टैबलेट गले में फंसने से IIT खड़गपुर के छात्र की मौत: एक अनहोनी जो सवाल खड़े करती है
खड़गपुर, पश्चिम बंगाल – देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, IIT खड़गपुर में सोमवार रात एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई जिसने न केवल परिसर को स्तब्ध कर दिया, बल्कि सुरक्षा मानकों और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सेकंड ईयर के छात्र की मौत एक ऐसी परिस्थिति में हुई जिसे शायद एक छोटी सी सावधानी से रोका जा सकता था — दवा की गोली गले में फंसने के कारण।
क्या हुआ था उस रात?
सोमवार रात छात्र ने डिनर करने के बाद नियमित दवा लेने का प्रयास किया। रिपोर्ट के मुताबिक, गोली गले में फंस गई और वह घबराकर सांस नहीं ले पाया। जब तक उसके दोस्तों को समझ आया कि कुछ गड़बड़ हो रही है, तब तक वह अचेत हो चुका था। उसे तुरंत हॉस्टल के पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल सूत्रों ने बताया कि जब छात्र को लाया गया, उसकी पल्स नहीं चल रही थी और कोई जीवन संकेत नहीं थे। दोस्त और हॉस्टल मेट्स की मानें तो यह पूरी घटना कुछ ही मिनटों में घटी, और किसी को समय ही नहीं मिला उसे सही समय पर चिकित्सा सहायता देने का।
कौन था यह छात्र?
मृत छात्र सेकंड ईयर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का छात्र था और आईआईटी खड़गपुर के होस्टल में रह रहा था। पढ़ाई में होशियार और शांत स्वभाव का यह छात्र हाल ही में मिड-सेमेस्टर परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। उसके दोस्तों का कहना है कि वह किसी मानसिक दबाव में नहीं था, जिससे यह बात और साफ हो जाती है कि यह एक आकस्मिक दुर्घटना थी।
पहले भी हो चुकी हैं दुखद घटनाएं
यह कोई पहली दुखद घटना नहीं है जिसने IIT खड़गपुर को झकझोरा हो। कुछ दिन पहले ही एक और छात्र का शव हॉस्टल में फांसी से लटका मिला था, जो कथित रूप से आत्महत्या का मामला था। यह घटनाएं संस्थान में मानसिक स्वास्थ्य, आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था और छात्रों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चिंता पैदा कर रही हैं।
सवाल जो इस घटना से उठते हैं
- क्या होस्टल में फर्स्ट एड और CPR की ट्रेनिंग छात्रों को दी जाती है?
अगर छात्रों को बेसिक CPR आता होता, तो शायद उस छात्र को समय रहते बचाया जा सकता था। - क्या खाने के बाद दवा लेने के सुरक्षित तरीके के बारे में छात्रों को जानकारी दी जाती है?
दवाइयां विशेष रूप से तब खतरनाक हो सकती हैं जब उन्हें बिना पर्याप्त पानी के निगला जाए। - क्या संस्थान के पास त्वरित मेडिकल रिस्पांस की व्यवस्था है?
घटनास्थल से अस्पताल की दूरी और पहुंच कितनी आसान है, इस पर भी पुनर्विचार की जरूरत है।
मेडिकल एक्सपर्ट्स की राय
डॉ. संदीप गुप्ता, एक ईएनटी सर्जन का कहना है,
“गोलियों के गले में फंसने के मामले दुर्लभ होते हैं, लेकिन जब होते हैं, तो जानलेवा हो सकते हैं। खासकर अगर गोली बड़ी हो या निगलने से पहले पानी न लिया जाए। ऐसी परिस्थिति में Heimlich maneuver या तुरंत CPR शुरू करना जरूरी होता है।”
संस्थान की प्रतिक्रिया
IIT खड़गपुर प्रशासन ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और छात्र के परिवार से संपर्क किया है। संस्थान ने जांच का आदेश दिया है और वादा किया है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा।
प्रशासन ने यह भी कहा है कि वे छात्रों के लिए जल्द ही एक हेल्थ एंड सेफ्टी वर्कशॉप आयोजित करेंगे जिसमें दवा लेने के सुरक्षित तरीके, CPR ट्रेनिंग और आपातकालीन प्रतिक्रिया सिखाई जाएगी।
छात्रों और अभिभावकों में डर
इस घटना के बाद छात्रों में भय और चिंता का माहौल है। कई छात्रों के अभिभावकों ने संस्थान से संपर्क किया है और बेटे-बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। सोशल मीडिया पर भी यह खबर वायरल हो रही है और कई यूजर्स संस्थान से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
इससे क्या सीखने की ज़रूरत है?
यह घटना हमें यह सिखाती है कि जीवन में छोटी सी लापरवाही भी बड़ी दुर्घटना का रूप ले सकती है। निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है:
- गोली हमेशा अच्छी मात्रा में पानी के साथ लें।
- कभी भी लेटकर या झुककर दवा न लें।
- हॉस्टल्स और शिक्षण संस्थानों में फर्स्ट एड और CPR की ट्रेनिंग अनिवार्य की जाए।
- संस्थानों में 24×7 मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जाए।
निष्कर्ष
IIT खड़गपुर में छात्र की मौत सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि एक संस्थागत खामी का संकेत है। यह वक्त है जब शिक्षण संस्थानों को न सिर्फ शिक्षा, बल्कि छात्रों की समग्र सुरक्षा को भी प्राथमिकता देनी होगी। उम्मीद है कि यह दुखद घटना एक चेतावनी बनकर उभरे और आने वाले समय में ऐसी अनहोनी दोहराई न जाए।