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8 Aug 2025, Fri

SSC CGL Protest 2025: परीक्षा में धांधली के खिलाफ दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन, नीतू मैम समेत कई शिक्षक और छात्र गिरफ्तार

SSC CGL Protest 2025: परीक्षा में धांधली के खिलाफ दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन, नीतू मैम समेत कई शिक्षक और छात्र गिरफ्तार

SSC CGL Protest 2025: परीक्षा में धांधली के खिलाफ दिल्ली में छात्रों और शिक्षकों का उग्र प्रदर्शन, कई गिरफ्तार

कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में बार-बार सामने आ रही धांधलियों, तकनीकी खामियों और प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ देशभर के छात्र और शिक्षक अब सड़कों पर उतर आए हैं। शनिवार को दिल्ली में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) कार्यालय के बाहर छात्रों और शिक्षकों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार से संवाद की बजाय उन्हें पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा।

प्रदर्शनकारी शिक्षकों को मंत्री से मिलने नहीं दिया गया, और मौके पर मौजूद कई छात्रों-शिक्षकों को पुलिस ने खदेड़ते हुए हिरासत में ले लिया। इस घटना ने छात्रों की नाराज़गी को और बढ़ा दिया है।


आंदोलन का कारण: पारदर्शिता और जवाबदेही की माँग

SSC परीक्षाओं से संबंधित समस्याएँ नई नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में लगातार छात्र शिकायत कर रहे हैं कि:

  • परीक्षा समय पर नहीं होती,

  • बार-बार पेपर लीक की घटनाएँ सामने आती हैं,

  • परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी समस्याओं के चलते परीक्षा निरस्त करनी पड़ती है,

  • छात्रों के साथ दुर्व्यवहार और मनमानी केंद्र आवंटन की घटनाएँ आम हो गई हैं।

इन्हीं मुद्दों को लेकर छात्रों और शिक्षकों ने “दिल्ली चलो” का आह्वान किया था।


‘दिल्ली चलो’ मार्च से पहले ही रोका गया प्रदर्शन

जैसे ही देशभर से आए शिक्षक और छात्र DOPT कार्यालय के पास एकत्र हुए, उन्हें मंत्री से मिलने से रोक दिया गया। शांतिपूर्वक संवाद की माँग कर रहे शिक्षकों को पुलिस ने पीछे धकेला, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाया और कुछ को हिरासत में भी ले लिया।


शिक्षकों का कहना – हमें बस बातचीत का अवसर चाहिए

प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों ने कहा कि वे किसी भी प्रकार का अराजकता फैलाने नहीं, बल्कि सिर्फ छात्रों की जायज मांगों को प्रशासन तक पहुँचाने के लिए आए थे।
प्रमुख एजुकेटर नीतू मैम, जो इस आंदोलन की एक प्रमुख आवाज़ बनकर उभरी हैं, ने कहा:

“सिर्फ सोशल मीडिया और जंतर-मंतर तक सीमित रहने से कुछ नहीं होगा, जब तक छात्रों और शिक्षकों को सीधे नीति-निर्माताओं से बात करने का मौका नहीं मिलेगा।”

उन्होंने कहा कि यह आंदोलन छात्रों के भविष्य की लड़ाई है, और इसमें शिक्षकों की भूमिका सिर्फ समर्थन की नहीं, बल्कि संवेदनशील मार्गदर्शक की है।


आंदोलन के मुख्य कारण:

छात्रों और शिक्षकों की ओर से कुछ प्रमुख बिंदु उठाए गए:

  1. बार-बार परीक्षाओं का रद्द होना – कई बार तकनीकी खामी या पेपर लीक के कारण परीक्षा स्थगित की जाती है।

  2. गलत परीक्षा केंद्र आवंटन – छात्रों को घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर केंद्र मिलते हैं।

  3. सिस्टम क्रैश और सर्वर डाउन की समस्या – कई बार परीक्षा देने के दौरान तकनीकी विफलता के कारण पूरा पेपर निरस्त करना पड़ता है।

  4. पारदर्शिता की कमी – उत्तर पुस्तिकाओं की जांच प्रक्रिया, परिणाम और चयन सूची में पारदर्शिता नहीं है।

  5. छात्रों के साथ दुर्व्यवहार – कई परीक्षा केंद्रों पर छात्रों के साथ असम्मानजनक व्यवहार किया जाता है।


सोशल मीडिया से सड़कों तक फैला गुस्सा

पिछले कुछ महीनों में SSC परीक्षाओं को लेकर छात्रों का आक्रोश सोशल मीडिया पर #SSCScam, #JusticeForAspirants, और #ReleaseNeetuMaam जैसे हैशटैग के ज़रिए देखा जा चुका है। लेकिन अब यह आक्रोश सड़कों पर उतर आया है। दिल्ली में हुआ प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि छात्र अब केवल ऑनलाइन विरोध से संतुष्ट नहीं हैं, वे व्यवस्था में प्रत्यक्ष संवाद और सुधार चाहते हैं।


सरकार और आयोग की प्रतिक्रिया?

अब तक न तो SSC की ओर से, और न ही कार्मिक मंत्रालय की ओर से कोई ठोस जवाब आया है। हालाँकि, सूत्रों के मुताबिक DOPT अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों की बातों को रिकॉर्ड किया है और ऊपर तक पहुँचाने का आश्वासन दिया है।

लेकिन छात्रों का कहना है कि आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए। SSC जैसी संवेदनशील संस्था में बार-बार गड़बड़ियाँ युवाओं का भविष्य संकट में डाल रही हैं।


निष्कर्ष

SSC जैसी संस्था, जिस पर लाखों युवा हर वर्ष अपना विश्वास जताते हैं, उसकी परीक्षा प्रक्रिया में लगातार आ रहे व्यवधान और अनियमितता चिंता का विषय है। दिल्ली में हुआ प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि छात्र अब चुप रहने वाले नहीं हैं।

यह सिर्फ परीक्षा की बात नहीं, बल्कि देश के करोड़ों युवाओं के भविष्य की बात है। सरकार और संबंधित विभागों को अब इस मुद्दे को टालने के बजाय खुला संवाद और निष्पक्ष सुधार की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए — क्योंकि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध भी उतना ही जरूरी है, जितना मतदान।

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