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30 Oct 2025, Thu

Premanand महाराज की पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित: श्रद्धालुओं में चिंता और संत की सेहत को लेकर बढ़ी प्रार्थनाएं

Premanand महाराज की पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित: श्रद्धालुओं में चिंता और संत की सेहत को लेकर बढ़ी प्रार्थनाएं

वृंदावन, उत्तर प्रदेश |  अक्टूबर 2025

वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री प्रेमानंद महाराज की दैनिक पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। यह निर्णय महाराज के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उनके आश्रम द्वारा जारी सूचना में बताया गया कि संत महाराज प्रतिदिन प्रातःकाल 4 बजे श्रीहित राधा केली कुंज तक की पदयात्रा करते थे, लेकिन फिलहाल यह यात्रा तब तक स्थगित रहेगी जब तक उनके स्वास्थ्य में पूर्ण सुधार नहीं हो जाता।


🌼 प्रेमानंद महाराज: भक्ति और सेवा के प्रतीक

संत प्रेमानंद महाराज ब्रजभूमि के प्रमुख संतों में से एक हैं, जिनकी पहचान राधा-कृष्ण भक्ति, निष्ठा और सादगीपूर्ण जीवन के लिए जानी जाती है। वृंदावन की गलियों में उनका नाम भक्ति, करुणा और प्रेम का पर्याय है। हजारों भक्त प्रतिदिन उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।

महाराज की पदयात्रा को भक्तों के लिए एक पवित्र आयोजन माना जाता था। हर सुबह 4 बजे वे अपने आश्रम से निकलकर केली कुंज तक पैदल जाते थे। इस यात्रा के दौरान वे नाम-संकीर्तन करते हुए श्रद्धालुओं को भक्ति और आत्मिक शांति का संदेश देते थे।


🛑 पदयात्रा स्थगित होने का निर्णय

आश्रम के सूत्रों के अनुसार, हाल के दिनों में प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य में कुछ गिरावट देखी गई थी। चिकित्सकों की सलाह और आश्रम प्रबंध समिति की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि उनके स्वास्थ्य लाभ तक पदयात्रा को स्थगित रखा जाए।

आश्रम की ओर से जारी बयान में कहा गया,

“महाराज जी की पदयात्रा अस्थायी रूप से रोकी गई है। यह निर्णय उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। भक्तों से अनुरोध है कि वे मार्ग में एकत्र होकर दर्शन की प्रतीक्षा न करें और अपनी श्रद्धा को प्रार्थना के रूप में व्यक्त करें।”


🙏 भक्तों में चिंता और भावनात्मक प्रतिक्रिया

पदयात्रा रुकने की खबर फैलते ही भक्तों में गहरी चिंता और भावनात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली। सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज के अनुयायियों ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए अनेक संदेश साझा किए।

वृंदावन के एक स्थानीय श्रद्धालु ने बताया,

“महाराज जी की पदयात्रा हमारे लिए केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं थी, बल्कि आत्मा की शुद्धि का माध्यम थी। जब भी वे पदयात्रा पर निकलते थे, वातावरण में भक्ति का एक विशेष भाव उमड़ आता था। उनके दर्शन से दिन की शुरुआत करना हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया था।”


🌿 आश्रम में शांति और अनुशासन

पदयात्रा स्थगित होने के बाद भी आश्रम में भक्ति कार्यक्रम पूर्ववत चल रहे हैं। प्रतिदिन भजन-संकीर्तन, हवन और आरती का आयोजन सामान्य रूप से किया जा रहा है। आश्रम प्रशासन ने यह भी कहा है कि महाराज के स्वास्थ्य की नियमित देखभाल के लिए चिकित्सकों की एक विशेष टीम नियुक्त की गई है।

आश्रम के एक प्रवक्ता ने बताया,

“महाराज जी फिलहाल विश्राम पर हैं और धीरे-धीरे स्वास्थ्य लाभ की ओर बढ़ रहे हैं। उन्हें पूर्ण स्वस्थ होने तक भीड़ और अनावश्यक तनाव से दूर रखा जा रहा है। उनके आदेशानुसार, भक्तों से संयम और अनुशासन बनाए रखने की अपील की गई है।”


🌸 पदयात्रा का आध्यात्मिक महत्व

प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि ‘राधा नाम’ का जीवंत संदेश थी। केली कुंज तक का यह मार्ग उनके लिए आत्मिक साधना का प्रतीक माना जाता था। भक्तों का मानना है कि इस पदयात्रा में भाग लेकर उन्हें आत्मिक शांति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती थी।

कई श्रद्धालु इसे “चलती हुई कथा” भी कहते थे — जहाँ महाराज स्वयं चलते हुए भक्तों को प्रेम, करुणा और भक्ति का उपदेश देते थे।


💬 भक्तों के संदेश: “महाराज जी की सेहत ही सबसे बड़ा आशीर्वाद है”

वृंदावन से लेकर बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और राजस्थान तक, प्रेमानंद महाराज के भक्त फैले हुए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #PremanandMaharaj और #RadhaPrem नामक हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं।

कई भक्तों ने लिखा:

“महाराज जी की सेहत ही हमारे लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है। जब वे स्वस्थ होंगे, तभी हमारा मन भी शांत होगा।”

एक अन्य अनुयायी ने लिखा,

“उनकी पदयात्रा भले रुकी हो, लेकिन उनके उपदेशों की गूंज हर भक्त के हृदय में प्रतिदिन चलती रहेगी।”


🕉️ भक्ति का संदेश: “श्रद्धा स्थान से नहीं, भावना से होती है”

प्रेमानंद महाराज अक्सर कहा करते थे कि “भक्ति मंदिरों में नहीं, मन में होती है; और भगवान को पाने का मार्ग प्रेम से होकर गुजरता है।”
उनका यह संदेश आज भी हजारों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

आश्रम ने यह भी स्पष्ट किया है कि महाराज के स्वस्थ होने के बाद पदयात्रा फिर से प्रारंभ की जाएगी, लेकिन फिलहाल सभी भक्तों से संयम, प्रार्थना और भक्ति बनाए रखने का आग्रह किया गया है।


🌼 निष्कर्ष

संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा का अनिश्चितकालीन स्थगन न केवल वृंदावन बल्कि पूरे देश के भक्तों के लिए भावनात्मक क्षण है। यह निर्णय भले ही उनके स्वास्थ्य के हित में लिया गया हो, परंतु भक्तों के लिए यह एक गहरा आत्मिक विराम भी है।

महाराज की शिक्षाएँ — “प्रेम ही भगवान का स्वरूप है” — आज पहले से अधिक प्रासंगिक हो गई हैं। भक्तों का विश्वास है कि उनके पूर्ण स्वस्थ होने के बाद यह पवित्र पदयात्रा पुनः आरंभ होगी और वृंदावन की गलियों में एक बार फिर “राधे-राधे” की गूंज से वातावरण भर जाएगा।


📿 लेखक का निष्कर्ष:
प्रेमानंद महाराज का जीवन और उनके कार्य हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची भक्ति केवल दर्शन में नहीं, बल्कि मन की शांति, प्रेम और समर्पण में निहित है। उनकी अनुपस्थिति अस्थायी है, पर उनकी प्रेरणा और भक्ति का संदेश सदा अमर रहेगा।

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