Maiya Samman Yojana में अटकी 4th किस्त: बैंक और प्रखंड के चक्कर काट रही महिलाएं, पेंशन भी अधर में
झारखंड की महिलाओं के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (Maiya Samman Yojana) और वृद्धा-विधवा पेंशन योजनाएं, जो कभी आशा की किरण मानी जाती थीं, अब खुद ही उलझनों और निराशा का कारण बन गई हैं। पूर्वी सिंहभूम जिले की सैकड़ों महिलाएं इन योजनाओं के तहत तीन किस्तें मिलने के बाद चौथी किस्त का इंतज़ार कर रही हैं, और पेंशन पाने के लिए बैंक और प्रखंड कार्यालय के चक्कर काट रही हैं।
📌 योजना का उद्देश्य, लेकिन लाभ अधूरा
Maiya Samman Yojana, हेमंत सोरेन सरकार की एक महत्वाकांक्षी और लोकप्रिय योजना है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। योजना के तहत पात्र महिलाओं को ₹2,500 की सहायता राशि दी जाती है। वहीं वृद्धा और विधवा पेंशन योजनाएं बुजुर्ग और निर्बल महिलाओं के लिए जीवन की एक बड़ी सहारा हैं।
लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
🙍♀️ “तीन बार मिला पैसा, अब कब आएगा?”
बड़ाजुड़ी की विधवा फूलमनी सिंह, बेड़ाहातू की आरती महतो, कृष्ण नगर की गीता देवी, काडाडूबा की सपना जामदा, और अन्य कई महिलाओं ने बताया कि उन्हें मंईयां सम्मान योजना की प्रथम, द्वितीय और तृतीय किस्त तो मिली, लेकिन इसके बाद पैसे आना बंद हो गए। बैंक जाएं तो कहा जाता है “प्रखंड जाइए”, और प्रखंड जाएं तो कहा जाता है “सर्वर डाउन है, बैंक से पूछिए”।
🏢 घाटशिला प्रखंड में रोज लगती है भीड़
घाटशिला प्रखंड कार्यालय में रोजाना आधा दर्जन से अधिक महिलाएं पहुंचती हैं, लेकिन उन्हें केवल सर्वर डाउन या तकनीकी समस्या का हवाला देकर लौटा दिया जाता है। बुजुर्ग महिलाएं, जो चलने-फिरने में भी असमर्थ हैं, वे भी निराश होकर लौट जाती हैं।
“बैंक भी भेजते हैं, प्रखंड भी। हर जगह बस दौड़ाया जा रहा है। कोई ये नहीं बताता कि असल में पैसा क्यों नहीं आ रहा?”
— गीता देवी, कृष्ण नगर
🗣️ जनप्रतिनिधियों की भी सुनवाई नहीं?
बुरुडीह, चेगजोड़ा और आचार्य धरमबहाल की महिलाएं जब जिला परिषद सदस्य देवयानी मुर्मू से मिलीं, तो उन्होंने बताया कि उनके गांव की महिलाएं भी इसी समस्या से जूझ रही हैं। उन्होंने भरोसा दिया कि वे जिले के उपायुक्त (DC) से इस मुद्दे पर बात करेंगी।
“यह सिर्फ मेरे गांव की नहीं, पूरे जिले की महिलाओं की समस्या है। मैं DC से बात करुंगी।”
— देवयानी मुर्मू, जिला परिषद सदस्य
📵 BDO से संपर्क नहीं हो सका
महिलाओं का कहना है कि घाटशिला प्रखंड की बीडीओ यूनिका शर्मा से संपर्क की कई कोशिशें की गईं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। यह प्रशासनिक उदासीनता महिलाओं की पीड़ा को और बढ़ा रही है।
⚠️ कौन है जिम्मेदार?
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योजना का डेटा आधार या बैंक से लिंक नहीं होना?
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PFMS (Public Financial Management System) में तकनीकी दिक्कत?
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सर्वर डाउन या सिस्टम अपडेट की समस्या?
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या फिर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही?
इन सवालों का कोई साफ जवाब नहीं मिल रहा, जिससे सैकड़ों लाभार्थियों में भ्रम और आक्रोश है।
📢 महिलाओं की मांग क्या है?
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जल्द से जल्द चौथी और आगे की किस्त जारी की जाए
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प्रखंड स्तर पर सप्ताह में एक बार कैंप लगाकर समस्याएं सुनी जाएं
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पेंशन योजनाओं की स्थिति पर खुले रूप से रिपोर्ट जारी हो
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लाभार्थियों को SMS/फोन के माध्यम से सूचना दी जाए
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तकनीकी समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए स्थानीय आईटी टीम की तैनाती हो
🤝 योजना नहीं भरोसा टूटने का मामला
एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है, और दूसरी ओर वास्तविक लाभार्थी महिलाएं, खासकर बुजुर्ग, अपमान और थकावट का अनुभव कर रही हैं। यदि यही स्थिति रही, तो योजना मंईयां सम्मान से बदलकर “मंईयां अपमान” में तब्दील हो जाएगी।
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✍️ निष्कर्ष
सरकारी योजनाएं तभी कारगर होती हैं जब उनका लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचता है। पूर्वी सिंहभूम की महिलाएं आज हताश हैं — उन्हें योजना नहीं, सम्मान और सुरक्षा चाहिए। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे उनकी आवाज़ सुनें और समय पर न्यायसंगत कार्रवाई करें।
👉 यदि आप भी ऐसी ही किसी योजना से जुड़ी समस्या झेल रहे हैं, तो नीचे कमेंट में साझा करें — आपकी आवाज़ ही बदलाव ला सकती है।