UP Flood: गंगा की बाढ़ में थम गई जिंदगी, नाव पर ही गर्भवती महिला की दर्दनाक मौत
उत्तर प्रदेश इन दिनों गंगा नदी की बाढ़ से बेहाल है। जगह-जगह गांव जलमग्न हो गए हैं और लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊंची जगहों पर शरण लिए हुए हैं। इसी बीच फर्रुखाबाद जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई। 32 वर्षीय गर्भवती महिला जमुना खातून की नाव पर ही मौत हो गई, जब परिवार उसे प्रसव पीड़ा के चलते अस्पताल ले जाने की कोशिश कर रहा था।
नाव पर शुरू हुई जिंदगी और मौत की जंग
फर्रुखाबाद जिले के पंखियन की मधिया गांव में गंगा का पानी भर जाने से लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी ठप हो गई है। शुक्रवार सुबह इस गांव की निवासी जमुना खातून (पत्नी – जरीफ मोहम्मद) को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन घबराकर उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाने की सोचने लगे, लेकिन गांव से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। हर ओर गंगा का उफनता पानी फैला हुआ था।
इसी दौरान एक स्थानीय स्वास्थ्यकर्मी नाव से गांव पहुंचे। उन्होंने परिवार को सलाह दी कि जमुना को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए, वरना खतरा बढ़ सकता है। इसके बाद जरीफ मोहम्मद और परिजनों ने किसी तरह नाव का इंतजाम किया और बाढ़ के पानी से जूझते हुए उन्हें धारा नगरी अस्पताल की ओर ले जाने लगे।
लेकिन छह किलोमीटर लंबे सफर को पूरा करने से पहले ही जमुना को तेज प्रसव पीड़ा हुई और नाव पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
चार घंटे तक नाव में रखा रहा शव
दर्दनाक घटना के बाद भी परिवार के सामने एक और समस्या खड़ी हो गई—नाव में शव लेकर शहर तक पहुंचने की। बाढ़ का पानी इतना ज्यादा था कि धारा नगरी तक का सफर तय करने में करीब चार घंटे का समय लग गया।
परिवार जैसे-तैसे शव को लेकर शहर पहुंचा और फिर जमुना का अंतिम संस्कार किया गया। स्थानीय कब्रिस्तान में उनका शव दफनाया गया।
दरगाह पर मिला सहारा
इस बीच, गांव के वे लोग जो बाढ़ से बचने के लिए बड़ा बंगशपुरा मोहल्ले की दुल्हा शाह दरगाह पर शरण लिए हुए थे, उन्होंने भी जरीफ और उनके परिवार की मदद की। शव को अस्थायी रूप से दरगाह पर रखा गया, ताकि सभी धार्मिक विधियां पूरी की जा सकें।
वहीं, नायब तहसीलदार सनी कन्नौजिया अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की। उन्होंने परिवार को ढांढस बंधाया और प्रशासन की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
गंगा किनारे गांवों में बाढ़ का कहर
फर्रुखाबाद के गंगा किनारे बसे गांवों की स्थिति बेहद खराब है। ‘मौ दरवाजा क्षेत्र’ से लेकर मधिया गांव तक पानी भर चुका है। कई घर डूब गए हैं और लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए नावों पर निर्भर हो गए हैं। खाने-पीने की समस्या भी गंभीर हो चुकी है।
जमुना की मौत ने इस बाढ़ त्रासदी की भयावहता को और उजागर कर दिया है। यह घटना केवल एक परिवार का दुख नहीं है, बल्कि उस हकीकत की झलक है जिसका सामना गंगा किनारे बसे सैकड़ों गांवों के लोग रोज कर रहे हैं।
प्रशासनिक चुनौतियां और राहत कार्य
प्रशासन की ओर से लगातार राहत कार्य किए जा रहे हैं। नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है और राहत सामग्री बांटी जा रही है। लेकिन गांवों की भीषण जलभराव और लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण राहत कार्य अपेक्षानुसार तेज नहीं हो पा रहे हैं।
स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षित आवागमन की व्यवस्था होती, तो जमुना जैसी दर्दनाक मौत को रोका जा सकता था।
मानवीय त्रासदी का प्रतीक
जमुना की मौत केवल एक परिवार का व्यक्तिगत दुख नहीं है, बल्कि यह बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं और आपातकालीन इंतजामों की कमी को भी सामने लाती है। एक गर्भवती महिला का नाव पर दम तोड़ देना प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्था की विफलता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
उनकी मौत ने बाढ़ग्रस्त इलाकों में रहने वाले हजारों परिवारों के दर्द को उजागर कर दिया है, जो हर दिन जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं।
निष्कर्ष
फर्रुखाबाद की यह घटना पूरे उत्तर प्रदेश के लिए चेतावनी है। गंगा की बाढ़ केवल खेत-खलिहान और घरों को ही नहीं डुबो रही, बल्कि इंसानी जिंदगियों को भी निगल रही है। जमुना खातून की नाव पर हुई मौत इस त्रासदी की सबसे मार्मिक तस्वीर है।
सरकार और प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षित आवागमन और आपातकालीन राहत की मजबूत व्यवस्था की जाए। ताकि आगे किसी को अपनी जान न गंवानी पड़े।