Hariyali Amavasya 2025: हरियाली और श्रद्धा का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व
हरियाली अमावस्या, हिन्दू धर्म का एक पावन पर्व है जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और पितृ देवताओं की पूजा का विशेष महत्व होता है। साथ ही यह पर्व प्रकृति के संरक्षण और हरियाली के प्रति जागरूकता का प्रतीक भी है।
📅 हरियाली अमावस्या 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
हरियाली अमावस्या 2025 इस वर्ष 24 जुलाई (गुरुवार) को मनाई जा रही है।
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अमावस्या तिथि प्रारंभ: 24 जुलाई 2025, रात 2:28 बजे
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अमावस्या तिथि समाप्त: 25 जुलाई 2025, रात 11:33 बजे
सनातन परंपरा के अनुसार, पर्व उदया तिथि में मनाया जाता है, इसलिए इस वर्ष हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को ही मनाई जाएगी।
🔔 महत्वपूर्ण मुहूर्त:
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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:15 से 4:57 बजे
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अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 2:26 से 3:58 बजे
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अमृत काल: दोपहर 12:30 से 2:10 बजे तक (अनुमानित)
✨ हरियाली अमावस्या 2025: विशेष योग का संयोग
इस वर्ष हरियाली अमावस्या पर गुरु-पुष्य नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह दिन किसी भी धार्मिक कार्य, व्रत, जप, दान या पूजा के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक बनाता है।
इन दुर्लभ योगों में किए गए कार्य विशेष फल प्रदान करते हैं, और यही कारण है कि हरियाली अमावस्या 2025 का महत्व इस वर्ष और भी अधिक बढ़ गया है।
🛕 हरियाली अमावस्या की पूजन विधि (Pooja Vidhi)
यह दिन भगवान शिव, माता पार्वती और पितरों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर माना जाता है। पूजा विधि इस प्रकार है:
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प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
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घर के मंदिर या नजदीकी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
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शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, भस्म, धतूरा, पुष्प आदि अर्पित करें।
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“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
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शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें।
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माता पार्वती को सिन्दूर, चूड़ियां, हल्दी, और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
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पितरों के लिए तर्पण करें—जल में काले तिल, कुश और पुष्प डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पिंडदान करें।
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पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा करें, दीपक लगाएं और पीपल की सात परिक्रमा करें।
📌 विशेष रूप से पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति इस दिन तर्पण और दान-पुण्य अवश्य करें, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति आती है।
🌿 हरियाली और पर्यावरण से जुड़ाव
हरियाली अमावस्या का पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत के कई हिस्सों में वृक्षारोपण, झूला महोत्सव, और मेले आयोजित किए जाते हैं।
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राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और उत्तराखंड में इस दिन बड़े स्तर पर हरियाली अमावस्या मेले का आयोजन होता है।
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महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में झूला झूलती हैं, गीत गाती हैं और लोकनृत्य करती हैं।
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लोग आम, पीपल, नीम, तुलसी, आंवला आदि के पौधे लगाकर पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेते हैं।
📖 हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व
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भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने का दिन
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पितरों की आत्मा की शांति हेतु तर्पण व दान
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प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरण की रक्षा का अवसर
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विवाहित स्त्रियों के लिए सौभाग्य प्राप्ति का दिन
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घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी
🔗 महत्वपूर्ण लिंक (Hyperlink सुझाव)
✍️ निष्कर्ष
हरियाली अमावस्या 2025 का यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और प्रकृति प्रेम का संगम है। जहां एक ओर यह हमें शिव भक्ति और पितृ पूजन का अवसर देता है, वहीं दूसरी ओर यह हमें प्रकृति से जुड़ने और उसकी रक्षा करने की प्रेरणा भी देता है। यदि हम इस दिन एक पौधा लगाकर और जरूरतमंदों को दान देकर अपना योगदान दें, तो यह पर्व और भी सार्थक हो जाएगा।