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22 Jul 2025, Tue

“10 वर्षीय शवन सिंह ने दिखाई मिसाल, सैनिकों की सेवा के बदले सेना उठाएगी पढ़ाई का पूरा खर्च”


🗓 प्रकाशन तिथि: 22 जुलाई 2025
✍ रिपोर्ट: KhabarFirst डेस्क


💬 परिचय

आज के दौर में जब दुनिया स्वार्थ की दौड़ में भाग रही है, एक 10 साल के बच्चे ने सेवा, संवेदना और देशभक्ति की मिसाल पेश की है। यह कहानी है पंजाब के एक छोटे से गांव के उस मासूम शवन सिंह की, जिसने ‘ऑपरेशन सिंधूर’ के दौरान भारतीय सैनिकों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब भारतीय सेना ने बदले में उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने की घोषणा कर दी है। यह केवल एक खबर नहीं, बल्कि प्रेरणा की कहानी है।


🎖 क्या है ‘ऑपरेशन सिंधूर’?

ऑपरेशन सिंधूर भारतीय सेना द्वारा हाल ही में पंजाब और आसपास के सीमावर्ती क्षेत्रों में चलाया गया एक विशेष सैन्य अभियान था। इसका उद्देश्य आतंकवादी घुसपैठ, संदिग्ध गतिविधियों और सीमा सुरक्षा को सुनिश्चित करना था। यह ऑपरेशन कई दिनों तक चला, जिसमें सैकड़ों सैनिकों की तैनाती हुई और सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई।

इस ऑपरेशन के दौरान स्थानीय लोगों को सेना का सहयोग भी आवश्यक था, और यहीं पर एक बालक ने अपने छोटे-छोटे हाथों से बड़ी सेवा कर डाली।


🧒 कौन है शवन सिंह?

शवन सिंह एक 10 वर्षीय बालक है, जो पंजाब के एक सीमावर्ती गांव में रहता है। वह फिलहाल चौथी कक्षा का छात्र है। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले शवन के पिता किसान हैं और माता गृहिणी। शवन का जीवन आम बच्चों की तरह था, लेकिन ऑपरेशन सिंधूर के दौरान उसने जो किया, वह असाधारण है।

जब गांव में सेना के जवानों का आना-जाना बढ़ा और माहौल तनावपूर्ण हो गया, तब शवन ने अपने स्तर से कुछ ऐसा करने का निश्चय किया जिससे वह जवानों की सहायता कर सके।


🥛 सैनिकों के लिए दूध और लस्सी

शवन सिंह ने रोजाना अपने गांव के सैनिकों तक दूध, लस्सी, पानी और चाय पहुंचाने का बीड़ा उठाया। उसने अपने हाथों में थरमस, लोटा, बोतल और छोटे-छोटे बर्तन लिए और पैदल ही खेतों, झाड़ियों और गलियों को पार कर सैनिकों तक पहुंचा।

शवन न तो किसी संगठन का हिस्सा था, न ही उसके पास कोई संसाधन थे, फिर भी उसकी भावना और सेवा-भाव देखकर जवान भावुक हो उठे। वह गोलीबारी और खतरे की परवाह किए बिना नित्य सैनिकों तक पेय पदार्थ पहुंचाता रहा।


🇮🇳 सेना का मानवीय कदम

भारतीय सेना केवल युद्ध नहीं लड़ती, वह मानवीय संवेदनाओं की भी रक्षा करती है। जब सेना को इस छोटे से बालक की सेवा और समर्पण के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने न केवल शवन सिंह को सम्मानित किया बल्कि उसकी शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का निर्णय लिया।

सेना के प्रवक्ता ने बताया कि शवन सिंह की तरह के बच्चों में देश का भविष्य छुपा है, और इस तरह की प्रेरक कहानियों को पहचान और सहयोग देना सेना की प्राथमिकता है।


📘 अब सेना उठाएगी शिक्षा का जिम्मा

भारतीय सेना ने औपचारिक रूप से घोषणा की है कि शवन सिंह की पूरी पढ़ाई – स्कूल फीस, किताबें, यूनिफॉर्म, कोचिंग, आवासीय सुविधा आदि का पूरा खर्च सेना उठाएगी। इसके लिए एक स्पेशल स्कॉलरशिप स्कीम के अंतर्गत उसे शामिल किया गया है।

सेना ने यह भी बताया कि यदि शवन उच्च शिक्षा के लिए आगे बढ़ेगा – चाहे वह मेडिकल, इंजीनियरिंग या NDA हो – तो भी उसे पूरा सहयोग मिलेगा।


🏆 सम्मान समारोह

हाल ही में एक सैनिक कैंप में आयोजित विशेष समारोह में शवन सिंह को प्रशस्ति पत्र, मेडल और सेना की ओर से विशेष टोपी व यूनिफॉर्म देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान कई वरिष्ठ अफसर मौजूद थे, और उन्होंने मंच से कहा:

“देश की रक्षा करने वाले सैनिकों को अगर ऐसा समर्थन एक बच्चे से मिले, तो यह देश कभी नहीं झुक सकता।”


📣 समाज के लिए संदेश

शवन सिंह की यह कहानी हमें कई सीख देती है:

  • सेवा का भाव उम्र नहीं देखता।

  • देशभक्ति केवल युद्ध में नहीं, छोटे-छोटे कार्यों में भी दिखाई देती है।

  • हमारे समाज में ऐसे हीरे छुपे हैं, जिन्हें खोजने और संवारने की ज़रूरत है।

  • सेना केवल लड़ाई की संस्था नहीं, बल्कि मानवीयता और कृतज्ञता की मिसाल भी है।


🔚 निष्कर्ष

शवन सिंह की यह प्रेरक गाथा आने वाली पीढ़ियों को बताती है कि देशभक्ति केवल वर्दी पहनकर ही नहीं निभाई जाती, बल्कि एक गिलास लस्सी से भी दिलों को जीता जा सकता है। उसकी यह छोटी सी सेवा न केवल सैनिकों के मन को छू गई, बल्कि अब वह पूरे देश के दिलों में बस चुका है।

भारत को आज शवन जैसे बच्चों पर गर्व है।

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