IIM कलकत्ता में छात्रा से रेप—काउंसलिंग बहाने हॉस्टल में बुलाकर नशीला पेय दिया, आरोपी गिरफ्तार
🚨 IIM कलकत्ता में एक और बलात्कार—महिला ने छात्र पर लगाया आरोप, आरोपी गिरफ्तार
कोलकाता में महिलाओं पर बढ़ते हमलों की कड़ी में एक और मामला सामने आया है। इस बार यह घिनौनी घटना IIM कलकत्ता के परिसर में हुई—जहां एक महिला ने एक छात्र पर संस्थान के हॉस्टल में बलात्कार करने का आरोप लगाया है।
📅 घटना की जानकारी
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शुक्रवार देर शाम, हरिदेवपुर पुलिस स्टेशन में महिला ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपी छात्र ने उसे “काउंसलिंग सत्र” के बहाने हॉस्टल बुलाया।
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महिला ने कहा कि उसे जात-भेज का कोल्ड ड्रिंक और पिज़्ज़ा दिया गया, जिससे वह बेहोश हो गई। जब होश आया, तो वह हॉस्टल रूम में थी और बलात्कार का पता चला ([India Today, PTI] )।
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उसने आरोप लगाया कि आरोपी ने “बोल दिया अगर कुछ कहा तो अंजाम भयंकर होगा”, जिससे उसने रिपोर्ट करने में देरी की ([livemint] )।
👮♂️ गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई
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Parmanand Toppaunwar, IIM-C का दूसरा वर्ष का छात्र, गिरफ्तार किया गया है और जेल भेजे जाने की संभावना है।
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होटल (हॉस्टल) के कक्ष को सील कर फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाये जा रहे हैं।
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पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, गेस्ट रजिस्टर, और साक्ष्यों की जांच शुरू कर दी है—पता चल रहा है कि महिला का नाम गेस्ट रजिस्टर में दर्ज नहीं करवाया गया था ([Business Standard] Bhaskar English+2The New Indian Express+2The Indian Express+2Navbharat Times)।
🎓 सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
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यह घटना तब सामने आई है जब कोलकाता में हाल ही में लॉ कॉलेज में एक गैंगरेप का पता चला था—जिसमें चार आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। उसी कैंपस की अनियमित प्रवेश प्रक्रिया और सुरक्षा चूक पर सवाल उठ रहे हैं ।
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IIM-C भी “शून्य सहनशीलता नीति” और ICC (Internal Complaints Committee) के तहत कार्यरत है, लेकिन इस घटना से चैबीस घंटे सुरक्षा व्यवस्था असंख्य कमज़ोर नजर आई iimcal.ac.in।
⚖️ सामाजिक-न्यायिक परिप्रेक्ष्य
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दो घटनाओं का सामने आना—पहले लॉ कॉलेज में गैंगरेप फिर IIM में यह।
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इससे साफ संकेत मिलते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा किसी भी प्रतिष्ठित संस्था में फ़िलहाल सुरक्षित नहीं है।
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निरंतर रूप से लागू नीतियों, काउंसलिंग, महिला प्रहरी और स्ट्रिक्ट विज़िटर रजिस्टर लागू करने की आवश्यकता ज़रूरी हो गई है।
📌 सुझाव और आगे की कार्रवाई
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ICC नीति और कार्य तंत्र को लागू करना होगा—पीड़िता के लिए तत्काल सहायता, मनोवैज्ञानिक मदद और वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करना अनिवार्य हो।
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कैंपस में सुरक्षा सुधार योजनाएँ लागू होनी चाहिए—जैसे 24×7 गार्ड, विज़िटर प्रवेश, सीसीटीवी और रजिस्टरिंग।
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कॉमन अभियानों के तहत छात्रों, स्टाफ, गार्ड्स के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण आयोजित किया जाए।
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सरकार एवं शिक्षा मंत्रालय को तुरंत कैंपस सुरक्षा ऑडिट कराना चाहिए—खासकर उन संस्थानों पर जहां ऐसी घटनाएँ दोहराई जा रही हैं।
🔚 निष्कर्ष
IIM कलकत्ता के हॉस्टल में यह घटना केवल एफआईआर नहीं बल्कि एक चेतावनी है—महिलाओं की सुरक्षा, संस्थागत जवाबदेही और प्राधिकारियों की सक्रिय भूमिका के बीच एक गहरी खाई है। यह समय है संस्थानों और समाज के लिए कि वे न केवल अपनी नीतियों को मज़बूत करें बल्कि उनके प्रत्यायन और क्रियान्वयन पर सतत संयम बरतें।
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क्या संस्थान महिला सुरक्षा के प्रति पर्याप्त जागरूक हैं?
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क्या लग्जरी संस्थान भी ऐसे मामलों में सुरक्षा व्यवस्था में चूक कर रहे हैं?
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