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30 Oct 2025, Thu

US Tariff Impact: झारखंड के टेक्सटाइल उद्योग पर गहरा संकट, ओरिएंट क्राफ्ट के 80% ऑर्डर रद्द

US Tariff Impact: झारखंड के टेक्सटाइल उद्योग पर गहरा संकट, ओरिएंट क्राफ्ट के 80% ऑर्डर रद्द

US Tariff Impact: झारखंड के टेक्सटाइल उद्योग पर गहरा संकट, ओरिएंट क्राफ्ट के 80% ऑर्डर रद्द

अमेरिका द्वारा आयातित वस्त्रों और हैंडलूम उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने का असर अब झारखंड पर भी साफ दिखने लगा है। राज्य के टेक्सटाइल उद्योगों को इस कदम से बड़ा झटका लगा है। रांची के ओरिएंट क्राफ्ट टेक्सटाइल फैक्ट्री से लेकर तसर सिल्क और खादी उद्योग तक, सभी पर इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा है। सबसे ज्यादा संकट रोजगार को लेकर खड़ा हुआ है, क्योंकि हजारों लोगों की आजीविका अब दांव पर है।


ओरिएंट क्राफ्ट को सबसे बड़ा झटका

रांची के खेलगांव स्थित ओरिएंट क्राफ्ट (Orient Craft) टेक्सटाइल फैक्ट्री अमेरिका के लिए जे क्रू, पोलो और डिक्स जैसे ब्रांड्स के रेडीमेड गारमेंट तैयार करती है। यहां करीब 3000 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें लगभग 90% महिलाएं हैं।

कंपनी के अधिकारी भूषण जी बताते हैं कि टैरिफ बढ़ने के बाद 80% ऑर्डर रद्द हो गए हैं। यह फैक्ट्री हर साल लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात केवल अमेरिका को करती रही है। फिलहाल कंपनी यूरोपीय बाजार और घरेलू डिमांड तलाशने की कोशिश कर रही है, लेकिन यदि ऑर्डर नहीं मिले तो आने वाले दिनों में छंटनी अवश्य करनी पड़ेगी।


3 लाख लोगों की आजीविका पर असर

झारखंड के टेक्सटाइल और सिल्क उद्योग से सीधे और परोक्ष रूप से करीब 3 लाख लोग जुड़े हुए हैं। इनमें ग्रामीण महिलाएं, बुनकर, कताई करने वाले कारीगर और सिलाई-कढ़ाई करने वाले मजदूर शामिल हैं।

राज्य का यह क्षेत्र वर्षों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विशेषकर महिलाओं के रोजगार का आधार रहा है। यदि निर्यात में गिरावट जारी रही, तो इन सभी के सामने रोजगार का गहरा संकट खड़ा हो जाएगा।


राज्य के निर्यात पर सीधा प्रहार

झारखंड से हर साल लगभग 700 से 800 करोड़ रुपये के वस्त्र उत्पादों का निर्यात विदेशों में होता है। इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 35% है। अमेरिकी बाजार ही अब तक झारखंड के लिए सबसे बड़ा खरीदार रहा है, लेकिन टैरिफ बढ़ने के बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं।

उद्योग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यदि अमेरिका की मांग घटी तो इसका असर न केवल उत्पादन पर पड़ेगा बल्कि राज्य के कृषि-आधारित उद्योगों और महिला स्व-सहायता समूहों की आय पर भी गहरा असर दिखेगा।


तसर सिल्क और खादी उद्योग भी प्रभावित

झारखंड विशेषकर अपने तसर सिल्क उद्योग के लिए जाना जाता है। हजारीबाग, गोड्डा, दुमका, सरायकेला-खरसावां और साहिबगंज जैसे जिलों में हजारों परिवार पीढ़ियों से रेशम उत्पादन और बुनाई से जुड़े हुए हैं।

इसके अलावा खादी, हैंडलूम और हस्तकरघा आधारित वस्त्र भी झारखंड की पहचान हैं। इनकी सबसे बड़ी मांग अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों से होती रही है। लेकिन अमेरिकी टैरिफ ने इनकी मांग को अचानक गिरा दिया है।


क्या है आगे का रास्ता?

विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड के उद्योगों को अब केवल अमेरिकी बाजार पर निर्भर रहने की बजाय यूरोप, मध्य पूर्व और एशियाई देशों में अपने उत्पादों की मांग तलाशनी होगी। साथ ही, घरेलू बाजार में भी “मेड इन झारखंड” ब्रांडिंग करके नए अवसरों को तलाशा जा सकता है।

राज्य सरकार और केंद्र को मिलकर इस संकट से निपटने के लिए राहत पैकेज और प्रोत्साहन योजनाएं लानी होंगी। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो हजारों परिवारों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ जाएगी।


निष्कर्ष

अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ ने झारखंड के वस्त्र उद्योग के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। ओरिएंट क्राफ्ट जैसी कंपनियों के ऑर्डर रद्द होना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस परिस्थिति में झारखंड के लिए जरूरी है कि वह नए बाजारों की तलाश, सरकारी सहयोग और स्थानीय मांग को बढ़ावा देकर इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता खोजे।

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