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8 Aug 2025, Fri

JPSC Assistant Professor Recruitment: जेपीएससी का हाईकोर्ट में शपथ पत्र, दो माह में शुरू होगी नियुक्ति प्रक्रिया

JPSC Assistant Professor Recruitment: जेपीएससी का हाईकोर्ट में शपथ पत्र, दो माह में शुरू होगी नियुक्ति प्रक्रिया

JPSC Assistant Professor Recruitment: दो माह में शुरू होगी 468 पदों पर बहाली, हाईकोर्ट में जेपीएससी का शपथ पत्र

झारखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में नियमित शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति की राह जल्द ही साफ हो सकती है। झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) ने झारखंड उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि रांची विश्वविद्यालय से 468 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की अधियाचना प्राप्त हुई है और इन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया अगले दो माह में शुरू कर दी जाएगी।

यह जानकारी जेपीएससी ने मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ के समक्ष दायर शपथ पत्र में दी। यह सुनवाई विश्वविद्यालयों में नियमित असिस्टेंट प्रोफेसरों और शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) के तहत हुई, जिसे अनिकेत ओहदार और अन्य याचिकाकर्ताओं ने दाखिल किया था।


JPSC ने दी विस्तृत जानकारी

जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता अभय प्रकाश ने अदालत को बताया कि रांची विश्वविद्यालय की ओर से कुल 468 पदों की अधियाचना भेजी गई है। इनमें:

  • 431 पद — सामान्य नियमित नियुक्ति के लिए

  • 37 पद — बैकलॉग श्रेणी के लिए

आयोग ने भरोसा दिलाया कि इन सभी पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया दो माह के भीतर शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए विज्ञापन शीघ्र जारी किया जाएगा, जिससे राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में फैकल्टी की कमी को दूर किया जा सके।


पुराने लंबित पद भी भरने का आश्वासन

जेपीएससी ने अदालत को यह भी अवगत कराया कि वर्ष 2018 में जारी किए गए विज्ञापन संख्या 04/2018 और 05/2018 के तहत 400 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की नियुक्ति प्रक्रिया भी अब पूरी की जाएगी। ये पद लंबे समय से रिक्त हैं, जिससे विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।


JSSC को भी नोटिस जारी

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) को भी मामले में प्रतिवादी बनाया और नोटिस जारी किया। यह नोटिस विश्वविद्यालयों में तृतीय श्रेणी के शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति को लेकर जवाब दाखिल करने के लिए भेजा गया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जेएसएससी को अगली सुनवाई से पहले अपना पक्ष रखना होगा, ताकि विश्वविद्यालयों में न केवल शिक्षकों बल्कि गैर-शैक्षणिक स्टाफ की कमी भी दूर की जा सके।


संविदा नियुक्तियों पर उठे सवाल

याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि रांची विश्वविद्यालय में कई वर्षों से संविदा आधारित नियुक्तियां की जा रही हैं, जो नियमों और स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ है। उनका कहना था कि:

  • ठेका आधारित नियुक्तियों से शिक्षण की गुणवत्ता और स्थायित्व पर नकारात्मक असर पड़ता है।

  • संविदा कर्मियों का बार-बार नवीनीकरण अनिश्चितता पैदा करता है और शिक्षण वातावरण को प्रभावित करता है।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को समयबद्ध तरीके से नियमित नियुक्ति करनी चाहिए, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।


अदालत का रुख

कोर्ट ने जेपीएससी के शपथ पत्र को रिकॉर्ड में लेते हुए नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए। साथ ही, जेएसएससी को भी शिक्षकेतर कर्मियों की भर्ती को लेकर विस्तृत जवाब देने के लिए कहा गया है।

अगली सुनवाई 22 अगस्त 2025 को होगी, जिसमें उम्मीद है कि जेएसएससी अपना पक्ष रखेगा और अदालत दोनों आयोगों की प्रगति रिपोर्ट पर विचार करेगी।


भर्ती प्रक्रिया का महत्व

झारखंड में लंबे समय से विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण स्टाफ की कमी बनी हुई है। कई विभागों में फैकल्टी पदों के आधे से ज्यादा स्थान खाली हैं।

  • इसका सीधा असर पाठ्यक्रम के सुचारू संचालन, शोध कार्य और शैक्षणिक गुणवत्ता पर पड़ता है।

  • नियुक्तियों के बाद विश्वविद्यालयों में पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा और छात्रों को विषय विशेषज्ञों से पढ़ने का मौका मिलेगा।


आगे की राह

जेपीएससी द्वारा दी गई समयसीमा और अदालत के निर्देशों से यह स्पष्ट है कि आने वाले दो से तीन माह में झारखंड के विश्वविद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी।

  • पहला चरण: विज्ञापन जारी होना और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू होना।

  • दूसरा चरण: पात्रता परीक्षण, साक्षात्कार और दस्तावेज़ सत्यापन।

  • तीसरा चरण: चयन सूची जारी करना और नियुक्ति पत्र देना।

यदि यह प्रक्रिया तय समय में पूरी होती है, तो राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की दशा में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।


निष्कर्ष

जेपीएससी का यह कदम न केवल लंबे समय से लंबित भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा, बल्कि झारखंड के उच्च शिक्षा क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार भी करेगा। कोर्ट की सख्ती और समयसीमा तय करने से उम्मीद है कि इस बार प्रक्रिया में देरी नहीं होगी और विश्वविद्यालयों में जल्द ही योग्य और स्थायी फैकल्टी की नियुक्ति होगी।

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