Gayaji में होगा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसा भव्य विकास: विष्णुपद मंदिर क्षेत्र को मिलेगा नया रूप
गया (बिहार):
बिहार के गया जिले में स्थित ऐतिहासिक विष्णुपद मंदिर अब जल्द ही एक नए और आधुनिक रूप में दिखाई देगा। राज्य सरकार ने इस प्राचीन धार्मिक स्थल को वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित करने की योजना तैयार की है। यह परियोजना न केवल गया जिले की धार्मिक महत्ता को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि यह पूरे बिहार के पर्यटन, रोजगार और आर्थिक विकास में भी एक मील का पत्थर साबित होगी।
विष्णुपद मंदिर: गया की आस्था का केंद्र
गया का विष्णुपद मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, और इसकी मान्यता है कि भगवान विष्णु के चरणचिह्न (पदचिह्न) यहां अंकित हैं। कहा जाता है कि यहीं भगवान विष्णु ने असुर गयासुर को मोक्ष प्रदान किया था, जिसके बाद इस स्थान का नाम “गया” पड़ा। यह मंदिर हिंदू श्रद्धालुओं के लिए पितृपक्ष के समय विशेष महत्व रखता है, जब हजारों की संख्या में लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए गयाजी पहुंचते हैं।
हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन बढ़ती भीड़, अपर्याप्त सुविधाएं, और अनियोजित संरचना के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं कारणों से बिहार सरकार ने विष्णुपद मंदिर क्षेत्र के विकास का निर्णय लिया है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसा होगा गया का कायाकल्प
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर परियोजना ने पूरे देश में एक मिसाल पेश की है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र को आधुनिक सुविधाओं, चौड़ी गलियों, स्वच्छता, सुरक्षा और पर्यटन अनुकूल वातावरण के साथ विकसित किया गया है। इसी मॉडल को अब बिहार सरकार गया के विष्णुपद मंदिर क्षेत्र में लागू करने जा रही है।
सरकार की योजना है कि मंदिर परिसर के आसपास की गलियों को चौड़ा किया जाए, अतिक्रमण हटाया जाए, आधुनिक सुविधाओं से युक्त श्रद्धालु केंद्र बनाए जाएं और मंदिर तक पहुंचने के लिए स्वच्छ और आकर्षक मार्ग तैयार किए जाएं। इस परियोजना के पूरा होने के बाद गया का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और भी अधिक बढ़ जाएगा।
अहमदाबाद की HCP Design को दी गई जिम्मेदारी
विष्णुपद मंदिर क्षेत्र के विकास कार्य के लिए अहमदाबाद की एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को परामर्शदाता नियुक्त किया गया है। यह वही संस्था है जिसने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का डिजाइन तैयार किया था।
एचसीपी डिजाइन की टीम ने वाराणसी में जिस तरह से आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम दिखाया, उसी सोच को गया में भी लागू किया जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद गया का विष्णुपद क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी देश और विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करेगा।
पर्यटन और रोजगार को नई दिशा
विष्णुपद मंदिर के विकास से गया के पर्यटन उद्योग को नई गति मिलेगी। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि की संभावना है। इसके साथ ही, स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे — चाहे वह होटल व्यवसाय हो, स्थानीय हस्तशिल्प, परिवहन सेवाएं या गाइड का काम।
राज्य सरकार का कहना है कि इस परियोजना से गया का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा। यह केवल मंदिर विकास का काम नहीं होगा, बल्कि आसपास के पूरे क्षेत्र को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि श्रद्धालु और पर्यटक दोनों को एक सुखद अनुभव मिल सके।
पटना में भी होगा आधुनिक होटल निर्माण
इसी योजना के अंतर्गत बिहार की राजधानी पटना में भी पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। बांकीपुर बस स्टैंड परिसर में जन-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership) के तहत पाँच सितारा होटल बनाने की योजना को मंजूरी दी गई है।
यह होटल कोलकाता की सारा होटल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाया जाएगा। इस फैसले से राज्य की राजधानी में पर्यटन और व्यावसायिक गतिविधियों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
गया को मिलेगा धार्मिक-पर्यटन हब का दर्जा
बिहार सरकार की मंशा है कि विष्णुपद मंदिर परियोजना के पूरा होने के बाद गया को एक धार्मिक-पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जाए। यह न केवल हिंदू श्रद्धालुओं के लिए बल्कि बौद्ध पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बनेगा, क्योंकि गया से कुछ ही दूरी पर बोधगया स्थित है — जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
इस तरह, विष्णुपद मंदिर और बोधगया के संयुक्त विकास से गया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन सकता है।
स्थानीय लोगों की उम्मीदें और सरकार की प्रतिबद्धता
स्थानीय लोगों ने इस परियोजना का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे न केवल धार्मिक महत्व बढ़ेगा बल्कि साफ-सफाई, सुरक्षा और सुविधाओं में भी बड़ा सुधार होगा। गया के व्यवसायी वर्ग का कहना है कि मंदिर क्षेत्र के सौंदर्यीकरण से स्थानीय व्यापार और होटल उद्योग को नई पहचान मिलेगी।
वहीं, सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि परियोजना के दौरान स्थानीय निवासियों और दुकानदारों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। विकास कार्यों में पारदर्शिता और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी।
निष्कर्ष
गया का विष्णुपद मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारत की आस्था, परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। बिहार सरकार द्वारा इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित करने की पहल एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल गया का गौरव पुनर्जीवित होगा, बल्कि बिहार का धार्मिक और पर्यटन नक्शा भी नई पहचान पाएगा।
यह परियोजना आने वाले वर्षों में बिहार के लिए एक ‘मॉडल ऑफ डेवलपमेंट’ साबित हो सकती है — जहाँ परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।
लेखक की दृष्टि में:
यदि इस परियोजना को सही दिशा में आगे बढ़ाया गया, तो गया न केवल धार्मिक रूप से बल्कि आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बनेगा। विष्णुपद मंदिर क्षेत्र का पुनर्निर्माण बिहार की पहचान को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा और आने वाली पीढ़ियाँ इसे गर्व के साथ देखेंगी।
