EPFO के नए नियम: अब खाते से निकल सकेंगे सारे पैसे, कर्मचारियों को मिलेगी बड़ी राहत
नई दिल्ली, सितम्बर 2025 – देशभर के करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने नियमों में ऐतिहासिक बदलाव करने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संगठन ऐसा प्रावधान लाने पर विचार कर रहा है जिससे खाताधारक हर 10 साल में अपने खाते में जमा पूरे पैसे या उसका एक बड़ा हिस्सा निकाल सकेंगे। यह कदम कर्मचारियों को उनकी मेहनत की कमाई पर ज्यादा नियंत्रण और आर्थिक स्वतंत्रता देगा।
मौजूदा नियम क्या हैं?
इस समय EPFO खाताधारक अपने पैसे को पूरी तरह से सिर्फ तीन परिस्थितियों में ही निकाल सकते हैं—
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सेवानिवृत्ति (Retirement) – जब कर्मचारी 58 वर्ष की आयु पूरी कर लेता है।
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लंबी बेरोजगारी (Unemployment) – यदि कोई कर्मचारी लगातार दो महीने तक बेरोजगार रहता है।
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मृत्यु की स्थिति में – ऐसे में पूरे पैसे परिवार/नामांकित सदस्य को मिल जाते हैं।
इसके अलावा EPFO कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे घर खरीदने, बीमारी, बच्चों की पढ़ाई या शादी जैसे कारणों पर आंशिक निकासी की अनुमति देता है। मगर खाताधारक चाहकर भी अपनी पूरी रकम बीच में नहीं निकाल पाते। यही कारण है कि कई कर्मचारी अपनी ज़रूरत के समय बड़ी रकम होने के बावजूद उसे इस्तेमाल नहीं कर पाते।
नया प्रस्ताव क्या कहता है?
EPFO के नए प्रस्ताव के मुताबिक, अब खाताधारक को हर 10 साल में एक बार यह अधिकार दिया जाएगा कि वे अपने खाते में जमा पूरे पैसे निकाल सकें या चाहें तो उसका एक हिस्सा ही निकालें। यह व्यवस्था कर्मचारियों को न केवल आर्थिक स्वतंत्रता देगी बल्कि उन्हें अपने पैसों के बेहतर इस्तेमाल का विकल्प भी प्रदान करेगी।
मान लीजिए कि किसी कर्मचारी ने 10 साल नौकरी की है और उसके खाते में 12 लाख रुपये जमा हैं। मौजूदा नियमों के तहत वह यह रकम बीच में नहीं निकाल सकता। लेकिन नए नियम लागू होने के बाद वह चाहें तो पूरे 12 लाख रुपये निकाल सकता है या ज़रूरत के हिसाब से उसका कुछ हिस्सा भी उपयोग कर सकता है।
कर्मचारियों को क्या फायदे होंगे?
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आर्थिक स्वतंत्रता – कर्मचारियों को यह महसूस होगा कि उनकी मेहनत की कमाई पर पूरा अधिकार उन्हीं का है और वे ज़रूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
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बड़ी ज़रूरतों में मदद – बच्चों की उच्च शिक्षा, शादी, घर खरीदने या किसी बिज़नेस में निवेश जैसे बड़े खर्चों के लिए अब कर्मचारियों को महंगे कर्ज़ पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
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निवेश की नई संभावनाएं – कई कर्मचारी अपने पैसों को अन्य योजनाओं या निवेश विकल्पों में लगाकर अधिक लाभ कमा सकते हैं।
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मानसिक सुकून – जब यह पता हो कि किसी भी बड़े संकट के समय अपने EPF खाते से पूरी रकम निकाली जा सकती है, तो कर्मचारी आर्थिक असुरक्षा की चिंता से मुक्त रहेंगे।
सरकार और EPFO का नज़रिया
EPFO और सरकार का मानना है कि यह बदलाव कर्मचारियों की आर्थिक आज़ादी को बढ़ावा देगा। अक्सर देखा गया है कि कर्मचारी अपनी बचत का उपयोग करने में असमर्थ रहते हैं और उन्हें निजी वित्तीय संस्थानों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज़ लेना पड़ता है। नए प्रावधान से इस स्थिति में सुधार होगा।
हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस नियम से भविष्य की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। EPF को रिटायरमेंट फंड माना जाता है और अगर लोग बीच में ही अपना सारा पैसा निकाल लेंगे तो बुढ़ापे में उनके पास पर्याप्त बचत नहीं रह पाएगी। इसीलिए संभव है कि सरकार कुछ शर्तें भी लगाए, जैसे – निकासी के बाद खाते में न्यूनतम राशि रखना अनिवार्य हो, या फिर पूरी निकासी की बजाय एक निश्चित प्रतिशत ही निकालने की अनुमति हो।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर यह खबर आने के बाद कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर है। कई लोग इसे “सैलरीड क्लास के लिए राहत की सौगात” बता रहे हैं। दिल्ली में काम करने वाले एक निजी कंपनी कर्मचारी ने कहा, “मैं पिछले 12 साल से नौकरी कर रहा हूं। खाते में अच्छी खासी रकम है, लेकिन जरूरत के समय उसका इस्तेमाल नहीं कर पाया। अगर नया नियम लागू होता है तो यह हमारे लिए बहुत बड़ी राहत होगी।”
वहीं कुछ कर्मचारियों ने यह भी कहा कि सरकार को ऐसे प्रावधान बनाने चाहिए जिससे निकासी के बाद भी कर्मचारी रिटायरमेंट के समय सुरक्षित रहें।
अर्थव्यवस्था पर असर
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह नियम लागू होता है तो बाजार में पैसों का प्रवाह (Liquidity) बढ़ेगा। इससे निवेश और खपत दोनों को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन साथ ही यह भी डर है कि लोग अनियोजित ढंग से पैसे खर्च कर देंगे और बुढ़ापे में उनके पास सुरक्षा की कमी हो जाएगी। इसलिए सरकार को वित्तीय जागरूकता बढ़ाने के लिए भी अभियान चलाने होंगे।
निष्कर्ष
EPFO का यह प्रस्ताव कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है। यह न केवल उनकी मेहनत की कमाई पर उन्हें ज्यादा अधिकार देगा बल्कि उन्हें बड़े सपनों को पूरा करने और कठिन समय में मजबूती से खड़े होने की क्षमता भी देगा। हालांकि, इसके साथ-साथ वित्तीय अनुशासन और भविष्य की योजना बनाना भी उतना ही ज़रूरी होगा।
अगर सरकार इस नए नियम को लागू करती है तो करोड़ों कर्मचारियों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। यह कदम देश के सैलरीड क्लास के लिए “आर्थिक आज़ादी” का नया अध्याय साबित हो सकता है।
