Pitru Paksha 2025 में खुलेंगे मोक्ष के द्वार या टूटेगा ग्रहों का कहर? 7 सितंबर को पितृपक्ष और चंद्रग्रहण का महासंयोग! जानिए क्या होगा प्रभाव?
Pitru Paksha 2025: इस बार मोक्ष के द्वार खुलेंगे या ग्रहण का संकट देगा चेतावनी? जानें 7 सितंबर के महासंयोग का रहस्य!
नई दिल्ली:
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष वह विशेष काल होता है जब माना जाता है कि हमारे पितृ (पूर्वज) पृथ्वी पर आते हैं। यह समय उन्हें स्मरण, तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध के माध्यम से तृप्त करने का होता है। लेकिन 2025 का पितृपक्ष एक अनोखे और रहस्यमय खगोलीय संयोग के साथ आरंभ हो रहा है — 7 सितंबर 2025, जब भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पितृपक्ष की शुरुआत और उसी रात पूर्ण चंद्रग्रहण दोनों घटित होंगे।
📅 Pitru Paksha 2025 तिथियां:
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शुरुआत: 7 सितंबर 2025 (भाद्रपद पूर्णिमा)
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समाप्ति: 21 सितंबर 2025 (सर्वपितृ अमावस्या)
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विशेष तिथि: 22 सितंबर — मातामह (नाना-नानी) श्राद्ध
🌕 चंद्रग्रहण और पितृपक्ष: संयोग या चेतावनी?
7 सितंबर 2025 की रात को लगने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण इस पितृपक्ष को और भी रहस्यमय बना देता है। यह खगोलीय घटना भारत समेत कई देशों में दिखाई देगी।
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ग्रहण का आरंभ: 9:57 PM
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ग्रहण का समापन: 8 सितंबर, 1:26 AM
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सूतक काल शुरू: 7 सितंबर दोपहर 12:57 PM से
ज्योतिषाचार्या और टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा के अनुसार, यह एक अत्यंत दुर्लभ संयोग है जो पितरों की ऊर्जा और ग्रहों की चाल को एक साथ जोड़ता है। यह काल न केवल तर्पण और श्राद्ध के लिए विशेष है, बल्कि आत्मनिरीक्षण, पूर्वजों से जुड़ाव और कर्मफल की अनुभूति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
🔱 क्या कहती हैं शास्त्रों की दृष्टि से ग्रहण की छाया?
हिंदू धर्म में ग्रहण को एक अशुभ काल माना जाता है, विशेषकर सूतक के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने से मना किया गया है। इसलिए:
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तर्पण और श्राद्ध का श्रेष्ठ समय:
👉 दोपहर 12:00 से 1:30 बजे के बीच
यह समय “पितृ संध्या” कहलाता है और सबसे पवित्र माना गया है।
नीतिका शर्मा कहती हैं, “जैसे देवताओं की आराधना प्रातः या संध्या को होती है, वैसे ही पितरों का आह्वान दोपहर में श्रेष्ठ माना गया है।”
⚠️ पितृ दोष के लक्षण और बचाव:
यदि किसी व्यक्ति के जीवन में निम्न समस्याएं बार-बार आती हैं, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है:
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संतान सुख में बाधा
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घर में बार-बार बीमारियाँ
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पारिवारिक कलह या पैतृक संपत्ति में विवाद
🕉️ बचाव के उपाय:
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पवित्र भाव से श्राद्ध और तर्पण करना
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गौ दान, अन्न दान या वस्त्र दान
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ब्राह्मण भोजन कराना
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तुलसी का जल पितरों को समर्पित करना
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मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करना
❓ FAQs — आपके सवाल, हमारे जवाब:
Q1. क्या चंद्रग्रहण का असर श्राद्ध पर पड़ता है?
👉 हाँ, सूतक काल में कोई भी पूजा या श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता। इसलिए तर्पण और श्राद्ध दोपहर तक ही कर लेना चाहिए।
Q2. ग्रहण के दिन तर्पण किया जा सकता है?
👉 हाँ, लेकिन सूतक शुरू होने से पहले। 12:00 से 1:30 PM तक का समय सबसे उपयुक्त है।
Q3. क्या पितृपक्ष में चंद्रग्रहण कोई संकेत देता है?
👉 ज्योतिषीय दृष्टि से यह आत्मचिंतन और पूर्वजों की ऊर्जा से जुड़ने का गहरा काल होता है। इस दौरान किए गए कर्म और भाव विशेष महत्व रखते हैं।
🧘♂️ 2025 का पितृपक्ष: अवसर भी, चेतावनी भी!
पितृपक्ष केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि हमारे पितरों के प्रति आभार व्यक्त करने का काल है। 2025 में इसका चंद्रग्रहण के साथ योग एक आध्यात्मिक परीक्षा भी है — हम अपने पूर्वजों को कितना याद रखते हैं, और कितना कृतज्ञ हैं।
इस बार का पितृपक्ष आपको एक अवसर देता है — पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने का, जीवन में शांति और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने का। लेकिन साथ ही यह एक चेतावनी भी हो सकता है — कि अगर हमने पितृ ऋण नहीं चुकाया, तो उसका असर हमारे कर्म और भाग्य पर पड़ सकता है।
क्या आपने अपने पितरों को स्मरण किया?
क्या आपने अपने कर्मों की समीक्षा की?
7 सितंबर 2025 — ये केवल तारीख नहीं, एक आध्यात्मिक संदेश है।