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11 Sep 2025, Thu

Sudershan Reddy: कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी? INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर जानें सबकुछ

Sudershan Reddy: कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी? INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर जानें सबकुछ

Sudershan Reddy: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बने INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार

भारतीय राजनीति में इस समय उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर हलचल तेज है। विपक्षी गठबंधन INDIA ने आखिरकार अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पद का साझा उम्मीदवार चुना है। इस नाम का ऐलान होते ही राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।

खरगे ने कहा कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है और सभी दल एकजुट होकर एक नाम पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र के लिए बड़ी उपलब्धि है कि अलग-अलग विचारधारा वाले दल एक साझा उम्मीदवार को लेकर एकजुट हुए हैं।”

21 अगस्त को करेंगे नामांकन

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे बताया कि जस्टिस रेड्डी 21 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। इस मौके पर INDIA गठबंधन के सभी सांसद मौजूद रहेंगे। खरगे ने कहा कि विपक्षी दलों की बैठक संसद के सेंट्रल हॉल में होगी और उसके बाद नामांकन दाखिल किया जाएगा। वहीं, टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने भी पुष्टि की कि आम आदमी पार्टी समेत सभी विपक्षी दल इस नाम पर सहमत हो गए हैं।

कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?

अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर बी. सुदर्शन रेड्डी कौन हैं, और क्यों विपक्ष ने उन्हें चुना?

जस्टिस रेड्डी का जन्म जुलाई 1946 में हुआ था। वे 16 साल से ज्यादा समय तक संवैधानिक अदालतों में सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने 27 दिसंबर 1971 को हैदराबाद में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराया और यहीं से उनकी विधिक यात्रा की शुरुआत हुई।

  • 1995: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए।

  • 2005: गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने।

  • 2007: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए।

  • 2011: सेवानिवृत्त हुए।

जस्टिस रेड्डी का कार्यकाल न्यायपालिका में निष्पक्षता और न्याय के लिए जाना जाता है।

न्यायिक करियर की उपलब्धियां

बी. सुदर्शन रेड्डी ने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं।

  • 1988 से 1990 तक वे हाई कोर्ट में सरकारी वकील रहे।

  • 1990 में वे केंद्र सरकार के लिए छह महीने तक अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता भी रहे।

  • उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील के रूप में भी सेवाएं दीं।

गोवा के पहले लोकायुक्त

सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका योगदान जारी रहा। मार्च 2013 में वे गोवा के पहले लोकायुक्त बने। हालांकि, निजी कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने सात महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा वे हैदराबाद स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता एवं सुलह केंद्र (International Arbitration and Mediation Centre) के न्यासी बोर्ड के सदस्य भी हैं।

विपक्ष क्यों लाया जस्टिस रेड्डी का नाम?

INDIA गठबंधन ने जस्टिस रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की है।

  1. वे न्यायपालिका से जुड़े रहे हैं, जिससे उनकी छवि निष्पक्ष और विद्वान व्यक्ति की है।

  2. विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि वे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वोपरि मानते हैं।

  3. विभिन्न विचारधारा वाले दलों के बीच सहमति बनना विपक्ष की एकजुटता का संकेत है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जस्टिस रेड्डी का नाम विपक्ष के लिए साफ-सुथरी और गैर-राजनीतिक छवि वाला उम्मीदवार देने की रणनीति है।

खरगे का बयान

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “INDIA गठबंधन के सभी दलों ने एक साझा उम्मीदवार चुनने का फैसला किया है। यह लोकतंत्र के लिए बड़ी उपलब्धि है। मुझे खुशी है कि सभी विपक्षी दल एक नाम पर सहमत हुए हैं।”

आगे की राह

अब सबकी निगाहें 21 अगस्त पर टिकी हैं, जब बी. सुदर्शन रेड्डी नामांकन दाखिल करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की यह रणनीति कितनी सफल होती है।


निष्कर्ष

जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम INDIA गठबंधन ने देकर साफ कर दिया है कि विपक्ष एकजुट होकर उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहता है। उनका लंबा न्यायिक अनुभव और साफ छवि उन्हें एक सशक्त उम्मीदवार बनाता है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि क्या वे सत्ता पक्ष के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे पाएंगे या नहीं, लेकिन इतना तय है कि विपक्ष ने एक बार फिर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का संदेश देने की कोशिश की है।

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