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8 Aug 2025, Fri

अब बिना पिन के कर सकेंगे UPI पेमेंट! जल्द आ रहा है बायोमेट्रिक पेमेंट सिस्टम, जानें क्या होगा असर

अब बिना पिन के कर सकेंगे UPI पेमेंट! जल्द आ रहा है बायोमेट्रिक पेमेंट सिस्टम, जानें क्या होगा असर

अब बिना पिन के कर सकेंगे UPI पेमेंट! जल्द आ रहा है बायोमेट्रिक पेमेंट सिस्टम, जानें क्या होगा असर


नई दिल्ली | 30 जुलाई 2025
डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और क्रांतिकारी बदलाव होने जा रहा है। जल्द ही यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का नया संस्करण लॉन्च किया जा सकता है, जिसमें UPI पिन की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसकी जगह अब बायोमेट्रिक पहचान — जैसे कि फिंगरप्रिंट या फेस आईडी — से भुगतान किया जा सकेगा। यह पहल भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा की जा रही है, और इसका मकसद UPI पेमेंट को और भी ज्यादा सहज, सुलभ और सुरक्षित बनाना है।


क्या है यह नया बदलाव?

UPI अब तक पिन-बेस्ड ऑथेंटिकेशन पर निर्भर करता था। हर बार जब आप QR कोड स्कैन कर भुगतान करते थे, तो आपको 4 या 6 अंकों का पिन दर्ज करना होता था। पर अब जल्द ही ऐसे लेनदेन को संभव बनाया जाएगा जिसमें:

  • बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन (फिंगरप्रिंट या फेस आईडी) से भुगतान किया जा सकेगा।
  • UPI ऐप्स जैसे Google Pay, PhonePe, Paytm और BHIM इस बदलाव के साथ अपडेट किए जाएंगे।
  • यह बदलाव खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो पिन याद रखने में कठिनाई महसूस करते हैं या पढ़े-लिखे नहीं हैं।

क्यों जरूरी था यह बदलाव?

UPI पेमेंट्स में पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। आज भारत में हर महीने 12 बिलियन से अधिक UPI लेनदेन होते हैं। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों और बुजुर्ग उपभोक्ताओं के लिए पिन दर्ज करना कठिन कार्य रहा है। इसके अलावा:

  • साइबर फ्रॉड की घटनाएं बढ़ी हैं, जहां लोग धोखे से पिन पूछकर खाते खाली कर लेते हैं।
  • डिजिटल साक्षरता की कमी के चलते बहुत से लोग अब भी डिजिटल पेमेंट्स से दूर रहते हैं।
  • बायोमेट्रिक आधारित भुगतान न केवल यूजर-फ्रेंडली होगा बल्कि ज्यादा सुरक्षित भी साबित हो सकता है।

एनपीसीआई और सरकार की तैयारी

NPCI के अनुसार, इस सुविधा को चरणबद्ध तरीके से देशभर में रोलआउट किया जाएगा। शुरुआत में कुछ चुनिंदा बैंकों और UPI ऐप्स के साथ इसका परीक्षण किया जाएगा। साथ ही:

  • आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) की तर्ज पर यह सिस्टम काम करेगा।
  • UIDAI से फेस व फिंगरप्रिंट वेरिफिकेशन के लिए तकनीकी एकीकरण किया जाएगा।
  • ग्रामीण इलाकों में डिजिटल सखी और बैंक मित्रों की मदद से इसका प्रचार किया जाएगा।

उपयोगकर्ता के लिए क्या बदलेगा?

  1. ऐप्स में नया विकल्प:
    UPI ऐप्स में ‘बायोमेट्रिक पेमेंट’ नाम का विकल्प मिलेगा, जिसे एक्टिवेट कर बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन लिंक किया जा सकेगा।
  2. फिंगरप्रिंट स्कैनर या फेस अनलॉक:
    मोबाइल फोन में पहले से मौजूद फिंगरप्रिंट सेंसर या फेस अनलॉक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। जिनके पास पुराना फोन है, उनके लिए आधार-बेस्ड UPI सेंटर या माइक्रो एटीएम सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
  3. सीमित ट्रांजैक्शन वैल्यू:
    सुरक्षा के लिहाज से शुरुआत में 5,000 या 10,000 रुपये तक के लेनदेन की अनुमति दी जा सकती है। इसके ऊपर की राशि के लिए अभी भी पिन या अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत होगी।

चुनौतियां और समाधान

  • सुरक्षा:
    बायोमेट्रिक डेटा की गोपनीयता को लेकर चिंता बनी हुई है। NPCI और UIDAI डेटा एन्क्रिप्शन और दोहरी परत सुरक्षा पर काम कर रहे हैं।
  • डिवाइस कम्पैटिबिलिटी:
    देश के सभी स्मार्टफोन में बायोमेट्रिक सेंसर नहीं हैं। इसके लिए माइक्रो एटीएम और आधार आधारित सिस्टम की मदद ली जाएगी।
  • भ्रम और अविश्वास:
    लोगों को नए सिस्टम पर भरोसा दिलाना एक चुनौती होगी। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

विशेषज्ञों की राय

साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ मोहित रॉय कहते हैं,

“बायोमेट्रिक पेमेंट UPI का भविष्य है। यह केवल सुविधा ही नहीं बढ़ाएगा, बल्कि फ्रॉड के मामलों को भी घटाएगा। हालांकि डेटा प्राइवेसी पर विशेष ध्यान देना होगा।”

डिजिटल इंडिया कैंपेन के सलाहकार नीलिमा घोष का मानना है,

“इस तकनीक के जरिए भारत की 40% डिजिटल रूप से वंचित आबादी को भी भुगतान की मुख्यधारा में लाया जा सकता है।”


भविष्य की झलक

भारत सरकार ‘वन नेशन, वन डिजिटल आइडेंटिटी’ की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। इस बायोमेट्रिक UPI पेमेंट प्रणाली के बाद:

  • अगले चरण में वॉयस बेस्ड पेमेंट सिस्टम पर भी काम किया जा सकता है।
  • बायोमेट्रिक आधारित ऑफलाइन पेमेंट की सुविधा भी आने वाले समय में जोड़ी जा सकती है।
  • इंटरनेशनल UPI पेमेंट्स में भी इस सिस्टम को लागू किया जा सकता है।

निष्कर्ष

बायोमेट्रिक UPI पेमेंट भारत में डिजिटल लेनदेन का नया युग लाएगा। यह खासकर उन करोड़ों लोगों के लिए वरदान साबित होगा जो तकनीक में दक्ष नहीं हैं, लेकिन डिजिटल सशक्तिकरण का हिस्सा बनना चाहते हैं। सुरक्षा, सरलता और समावेशन के तीन स्तंभों पर आधारित यह प्रणाली आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी।

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