PAC जवानों की नाराजगी: बुनियादी सुविधाओं के अभाव में 600 रिक्रूटों ने दी इस्तीफे की धमकी
Gorakhpur News: मुरादाबाद PAC में 600 महिला रिक्रूटों का हंगामा – बुनियादी सुविधाओं की कमी पर किया सड़क जाम, दी सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी
“अगर हम देश की सेवा करने आए हैं, तो कम से कम इंसानों जैसा व्यवहार तो मिलना चाहिए।”
यही दर्द झलकता है मुरादाबाद की पीएसी आरटीसी (Recruit Training Centre) में तैनात 600 महिला रिक्रूटों के विरोध में।
बुधवार सुबह का मुरादाबाद पीएसी परिसर, जहां अनुशासन का बोलबाला होता है, अचानक हंगामे और नाराजगी का केंद्र बन गया।
🚨 विरोध की मुख्य वजहें
महिला रिक्रूटों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्हें न तो भोजन और पीने का पानी मिल रहा है और न ही स्वास्थ्य सेवाएं या उचित रहने की सुविधा।
उनके अनुसार:
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दो दिनों से भूखी हैं कई रिक्रूट, कई तो गर्मी और कमजोरी के कारण बेहोश तक हो गईं।
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शौचालय बेहद गंदे, और स्नानगृह की व्यवस्था नहीं।
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CCTV कैमरे खुले में नहाने की जगहों पर, जिससे निजता भंग हो रही है।
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30-30 रिक्रूटों को एक कमरे में ठूंसा गया है, केवल एक पंखे की व्यवस्था।
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चोट लगने पर इलाज नहीं, एक रिक्रूट के दांत तक टूट गए लेकिन प्राथमिक उपचार नहीं मिला।
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🚧 सड़क जाम और प्रशासनिक हलचल
प्रशासन की चुप्पी से नाराज़ होकर महिला रिक्रूट प्रशिक्षण परिसर से बाहर निकल आईं और मुख्य सड़क पर जाम लगा दिया। इससे इलाके में भारी ट्रैफिक जाम हो गया।
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मौके पर सीओ और थाना प्रभारी सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पहुंचे।
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PAC कमांडेंट ने खुद मौके पर पहुँचकर समझाने की कोशिश की, लेकिन रिक्रूट पीछे हटने को तैयार नहीं थीं।
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रिक्रूटों की मांग थी कि या तो उन्हें तत्काल दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए या सभी समस्याओं का समाधान तत्काल किया जाए।
🏠 रहने की स्थिति और असुविधा
रिक्रूटों का कहना था कि:
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एक कमरे में 30 महिला रिक्रूटों को रखा गया है, जहाँ सिर्फ एक पंखा है।
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14 रिक्रूटों को टीनशेड में ठूंसकर रखा गया है, जहां गर्मी में रहना मुश्किल है।
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बिजली बार-बार जाती है, जिससे अंधेरे में रहना पड़ता है।
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स्नानगृह नहीं, इसलिए रिक्रूटों को खुले में नहाना पड़ता है, जहां CCTV कैमरे लगे हुए हैं।
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💰 शुल्क लिया लेकिन सुविधाएं नदारद
रिक्रूटों ने बताया कि प्रशिक्षण के नाम पर उनसे ₹6000 प्रति रिक्रूट लिए गए, लेकिन बदले में कोई भी सुविधा नहीं दी गई:
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सुबह का नाश्ता नहीं मिलता, सिर्फ दो बार खाना।
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गर्मी और थकावट के बाद भी दिनभर भूखे रहने की मजबूरी।
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इसे रिक्रूटों ने शोषण और धोखाधड़ी करार दिया।
🏥 इलाज और शोषण के आरोप
कुछ रिक्रूटों ने बताया कि:
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कूलर से गिरकर घायल होने के बावजूद उन्हें इलाज नहीं मिला।
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एक रिक्रूट का दांत टूट गया, फिर भी कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई।
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शिकायत करने पर गाली-गलौज और मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा।
📘 पढ़ाई और भविष्य पर संकट
एक महिला रिक्रूट ने बताया कि उसने प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिए अनुमति मांगी थी, एडमिट कार्ड भी दिखाया, लेकिन उसे बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
इससे न केवल उसकी पढ़ाई प्रभावित हुई, बल्कि उसका भविष्य भी अधर में लटक गया।
✊ विरोध और चेतावनी
रिक्रूटों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर:
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उन्हें तुरंत राहत नहीं दी गई
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बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं
तो वे सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगी।
यह केवल हंगामा नहीं है, बल्कि उन बुनियादी अधिकारों की मांग है जिनका हक हर नागरिक को है – फिर चाहे वह पुलिस का जवान क्यों न हो।
🔚 निष्कर्ष
मुरादाबाद की यह घटना न केवल उत्तर प्रदेश पुलिस बल की प्रशासनिक खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जब जवानों को ही सम्मान और सुविधाएं नहीं मिलतीं, तो वे दूसरों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेंगे?
यह समय है कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग इस मुद्दे को गंभीरता से लें और इन महिला रिक्रूटों को वह सम्मान और सुविधा दें जिसकी वे हकदार हैं।
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