साइबर ठगी का नया जाल: सपा नेताओं के व्हाट्सएप ग्रुप में शादी कार्ड भेजकर लाखों की ठगी
– झंडे के रंग वाले APK फाइल से यूपी में सियासी हलचल
लखनऊ/सुल्तानपुर, जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले से एक चौंकाने वाली साइबर ठगी की घटना सामने आई है, जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा) के कई नेताओं को टारगेट कर एक नया और चालाक तरीका अपनाया गया है। एक फर्जी शादी कार्ड के बहाने भेजी गई APK फाइल ने सपा के कई व्हाट्सएप ग्रुप में खलबली मचा दी है। यह फाइल मोबाइल में इंस्टॉल होते ही बैकिंग एप्स की जानकारियों को चुरा लेती थी, जिससे ₹50,000 से लेकर ₹1 लाख तक की राशि कई नेताओं के खातों से कट गई।
🔍 मामला क्या है?
घटना सुल्तानपुर जिले के लंभुआ विधानसभा क्षेत्र की है। यहां समाजवादी पार्टी के व्हाट्सएप ग्रुप में एक व्यक्ति “बाज़ीगर वर्मा” के नाम से शामिल हुआ। इस व्यक्ति ने पार्टी के झंडे के रंग का एक आकर्षक डिजिटल शादी कार्ड भेजा, जिसका नाम था — “wedding invitation card.apk”। मैसेज के साथ लिखा गया था:
“स्वागत है! शादी में ज़रूर आएं | 25/07/2025। प्यार एक मास्टर कुंजी है, जो खुशी के द्वार खोलती है।”
यह फाइल देखने में तो एक आम निमंत्रण कार्ड जैसी लगती थी, लेकिन असल में यह एक खतरनाक मैलवेयर था। जैसे ही लोगों ने इसे डाउनलोड और इंस्टॉल किया, यह उनके मोबाइल से OTP, बैंकिंग एप्स, UPI, और पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारियां चुराने लगा।
🎯 कैसे बना सपा नेताओं को निशाना?
साइबर अपराधी ने बड़ी चालाकी से सपा नेताओं को निशाना बनाया। उसने जानबूझकर:
- पार्टी के सार्वजनिक व्हाट्सएप ग्रुप चुने
- प्रोफाइल फोटो और नाम से विश्वसनीय पहचान बनाई
- कार्ड में सपा के झंडे का रंग इस्तेमाल किया जिससे यह ग्रुप में असली लगे
- कार्ड को शादी का निमंत्रण बता कर भावनात्मक अपील की
नेताओं को लगा कि यह किसी कार्यकर्ता की शादी का निमंत्रण है, और उन्होंने बिना सोचे-समझे फाइल डाउनलोड कर ली।
📉 क्या हुआ डाउनलोड के बाद?
डाउनलोड के तुरंत बाद कई नेताओं को मोबाइल स्लो होने, बैंक OTP के मैसेज अचानक गायब होने और UPI ऐप्स से स्वतः ट्रांजेक्शन होने जैसी शिकायतें मिलीं। जब बैंक से संपर्क किया गया, तो पता चला कि ₹50,000 से ₹1,00,000 तक की राशि निकाल ली गई थी।
कुछ मामलों में यह रकम अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की गई थी, जिससे ट्रैकिंग मुश्किल हो गई।
🧠 APK फाइल क्या थी?
APK (Android Package Kit) फाइल एक तरह का इंस्टॉलेशन पैकेज होता है जो एंड्रॉयड मोबाइल में ऐप्स इंस्टॉल करने के लिए प्रयोग होता है। आम तौर पर APK फाइलें Google Play Store के बाहर से डाउनलोड नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनमें मैलवेयर, ट्रोजन, और कीलॉगर जैसे खतरनाक वायरस हो सकते हैं।
इस मामले में भेजी गई APK फाइल एक फिशिंग मैलवेयर थी, जो यूजर के मोबाइल की सारी बैंकिंग गतिविधियां रिकॉर्ड कर रही थी।
🚔 पुलिस और साइबर सेल की कार्रवाई
घटना सामने आने के बाद सपा के कई नेताओं ने इसकी शिकायत साइबर सेल में दर्ज कराई है। पुलिस का कहना है कि:
- फर्जी पहचान से भेजा गया नंबर कॉल डिटेल्स और लोकेशन के आधार पर ट्रैक किया जा रहा है।
- APK फाइल को फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा गया है।
- यह मामला संगठित साइबर क्राइम गिरोह का हो सकता है।
पुलिस ने सभी राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं से अपील की है कि कोई भी अनजान लिंक या फाइल व्हाट्सएप पर मिले तो उसे डाउनलोड ना करें, और तुरंत रिपोर्ट करें।
🛑 जनता के लिए सावधानी
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर अपराधी अब राजनीतिक दलों को भी निशाना बना रहे हैं। आम जनता और नेताओं को निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
- कभी भी अनजान व्यक्ति से मिली फाइल डाउनलोड न करें
- .apk फाइल को सिर्फ Play Store से ही इंस्टॉल करें
- फोन में ऐंटी-वायरस ऐप का इस्तेमाल करें
- बैंकिंग ऐप में बायोमेट्रिक सुरक्षा सक्षम करें
- संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत बैंक और साइबर सेल को सूचना दें
🔚 निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में सामने आई यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे की गंभीर चेतावनी है। राजनीतिक संगठन भी अब इस नए साइबर हमले के शिकार बन रहे हैं। यह घटना न केवल डिजिटल सतर्कता की आवश्यकता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि अब ठगों की नजरें सिर्फ आम नागरिकों पर नहीं, बल्कि राजनेताओं पर भी हैं।
हर यूजर को डिजिटल सतर्कता बरतनी होगी, क्योंकि अगला निशाना कोई भी हो सकता है।