दिवंगत IRS अधिकारी ने तिरुपति मंदिर ट्रस्ट को दिया ₹3 करोड़ की संपत्ति और ₹66 लाख की एफडी — भक्ति की मिसाल बनी उनकी वसीयत
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हैदराबाद | जुलाई 2025
धर्म और आस्था की शक्ति को दर्शाने वाली एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जिसमें दिवंगत भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी भास्कर राव ने अपनी वसीयत के जरिए तिरुपति मंदिर ट्रस्ट और अन्य धार्मिक ट्रस्टों को लगभग ₹3 करोड़ की संपत्ति और ₹66 लाख की एफडी दान में दी है। इस खबर ने न सिर्फ उनके जीवन के मूल्यों को उजागर किया है बल्कि समाज के लिए एक आध्यात्मिक उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।
कौन थे भास्कर राव?
भास्कर राव एक सम्मानित और वरिष्ठ IRS अधिकारी थे, जिन्होंने अपने करियर के दौरान ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से सेवाएं दीं। सेवानिवृत्त होने के बाद वे पूरी तरह से धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में रत हो गए थे। उनके परिवार और करीबी सूत्रों के अनुसार, उन्हें श्री वेंकटेश्वर स्वामी में अत्यधिक आस्था थी और तिरुपति मंदिर उनके लिए एक गहन धार्मिक केंद्र था।
वसीयत में क्या कहा गया?
राव ने अपनी वसीयत में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि उनके नाम पर दर्ज संपत्ति, जिसकी कुल अनुमानित कीमत ₹3 करोड़ है, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट और उससे संबंधित अन्य ट्रस्टों को समर्पित की जाए। साथ ही ₹66 लाख की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की राशि भी मंदिर को दान में दी गई है।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि,
> “इस संपत्ति का उपयोग केवल आध्यात्मिक एवं धार्मिक कार्यों के लिए किया जाए।”
उनके द्वारा दान की गई संपत्ति हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित है और 3,500 वर्गफुट में फैली हुई है। इसके अतिरिक्त कुछ आंतरिक संपत्तियाँ और बैंक डिपॉजिट भी इस दान में शामिल हैं।
तिरुपति मंदिर ट्रस्ट ने जताया आभार
तिरुपति मंदिर ट्रस्ट ने भास्कर राव की इस भव्य आस्था और सहयोग के लिए गहरी कृतज्ञता प्रकट की है। ट्रस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
> “यह दान न केवल मंदिर के आध्यात्मिक कार्यों में सहायक होगा, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा भी बनेगा। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।”
समाज के लिए प्रेरणा
IRS अधिकारी राव की यह पहल न केवल एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति की श्रद्धा को दर्शाती है, बल्कि समाज के लिए भी एक गहरा संदेश छोड़ती है — धन और संपत्ति का सदुपयोग अगर आध्यात्मिक व सामाजिक कल्याण में हो, तो उसका प्रभाव दीर्घकालिक होता है।
उनकी वसीयत में यह भी निर्देश है कि संपत्ति से प्राप्त आय का उपयोग भी धार्मिक गतिविधियों में हो। इससे यह भी संकेत मिलता है कि वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी योगदान देना चाहते थे।
‘श्री वेंकटेश्वर स्वामी’ में थी गहरी श्रद्धा
राव के परिवारजनों का कहना है कि वे प्रत्येक वर्ष तिरुपति बालाजी मंदिर जाते थे और उनके जीवन की अंतिम यात्रा भी तिरुपति दर्शन के बाद ही हुई थी। उन्होंने कई धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया और अपने निवास पर भी एक छोटा मंदिर बनवाया था। उनका विश्वास था कि “धन का सर्वोत्तम उपयोग ईश्वर की सेवा में है।”
संपत्ति का क्या होगा उपयोग?
TTD ट्रस्ट ने संकेत दिया है कि भास्कर राव की वसीयत के अनुरूप, इस संपत्ति का उपयोग ट्रस्ट के धार्मिक कार्यों जैसे कि:
अन्नदान योजना
विद्या दान (धार्मिक शिक्षा के लिए)
तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधा विस्तार
मंदिर परिसर में आध्यात्मिक गतिविधियाँ
जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा।
समाज में उठे सकारात्मक भाव
इस समाचार के सामने आने के बाद सोशल मीडिया और आम जनता में भास्कर राव की सराहना की जा रही है। लोग उनके इस कार्य को “मरणोपरांत दान की महानतम मिसाल” बता रहे हैं। ट्विटर पर हैशटैग #BhaskarRao #IRSDevotee और #TirupatiDonation ट्रेंड कर रहा है।
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निष्कर्ष:
भास्कर राव की यह धर्मपरायणता और उनकी उदारता आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाती है कि आस्था और सेवा का मार्ग सबसे ऊंचा होता है। तिरुपति मंदिर ट्रस्ट को यह दान सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि एक समर्पित आत्मा की भक्ति का प्रतीक है।