Nepal Crisis : हिंसा की आग में जल रहा नेपाल, पीएम मोदी ने जताई चिंता
नेपाल एक बार फिर राजनीतिक संकट और अराजकता के दौर में प्रवेश कर चुका है। छात्र-युवा नेतृत्व वाले Gen Z आंदोलन ने मंगलवार को हिंसक रूप ले लिया, जिससे राजधानी काठमांडू समेत कई बड़े शहर दहल उठे। संसद भवन से लेकर नेताओं के आवास और सरकारी इमारतों तक प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा। भारत ने नेपाल की अस्थिरता पर गहरी चिंता जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर संदेश साझा करते हुए नेपाल की जनता से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि नेपाल की स्थिरता भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
हिंसा की चपेट में नेता और आमजन
नेपाल में प्रदर्शन उस समय और भी भयावह हो गए जब प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर को आग के हवाले कर दिया। इस घटना में उनकी पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार गंभीर रूप से झुलस गईं और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई। यह खबर पूरे देश के लिए एक बड़ा सदमा थी और इसने आंदोलन को और भी उग्र बना दिया।
काठमांडू की सड़कों पर मंगलवार को अफरातफरी का माहौल रहा। संसद भवन और सिंहदरबार स्थित मंत्रालयों पर धावा बोला गया, जबकि कई मंत्रियों और अधिकारियों को सुरक्षित ठिकानों पर भेजना पड़ा।
पीएम ओली का इस्तीफ़ा
तेजी से बिगड़ते हालात और बढ़ती हिंसा के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने इस्तीफ़ा दे दिया। सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने साफ़ किया था कि राजनीतिक समाधान के बिना केवल बल प्रयोग से स्थिति को काबू में करना संभव नहीं है। इसके चलते ओली ने पद छोड़ते हुए कहा कि वे “राजनीतिक समाधान का रास्ता खोलने” के लिए इस्तीफ़ा दे रहे हैं।
ओली के इस्तीफ़े ने एक ओर विपक्षी दलों और प्रदर्शनकारियों को संतोष दिया, लेकिन दूसरी ओर नेपाल में राजनीतिक अनिश्चितता और भी गहरी हो गई है।
पीएम मोदी की चिंता और अपील
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा:
“हिमाचल प्रदेश और पंजाब से लौटने के बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में नेपाल के घटनाक्रम पर चर्चा की गई। नेपाल में जारी हिंसा हृदयविदारक है। मुझे इस बात का दुःख है कि कई युवाओं ने हिंसा में अपनी जान गंवाई है। नेपाल की स्थिरता, शांति और समृद्धि हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। मैं नेपाल के सभी भाइयों और बहनों से विनम्रतापूर्वक शांति का समर्थन करने की अपील करता हूं।”
मोदी की यह अपील इस बात को दर्शाती है कि भारत नेपाल में स्थिरता को अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा मानता है।
क्यों चिंतित है भारत?
नेपाल की अस्थिरता भारत के लिए कई कारणों से चिंता का विषय है:
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भौगोलिक समीपता: भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा है, जहाँ रोज़ाना लाखों लोग आवाजाही करते हैं। हिंसा और अराजकता का सीधा असर भारत के सीमावर्ती राज्यों—उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और सिक्किम—पर पड़ सकता है।
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सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्ते: भारत और नेपाल के बीच गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक संबंध हैं। अस्थिरता से इन रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
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आर्थिक सहयोग: नेपाल भारत पर ऊर्जा, व्यापार और रोजगार के लिए काफी निर्भर है। हालात बिगड़ने से सीमा पार व्यापार और निवेश प्रभावित हो सकता है।
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चीन का बढ़ता प्रभाव: यदि नेपाल लंबे समय तक अस्थिर रहता है, तो चीन वहाँ राजनीतिक और आर्थिक रूप से अपने प्रभाव को और बढ़ा सकता है। यह भारत की रणनीतिक चिंताओं को और गहरा कर देगा।
पूर्व राजनयिकों की राय
भारत के कई पूर्व राजनयिकों ने नेपाल की हिंसा पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि भारत को इस संकट पर बारीकी से नज़र रखनी चाहिए। कुछ कूटनीतिज्ञों ने साफ़ कहा कि नेपाल की स्थिति “वास्तव में उथल-पुथल” वाली है और यदि इस पर समय रहते काबू न पाया गया तो यह भारत के हितों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
पूर्व राजनयिकों ने सुझाव दिया कि भारत को नेपाल के साथ बैक-चैनल बातचीत और राजनयिक माध्यमों से स्थिति को शांत करने की दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
नेपाल का भविष्य क्या होगा?
ओली के इस्तीफ़े के बाद नेपाल के सामने कई संभावनाएँ खुली हैं:
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सर्वदलीय अंतरिम सरकार: सभी दलों की सहमति से एक नई अंतरिम सरकार बनाई जा सकती है।
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नए चुनाव: यदि राजनीतिक सहमति नहीं बनती, तो नए आम चुनाव कराए जा सकते हैं।
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सेना की भूमिका: स्थिति और बिगड़ने पर सेना को अस्थायी प्रशासनिक जिम्मेदारी निभानी पड़ सकती है।
इनमें से कोई भी रास्ता आसान नहीं है, लेकिन सभी परिस्थितियों में भारत की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है।
निष्कर्ष
नेपाल आज जिस दौर से गुजर रहा है, वह उसके लोकतंत्र और सामाजिक ढाँचे की सबसे कठिन परीक्षा है। पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी की मौत और संसद भवन पर आगजनी जैसी घटनाएँ यह दिखाती हैं कि आंदोलन अब केवल सरकार-विरोध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक व्यापक अराजकता में बदल चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान यह साफ़ करता है कि भारत नेपाल की स्थिरता को अपनी प्राथमिकता मानता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नेपाल का राजनीतिक परिदृश्य किस दिशा में आगे बढ़ता है और भारत इस संकट में किस तरह की भूमिका निभाता है।
नेपाल की शांति और स्थिरता केवल नेपाली जनता के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और सहयोग के लिए भी जरूरी है।