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11 Sep 2025, Thu

JTET भर्ती प्रक्रिया पर बवाल: आरक्षण का लाभ लेकर पास हुए छात्र अनारक्षित वर्ग में चुने गए

JTET भर्ती प्रक्रिया पर बवाल: आरक्षण का लाभ लेकर पास हुए छात्र अनारक्षित वर्ग में चुने गए

JTET भर्ती में आरक्षण को लेकर नया विवाद: आरक्षित वर्ग से पास हुए अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित वर्ग में, जिलों ने मांगा स्पष्टीकरण

झारखंड में शिक्षक भर्ती को लेकर नया विवाद सामने आया है। सहायक आचार्य (शिक्षक) पदों पर जारी चयन परिणामों के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ऐसे अभ्यर्थी, जिन्होंने JTET (झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा) को आरक्षित वर्ग के न्यूनतम अंक मानदंड पर पास किया है, उन्हें अनारक्षित (जनरल) वर्ग में नियुक्ति मिल सकती है?

दरअसल, हाल ही में जारी सूची में कुछ ऐसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने JTET में 60% अंक हासिल नहीं किए, लेकिन आरक्षित वर्ग की कट-ऑफ (52%) पर क्वालिफाई किया था। अब वे सहायक आचार्य भर्ती में अनारक्षित वर्ग के तहत चयनित हो गए हैं। इस स्थिति ने चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और वैधता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


JTET क्वालिफाइंग मार्क्स का नियम

JTET नियमावली 2012 के अनुसार, न्यूनतम क्वालिफाइंग अंक तय किए गए हैं:

  • अनारक्षित वर्ग (General): 60% अंक

  • SC, ST, OBC और दिव्यांग अभ्यर्थी: 52% अंक

यानी कि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को परीक्षा पास करने के लिए कम से कम 60% अंक लाना अनिवार्य है, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए यह छूट दी गई है। इस नियम के चलते, कई अभ्यर्थी जिन्होंने 60% से कम अंक हासिल किए, वे केवल आरक्षित वर्ग की छूट का लाभ उठाकर JTET पास कर पाए।


विवाद कैसे शुरू हुआ?

जब JSSC (झारखंड कर्मचारी चयन आयोग) ने सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा का रिजल्ट जारी किया, तो उसमें कई ऐसे अभ्यर्थियों के नाम भी शामिल थे, जिनकी JTET क्वालिफिकेशन केवल आरक्षित वर्ग की शर्तों के तहत हुई थी।

समस्या यह है कि अब वही अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग में चयनित घोषित कर दिए गए हैं।
यानी अगर उन्होंने JTET में 60% से कम अंक पाए थे, तो नियमों के अनुसार वे जनरल कैटेगरी के अंतर्गत JTET पास माने ही नहीं जा सकते।

इसी विरोधाभास के कारण जिलों ने अब स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से मार्गदर्शन मांगा है।


जिलों ने मांगा विभाग से मार्गदर्शन

इस असमंजस की स्थिति को देखते हुए, जिलों ने विभाग से सवाल किया है कि क्या ऐसे अभ्यर्थियों का चयन वैध माना जाए या फिर उनकी उम्मीदवारी रद्द की जानी चाहिए।

शिक्षा विभाग ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए JSSC को पत्र लिखकर इस पर आधिकारिक स्पष्टीकरण मांगा है। विभाग का मानना है कि जब तक आयोग की ओर से स्पष्ट निर्देश नहीं मिलते, तब तक नियुक्ति प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।


60% से अधिक अंक वालों को कोई दिक्कत नहीं

इस बीच, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह ने स्पष्ट किया है कि जिन अभ्यर्थियों ने JTET में 60% या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं, उनके चयन पर कोई सवाल नहीं है।

चाहे वे आरक्षित वर्ग से क्यों न आते हों, क्योंकि उन्होंने जनरल कैटेगरी के लिए निर्धारित न्यूनतम अंकों को हासिल कर लिया है।
ऐसे अभ्यर्थियों की काउंसलिंग प्रक्रिया भी बिना किसी विवाद के पूरी की जा चुकी है।


JSSC के जवाब के बाद ही आगे बढ़ेगी प्रक्रिया

विभाग का कहना है कि फिलहाल इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय JSSC के स्पष्टीकरण के बाद ही लिया जाएगा। विभाग का उद्देश्य है कि:

  • चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहे

  • नियुक्ति में कोई कानूनी विवाद न हो

  • और किसी भी योग्य उम्मीदवार की नियुक्ति अनावश्यक रूप से प्रभावित न हो

इसलिए सभी जिलों से कहा गया है कि JSSC से दिशा-निर्देश मिलने तक नियुक्ति प्रक्रिया में ऐसे मामलों को रोका जाए।


अभ्यर्थियों में बढ़ी बेचैनी

इस विवाद से अभ्यर्थियों में असमंजस की स्थिति है।

  • जो उम्मीदवार 60% से कम अंक लाकर आरक्षित वर्ग में JTET पास हुए थे और अब अनारक्षित वर्ग में चयनित हुए हैं, उनकी उम्मीदवारी पर संकट मंडरा रहा है।

  • वहीं, 60% से अधिक अंक वालों के लिए कोई बाधा नहीं है, लेकिन प्रक्रिया में देरी से उनकी नियुक्ति पर भी असर पड़ सकता है।

कुछ शिक्षाविदों का कहना है कि अगर ऐसे चयन को वैध ठहराया गया तो यह JTET नियमावली 2012 की भावना के विपरीत होगा। इससे भविष्य में और भी विवाद पैदा हो सकते हैं।


निष्कर्ष

झारखंड में सहायक आचार्य नियुक्ति प्रक्रिया फिलहाल विवादों में है। आरक्षित वर्ग से पास होकर अनारक्षित वर्ग में चयनित अभ्यर्थियों का मुद्दा एक महत्वपूर्ण संवैधानिक और प्रशासनिक सवाल खड़ा करता है।

क्या आरक्षित वर्ग के मानदंड से पास होने वाले अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग की सीटों पर दावा कर सकते हैं? या फिर उनके चयन को रद्द कर दिया जाएगा?

इसका जवाब अब JSSC के स्पष्टीकरण पर निर्भर करेगा। फिलहाल जिलों और अभ्यर्थियों की निगाहें आयोग और शिक्षा विभाग पर टिकी हैं।

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