल केवल एक स्थानीय कदम नहीं है, बल्कि देशभर में अस्पताल प्रबंधन का एक नया मॉडल पेश करती है।

  • अयोध्या जैसे शहरों में हाई-टेक पार्किंग और EV चार्जिंग स्टेशन स्थापित हो रहे हैं।

  • रांची और जसीडीह में EV चार्जिंग प्वाइंट बढ़ाए जा रहे हैं।

  • स्वास्थ्य सेवाओं के साथ सस्टेनेबल मोबिलिटी और स्मार्ट मैनेजमेंट को जोड़ने का प्रयास हो रहा है।


✅ निष्कर्ष

देवघर AIIMS की नई व्यवस्था —

  • निजी वाहनों पर रोक,

  • बैटरी-चालित गाड़ियों से सुविधा,

  • और डिजिटल टोकन सिस्टम —

एक दूरदर्शी कदम है। यह पहल न केवल मरीजों को बेहतर अनुभव देती है बल्कि प्रदूषण, सुरक्षा और प्रबंधन जैसे बड़े मुद्दों का समाधान भी प्रस्तुत करती है।

भविष्य में अगर इस व्यवस्था को और अधिक सुचारू ढंग से लागू किया जाए, तो यह मॉडल देशभर के बड़े अस्पतालों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है।

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