GAYA जी में लालू परिवार ने किया पूर्वजों का पिंडदान, तेजस्वी यादव बोले – “पिताजी की इच्छा थी”
बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र गया जी एक बार फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव का पूरा परिवार विष्णुपद मंदिर परिसर पहुँचा और अपने पूर्वजों का विधि-विधान से पिंडदान किया। इस अवसर पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम उनके पिता लालू प्रसाद यादव की इच्छा पर सम्पन्न किया गया है।
पिताजी की भावनाओं का सम्मान
तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से कहा, “पिताजी का स्वास्थ्य इस समय ठीक नहीं है, लेकिन उनकी इच्छा थी कि पूरा परिवार एक बार गया जी आकर भगवान विष्णु का दर्शन करे और मोक्ष की भूमि पर पूर्वजों का पिंडदान संपन्न करे। हम सबने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए यहां पिंडदान किया।”
लालू यादव लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं और इसी कारण वे स्वयं इस धार्मिक अनुष्ठान में उपस्थित नहीं हो पाए। हालांकि, उनकी अनुपस्थिति के बावजूद परिवार ने उनकी इच्छा को पूरा करने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
गया जी और पिंडदान का महत्व
गया जी को हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। यहां पिंडदान की परंपरा हजारों साल पुरानी है। माना जाता है कि यहां किया गया पिंडदान आत्मा को मोक्ष प्रदान करता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। विष्णुपद मंदिर परिसर और फल्गु नदी तट पर हर साल लाखों लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध और पिंडदान करने आते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने गयासुर राक्षस को हराया था, तब उन्होंने यहीं उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि यह स्थान पितरों की मुक्ति का स्थल बनेगा। तभी से यह भूमि “मोक्षभूमि” के नाम से जानी जाती है।
लालू परिवार की आस्था
लालू प्रसाद यादव का परिवार राजनीति के साथ-साथ आस्था और परंपराओं से भी गहराई से जुड़ा रहा है। पहले भी कई मौकों पर परिवार के सदस्य विभिन्न धार्मिक स्थलों पर दर्शन करते रहे हैं। लेकिन इस बार पूरा परिवार एक साथ गया जी पहुँचना अपने आप में खास रहा।
तेजस्वी यादव के अलावा उनके भाई-बहन और अन्य परिजन भी इस मौके पर मौजूद थे। परिवार ने पंडितों की देखरेख में विधिवत पिंडदान संपन्न किया और भगवान विष्णु से परिवार की सुख-शांति और पितरों की मुक्ति की प्रार्थना की।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
लालू परिवार का यह धार्मिक कार्यक्रम केवल एक पारिवारिक या धार्मिक घटना नहीं रहा, बल्कि इसने राजनीतिक हलकों में भी चर्चा पैदा की। विरोधी दलों और समर्थकों दोनों ने इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी।
कुछ लोगों ने इसे लालू परिवार की धार्मिक आस्था का प्रतीक बताया, तो वहीं कुछ ने इसे सामाजिक संदेश देने वाला कदम माना।
बिहार जैसे राज्य में जहां धर्म और राजनीति दोनों का गहरा प्रभाव है, वहां नेताओं के धार्मिक कार्य अक्सर जनता के बीच अलग महत्व रखते हैं।
तेजस्वी यादव का संदेश
तेजस्वी यादव ने कहा कि पूर्वजों का आशीर्वाद हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण होता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए गए कर्म न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा, “आज हमने परिवार सहित पितरों का पिंडदान कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। यह हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है जिसे हमें हर हाल में निभाना चाहिए।”
गया जी में उमड़ी भीड़
लालू परिवार के आगमन की खबर फैलते ही विष्णुपद मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और पार्टी कार्यकर्ता जुट गए। सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी की गई थी ताकि कार्यक्रम में कोई व्यवधान न आए।
लोगों ने तेजस्वी यादव और उनके परिवार का स्वागत किया और उनके साथ फोटो खिंचाने की भी कोशिश की। कई स्थानीय लोगों ने इसे ऐतिहासिक पल बताया और कहा कि जब बड़े नेता भी परंपराओं का पालन करते हैं, तो समाज के लिए यह एक प्रेरणा बनता है।
धार्मिक आस्था और आधुनिक राजनीति
लालू परिवार का गया जी आना केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक ओर जहां यह उनकी निजी आस्था का विषय है, वहीं दूसरी ओर जनता के बीच एक संदेश भी है कि परंपराओं का पालन हर वर्ग और हर व्यक्ति के लिए जरूरी है।
बिहार की राजनीति में यह घटना इसलिए भी अहम है क्योंकि आने वाले समय में राज्य में चुनावी हलचल बढ़ने वाली है। ऐसे में जनता के बीच धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने वाला यह कदम उनके लिए सकारात्मक छवि बनाने का काम कर सकता है।
निष्कर्ष
गया जी का यह पवित्र स्थल हमेशा से भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक रहा है। लालू प्रसाद यादव का परिवार जब यहां पूर्वजों का पिंडदान करता है, तो यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि परंपरा, संस्कृति और पारिवारिक भावनाओं के सम्मान का प्रतीक बन जाता है।
तेजस्वी यादव का यह संदेश कि “पिताजी की इच्छा थी और हम सबने मिलकर उसे पूरा किया” इस बात को दर्शाता है कि चाहे जीवन कितना भी व्यस्त क्यों न हो, अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ना ही सच्चा कर्तव्य है।
इस प्रकार, गया जी में सम्पन्न हुआ यह कार्यक्रम न केवल लालू परिवार के लिए एक धार्मिक संतोष का क्षण बना बल्कि पूरे समाज के लिए यह याद दिलाने वाला संदेश भी कि पितरों का सम्मान और आस्था की परंपराओं का निर्वाह हर व्यक्ति का नैतिक दायित्व है।