Sikh Regiment: ब्रिटिश सेना में सिख रेजीमेंट की बहाली पर क्या है सच्चाई? रक्षा मंत्रालय ने तोड़ी चुप्पी
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक खबर ने तेजी से तूल पकड़ा—“ब्रिटिश सेना एक बार फिर सिख रेजीमेंट बनाने की योजना बना रही है।” ऐतिहासिक दृष्टिकोण से गौरवशाली माने जाने वाले सिख समुदाय के लिए यह खबर उम्मीद और गर्व से जुड़ी थी। लेकिन अब ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने इस पर आधिकारिक सफाई देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है। तो क्या वाकई फिर से ब्रिटिश सेना में गूंजेगा “जो बोले सो निहाल”? आइए जानते हैं पूरी कहानी।
क्या कहा रक्षा मंत्रालय ने?
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने इस बात से साफ इनकार किया है कि फिलहाल सिख रेजीमेंट के गठन की कोई योजना है। एक मीडिया रिपोर्ट के जवाब में टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में मंत्रालय ने कहा:
“हम सिख समुदाय के बहुमूल्य सैन्य योगदान को सम्मानित करने के लिए विभिन्न तरीकों पर विचार कर रहे हैं, लेकिन सिख रेजीमेंट जैसी औपचारिक इकाई बनाने की कोई योजना नहीं है।”
इस बयान ने उन तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है जो पिछले कुछ हफ्तों से ब्रिटेन और भारत में चर्चा का विषय बनी हुई थीं।
चर्चा की शुरुआत: हाउस ऑफ लॉर्ड्स में उठा मुद्दा
सिख रेजीमेंट का मामला 7 जुलाई 2025 को उस वक्त प्रमुखता से उठा जब हाउस ऑफ लॉर्ड्स में सदस्य लॉर्ड साहोता ने रक्षा मंत्री लॉर्ड कोकर से इस प्रस्ताव की प्रगति को लेकर सवाल किया।
लॉर्ड कोकर का जवाब था:
“मैं इस सुझाव पर विचार करूंगा और उनसे (लॉर्ड साहोता) मिलकर देखूंगा कि ब्रिटिश सेना में सिख सैनिकों के योगदान को और किस तरह बेहतर पहचाना जा सकता है।”
मीडिया ने इसी बयान को आधार बनाकर कई रिपोर्ट्स में यह दावा कर दिया कि ब्रिटेन “सिख रेजीमेंट” को पुनः स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है। इस बीच सिख समुदाय और कई सैन्य विशेषज्ञों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया और इसे “सही समय पर उठाया गया ऐतिहासिक कदम” कहा।
लॉर्ड साहोता का पक्ष
लॉर्ड साहोता, जिनके दादा ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 15वीं पंजाब रेजीमेंट में सेवारत थे, का कहना है कि:
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सिख रेजीमेंट बनाने का विचार UK के Equality Act 2010 के खिलाफ नहीं है।
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पहले से ही गोरखा ब्रिगेड, रॉयल वेल्श, रॉयल स्कॉट्स, और रॉयल यॉर्कशायर जैसी क्षेत्रीय या जातीय आधार पर बनी रेजीमेंट्स मौजूद हैं।
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ऐसे में सिखों के लिए भी एक विशिष्ट रेजीमेंट का गठन न्यायसंगत और ऐतिहासिक सम्मान होगा।
इतिहास: सिख रेजीमेंट और ब्रिटिश सेना का जुड़ाव
सिख रेजीमेंट की नींव ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के दौर में ही रखी गई थी। सिख सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) और द्वितीय विश्व युद्ध (1939–1945) में ब्रिटिश सेना के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया।
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WWI में 1 लाख से अधिक और
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WWII में 3 लाख से अधिक सिख सैनिकों ने भाग लिया।
कई सिख सैनिकों को विक्टोरिया क्रॉस जैसे सर्वोच्च सैन्य सम्मान मिले, जो उनकी बहादुरी और समर्पण का प्रमाण हैं।
ब्रिटेन में सिखों की वर्तमान भूमिका
वर्तमान में ब्रिटिश सेना में लगभग 200 सिख सैनिक सक्रिय सेवा में हैं। वे विभिन्न शाखाओं में सेवारत हैं और उनकी भूमिका को सराहा भी गया है। हालांकि, कोई औपचारिक “Sikh Regiment” इस समय अस्तित्व में नहीं है।
ब्रिटिश आर्मी ने पिछले वर्षों में विविधता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास किए हैं, लेकिन सिख समुदाय लगातार एक विशिष्ट पहचान और ऐतिहासिक सम्मान की मांग करता रहा है।
सिख समुदाय की प्रतिक्रिया
इस प्रस्ताव पर आई मीडिया रिपोर्ट्स के बाद UK सिख समुदाय में उत्साह की लहर दौड़ गई थी। कई संगठनों और नेताओं ने इसे सिखों के ऐतिहासिक योगदान का “विलंबित लेकिन स्वागतयोग्य सम्मान” बताया। लेकिन रक्षा मंत्रालय की ताजा टिप्पणी के बाद इस मुद्दे पर फिर से असमंजस की स्थिति बन गई है।
निष्कर्ष: सम्मान तो है, लेकिन औपचारिकता अभी नहीं
ब्रिटेन सरकार और रक्षा मंत्रालय यह जरूर मानते हैं कि सिख समुदाय का सेना में ऐतिहासिक योगदान सराहनीय रहा है। लेकिन सिख रेजीमेंट के गठन को लेकर फिलहाल कोई ठोस योजना नहीं है। हाउस ऑफ लॉर्ड्स में इस पर विमर्श जरूर हो रहा है, और रक्षा मंत्री लॉर्ड कोकर ने भी इससे जुड़ी संभावनाओं पर विचार करने की बात कही है।
इसलिए, जबकि “सिख रेजीमेंट” फिलहाल सिर्फ एक प्रस्ताव है, आने वाले समय में यह वास्तविकता बन सकती है—अगर राजनीतिक इच्छा, ऐतिहासिक जिम्मेदारी और समुदाय की मांगों में संतुलन बैठाया जाए।